
अब ‘मुद्दों’ का ‘संग्राम’ है…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही 2028 में होने हों, लेकिन मैदान में मुद्दों का उछलना 3 साल पहले से ही शुरू हो गया है। राजनीतिक दलों में असल लड़ाई मुद्दा छीनने की होती है। और राजनीति में राज्य स्तर पर हो या राष्ट्रीय स्तर पर, ‘ओबीसी’ सभी मुद्दों का राजा है। और ‘ओबीसी आरक्षण’ का मुद्दा मानो ‘किंग मेकर’ बनकर राजनीति के मैदान में खूब उछलकूद कर रहा है। और इस बात में कोई शक नहीं है कि मुद्दा छीनने में भाजपा की बराबरी कर पाना शायद अभी किसी राजनीतिक दल के वश की बात नहीं है। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बहुत कुछ सपने बुने थे लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जातिगत जनगणना कराने की घोषणा कर उनके इरादों पर पानी फेर दिया था। मध्य प्रदेश में कांग्रेस ओबीसी के मुद्दे पर इसीलिए फूंक-फूंककर पूरी तैयारी के साथ कदम रख रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जब इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की तैयारी की, तब कांग्रेस ने पूरी तैयारी के साथ भारतीय जनता पार्टी की सरकार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव और पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर सीधा हमला बोल दिया। तथ्यों और संदर्भ सहित प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पत्रकार वार्ता का आयोजन कर ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर मध्य प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। हालांकि ओबीसी वर्ग को भी सब मालूम है कि राजनीतिक मुद्दे क्या मायने रखते हैं और उन्हें किसकी बात से कितना प्रभावित होना है लेकिन तब भी मुद्दे को अपने पाले में लाने की कोशिश ही राजनीतिक दलों की मुख्य लड़ाई है। और मध्य प्रदेश में कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान के बाद यह लड़ाई आक्रामक होने वाली है। ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की प्रतिक्रिया इसका अहसास कर रही है। इससे यह बात साफ हो रही है कि अब मध्य प्रदेश की राजनीति में ‘मुद्दों का संग्राम’ आमतौर पर देखने को मिलने वाला है। हालांकि भाजपा ‘मुद्दों के संग्राम’ में फ्रंट फुट पर लड़ने के साथ साम, दाम, दंड, भेद की रणनीति में कोसों आगे है। सो ओबीसी आरक्षण का मुद्दा सामने देखकर भाजपा ने जीतू पटवारी के महिलाओं के शराब पीने वाले बयान के मामले को मैदान में ला दिया। अब युद्ध तो युद्ध है और युद्ध में हर चाल जीत के लिए चली जाती है। मध्य प्रदेश की राजनीति में भी यह देखा जा सकता है और आगे यह संग्राम किसी भी हद तक जा सकता है।
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष जीतू पटवारी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने दिल्ली में संगठन सृजन अभियान की कार्यशाला से लौटने के बाद संयुक्त पत्रकार वार्ता की। पटवारी ने कहा कि भाजपा सरकार ने 6 वर्षों तक ओबीसी समाज के साथ खुला अन्याय किया है। कांग्रेस सरकार ने कमलनाथ के नेतृत्व में अध्यादेश और कानून बनाकर 27% आरक्षण लागू किया था, लेकिन भाजपा ने 2021 में परिपत्र और 2022 में आदेश जारी कर नियुक्तियों को रोक दिया। 87% नियुक्तियां ही की गईं और 13% बिना किसी कानूनी आधार के रोक दी गईं। इस नीति से 1 लाख से अधिक अभ्यर्थी प्रभावित हुए, हजारों उम्मीदवारों की नौकरियां अटकीं और कई ने आत्महत्या तक कर ली। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने 100 करोड़ रुपए सिर्फ वकीलों पर खर्च किए आरक्षण रोकने के लिए। जबकि मीडिया में शिवराज सिंह और मोहन यादव कहते रहे कि वे आरक्षण के पक्षधर हैं। यदि सचमुच पक्ष में थे तो 2019 का कानून लागू करने से किसने रोका? अब स्वयं सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि यह अन्याय क्यों हुआ।
पटवारी ने कहा कि सर्वदलीय बैठक के लिए केवल फोन आया है, लेकिन लिखित सूचना अभी तक नहीं आई है। लिखित में सूचना आएगी तो कांग्रेस पार्टी सम्मिलित होगी। कांग्रेस पार्टी तो पहले से ही पक्ष में है कि ओबीसी को 27% आरक्षण मिलना चाहिए। तो फिर मुख्यमंत्री जी किस बात की बैठक कर रहे हैं?
वहीं, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भाजपा सरकार पर दोहरी नीति का आरोप लगाया और कहा कि ओबीसी समाज को केवल छलावा और जुमले दिए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं जातिगत जनगणना को ‘अर्बन नक्सल’ कहकर भाजपा की मानसिकता जाहिर कर दी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव द्वारा बुलाई गई 28 अगस्त की सर्वदलीय बैठक मात्र दिखावा है। अगर सरकार की नीयत साफ है तो तत्काल आदेश जारी कर 27% आरक्षण लागू किया जा सकता है।
मतलब साफ है कि सर्वदलीय बैठक के पहले कांग्रेस साफ करना चाहती है कि ओबीसी की असल हितैषी वही है।
मतलब साफ है कि सर्वदलीय बैठक के पहले कांग्रेस साफ करना चाहती है कि ओबीसी की असल हितैषी वही है।
तो भाजपा ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी को कटघरे में खड़ा करने के लिए एक दूसरे मुद्दे को मैदान में ला दिया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी द्वारा प्रदेश की बहनों को लेकर की गई निंदनीय टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि जीतू पटवारी द्वारा प्रदेश की बहनों को शराबी कहकर आधी आबादी का अपमान किया गया है। पटवारी द्वारा लाड़ली बहनों को शराबी बताना बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण है। हरतालिका तीज पर बहनों का अपमान, संस्कृति पर सीधा प्रहार है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि जीतू पटवारी का बयान बेहद निंदनीय है। बहनों का अपमान कांग्रेस की संस्कृति है। क्या राहुल गांधी के इशारे पर जीतू पटवारी बहनों का अपमान कर कर रहे हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि हरतालिका तीज के पावन पर्व के दिन कांग्रेस पार्टी के नेता जीतू पटवारी द्वारा किए गए अपमान को भारतीय जनता पार्टी और मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार बर्दाश्त नहीं करेगी। मध्यप्रदेश सरकार लाडली बहनाओं के लिए लगातार काम कर रही है। 50 प्रतिशत आबादी के लिए केंद्र और मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा कई सारी योजनाएं भी चलाई जा रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने संसद और राज्यों की विधानाभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने का कानून बनाकर महिलाओं को समाज में भागीदारी बढ़ाने का कार्य किया है। मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा लाडली लक्ष्मी योजना, लाडली बहना योजना के साथ कई योजनाओं महिलाओं के कल्याण और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए चलाई जा रही हैं। कांग्रेस पार्टी के नेता जीतू पटवारी ने बहनों को लेकर अमर्यादित बयान देकर मध्यप्रदेश की आधी आबादी का अपमान किया है। ऐसे निंदनीय बयान के लिए पटवारी और कांग्रेस पार्टी को बहनों से माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं की मानसिकता ही महिला विरोधी हो गई है। कांग्रेस नेता कभी महिलाओं को बोरे में भरकर अलग पटकने की बात करते हैं तो कभी अमर्यादित टिप्पणी करते हैं। कांग्रेस नेताओं के ऐसे बयानों को मध्यप्रदेश की जनता कभी माफ नहीं करेगी और जनता कांग्रेस को जरूर सबक सिखाएगी।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष व विधायक हेमंत खण्डेलवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार लाडली बहनों को सम्मान पूर्वक आर्थिक रूप से सशक्त कर रही है, इसलिए कांग्रेस चिढ़ी है और उसके नेता बौखलाए हुए हैं। जीतू पटवारी का बहनों को लेकर दिया गया बयान बहुत ही निदंनीय है। भाजपा और प्रदेश सरकार जिन बहनों का सम्मान करती है उनके बारे में अपमानजनक शब्दों का उपयोग करना कांग्रेस की संस्कृति बन गयी है। आज बहनों का हरतालिका तीज का पर्व है, उनका अपने परिवार के लिए किए जाने वाले त्याग के लिए जितना सम्मान किया जाए कम है। आज महिलाएं निर्जला उपवास रखकर पूजा-पाठ और भगवान की आराधना में लीन हैं। ऐसे समय में राहुल गांधी के कृपापात्र जीतू पटवारी का मातृशक्ति के खिलाफ अमर्यादित बयान बेहद निंदनीद है। और इसके बाद भाजपा की महिला शक्ति ने जीतू पटवारी पर खुलकर हमले किए। और कांग्रेस का ओबीसी आरक्षण का मुद्दा थोड़ा धुंधला सा नजर आने लगा।
देखा जाए तो संगठन सृजन अभियान के बाद जहां मध्य प्रदेश कांग्रेस में जीतू पटवारी और उमंग सिंघार की जोड़ी अपनी आक्रामकता का लोहा मनवाना चाह रही है, तो भारतीय जनता पार्टी सरकार और संगठन मिलकर यह जता रहे हैं कि मैदान में हर लड़ाई जीतने का हक सिर्फ उन्हें है और उनका यह हक छीनना कांग्रेस के बूते की बात नहीं है। पर यह बात साफ हो गई है कि अब आगामी विधानसभा चुनाव तक ‘मुद्दों’ का ‘संग्राम’ थमने वाला नहीं है…।





