जिला अस्पताल में शव वाहन नहीं: मामा अपनी गोद में मासूम बच्ची का शव ले जाने पर मजबूर

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जिला अस्पताल में शव वाहन नहीं: मामा अपनी गोद में मासूम बच्ची का शव ले जाने पर मजबूर

छतरपुर से राजेश चौरसिया की रिपोर्ट

छतरपुर: छतरपुर जिला अस्पताल की बड़ी लापरवाही एक बार फिर निकलकर सामने आई है जहां कर्मचारी और डॉक्टरों की लापरवाही के चलते आम जनता को जरूरी शासकीय योजनाओं का भी लाभ नहीं मिला पा रहा।

दरअसल मामला जिले के बाजना थाना क्षेत्र का है जहां की 4 साल की प्रीति (पिता- रामेश्वर अहिवार) खेलते समय नदी की मिट्टी के नीचे दबने से गंभीर घायल और चोटिल हो गई थी जिससे उसके दाएँ पैर की हड्डी टूट गई जिसे पहले बिजावर अस्पताल ले गये जहां से इसकी हालत गंभीर होने पर उसे जिला अस्पताल छतरपुर रेफर कर दिया। जहां जिला अस्पताल में उसका इलाज किया गया और इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।

बात बच्ची की मौत के बाद बिगड़ गई और ज़मीनी हकीकत सामने आई। दरअसल मौत के बाद उन्हें गंतव्य तक ले जाने के लिए शव वाहन उपलब्ध नहीं हो सका। जहां शव वाहन के लिए परिजन (मृतक बेटी का मामा) भटकते रहे। अंत तक भटकने के दौरान उन्हें शव वाहन उपलब्ध नहीं हो सका तो मजबूरन उन्हें मासूम का शव कंधे पर ले जाकर पैदल निकलना पड़ा और चौराहे पर पहुंचने पर बस में लेकर अपने घर, गांव, गंतव्य तक जाना पड़ा।

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ। इसके पहले भी कई बार हो चुका है कि मृतकों के परिजनों को मौत के बाद शव वाहन उपलब्ध नहीं हो सका, ऐसा नहीं कि शव वाहन नहीं हैं, यहां शव वाहन तो हैं लेकिन प्राईवेट, शासकीय नहीं जो कि मनमानी और मोटी कीमत पर मिलते हैं जिन्हें मजबूरी में वहन करना होता है।

ऐसे मामलों में उन्हें शव वाहन या तो पैसों की दम पर या फिर सोर्स सिफारिश की दम पर मिलते हैं या फिर जिनके पास ये दोनों नहीं है तो वह मजबूरीवश इस तरह कंधों पर रखकर अपने शवों को ले जाते हैं।