अब विधानसभा में साथ-साथ दिखेंगे सरकार और संगठन के मुखिया…

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अब विधानसभा में साथ-साथ दिखेंगे सरकार और संगठन के मुखिया…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मध्य प्रदेश भाजपा को नया प्रदेश अध्यक्ष मिलने के साथ ही यह साफ हो गया है कि अब विधानसभा के अगले सत्र में सरकार और संगठन के मुखिया साथ-साथ सदन में नजर आएंगे। और प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल भी डॉ. मोहन यादव की बात को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने का कार्य करते भी दिखेंगे। हो सकता है कि अब स्थान परिवर्तन कर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के आसपास उनकी सीट नजर आने लगे। या फिर जो भी उनकी सीट रहेगी, भाजपा विधायकों की नजरें मुख्यमंत्री के अलावा अब वहीं जाकर टिकेंगीं। और मंत्रियों-विधायकों को भी अध्यक्ष से सलाह मशविरा करना आसान रहेगा तो प्रदेश अध्यक्ष को भी मंत्रियों को नसीहत देने में सुविधा रहेगी। हो सकता है कि विधानसभा परिसर में विधायक सह प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के नाते हेमंत खंडेलवाल को भी कोई कमरा आवंटित हो जाए, जो भाजपा संगठन का नया केंद्र बनकर पावर सेंटर बन जाए। भाजपा का यह नवाचार अपने साथ बहुत कुछ नई संभावनाएं लेकर सामने आ सकता है। केंद्र सरकार में जेपी नड्डा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ-साथ केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के पद पर भी आसीन हैं। तो मध्य प्रदेश में कमलनाथ मुख्यमंत्री रहने के साथ-साथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी भी संभाले रहे थे। ऐसे में मोहन के मन और आनंद पर निर्भर है कि प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को भी मंत्री पद से नवाजकर एक नया इतिहास रच दें। वहीं मध्य प्रदेश में भाजपा संगठन को शीर्ष पर ले जाने वाले विष्णु दत्त शर्मा भी जल्दी ही किसी नई भूमिका में नजर आ सकते हैं। मध्य प्रदेश में 2020 में भाजपा की सरकार बनने के बाद विष्णु दत्त शर्मा को शुभंकर अध्यक्ष के रूप में खुद शिवराज सिंह चौहान ने प्रचारित किया था। उनके नेतृत्व में संगठन ने 2023 विधानसभा चुनाव में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाकर इतिहास रचा था तो लोकसभा चुनाव में भी मोहन के साथ कंधा से कंधा मिलाकर भाजपा ने सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी समय-समय पर विष्णुदत्त शर्मा की प्रशंसा करने में कोई कंजूसी नहीं बरती थी। और यह उनकी उपलब्धियों का ही प्रमाण रहा है कि भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद 1980 से अब तक एक बार में साढ़े पांच साल के सबसे लंबे कार्यकाल का रिकॉर्ड भी विष्णु दत्त शर्मा के नाम दर्ज हो गया है। इस रिकॉर्ड का टूटना भी बहुत आसान नहीं है।

हेमंत खंडेलवाल के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद अब यह भी साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पसंद को भाजपा नेतृत्व ने गंभीरता से लेकर उनके ही फैसले पर मुहर लगाई है। और जैसा कि भाजपा की परंपरा रही है कार्यकर्ता और नेता एकजुट होकर पार्टी के फैसले को सर्व सहमति से स्वीकार करते हैं। वैसा ही दृश्य हेमंत खंडेलवाल के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के दौरान भी नजर आया। शिवराज सिंह चौहान और विष्णु दत्त शर्मा के बीच भी कभी कभार मन न मिलने की बातें चर्चा में रहती थीं, पर यह कैडरबेस पार्टी भाजपा का अनुशासन ही है की यहां मतभेद कभी मनभेद के रूप में सामने नहीं आते। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बने तब निवर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उनके नाम के प्रस्तावक बने थे। और जब हेमंत खंडेलवाल प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बने तब विष्णु दत्त शर्मा उन्हें खुशी-खुशी पदारूढ़ करते नजर आए। पर इस बात में कोई संशय नहीं है कि मध्य प्रदेश में अब मोहन-हेमंत का नया युग शुरू हुआ है। इन दोनों की जोड़ी विधानसभा में और विधानसभा के बाहर साथ-साथ सत्ता और संगठन के समन्वय का नया इतिहास रचने का काम करेगी। और अगर पार्टी हेमंत खंडेलवाल को मंत्री पद से भी नवाजती है तो यह भी इतिहास बनेगा कि सदन में पहली पंक्ति में मोहन-हेमंत साथ-साथ बैठे नजर आएंगे। हेमंत खंडेलवाल के प्रदेश अध्यक्ष बनने में डॉ. मोहन यादव की भूमिका को अलग-अलग शब्दों में पिरोया जा रहा है। इसे मोहन यादव की संगठन नीति पर मुहर के रूप में देखा जा रहा है। तो यह भी कहा जा रहा है कि खंडेलवाल की नियुक्ति से साफ है कि संगठन पर मोहन यादव की गहरी पकड़ है। यह भी कहा जा रहा है कि मोहन यादव -खंडेलवाल की जोड़ी, संगठन और सरकार में समन्वय का नया अध्याय रचेगी। मध्यप्रदेश भाजपा में नई ऊर्जा का सूत्रपात होगा। इसमें प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की भूमिका निर्णायक रहेगी। तो यह भी कहा जा रहा है कि मोहन यादव की पसंद से अध्यक्ष तय हुआ है और पुराने गुटों को बड़ा झटका लगा है। अब यह पुराने गुट कौन थे, यह इशारा ही काफी है। यह भी कहा जा रहा है कि केंद्रीय नेतृत्व का डॉ. मोहन यादव के दमदार नेतृत्व को समर्थन की पुष्टि खंडेलवाल की ताजपोशी से प्रमाणित हो गई है। और यह भी कहा जा रहा है कि अब सत्ता-संगठन की धुरी डॉ. मोहन यादव बन गए हैं। अपनी कुशल रणनीति से उन्होंने हेमंत खंडेलवाल को अध्यक्ष पद पर काबिज करवाया है। तो इस बात में कोई संशय नहीं है कि सत्तारूढ़ दल के प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने में सरकार के मुखिया की पसंद को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है। और 2023 में मुख्यमंत्री पद पर आसीन होते समय ही डॉ. मोहन यादव ने यह सिद्ध कर दिया था कि सभी वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को पीछे छोड़ते हुए वह प्रदेश के सबसे ताकतवर नेता के रूप में सामने आए हैं। और मुख्यमंत्री बनने के बाद भी ऐसे अनेकों अवसर आए हैं जब डॉ. मोहन यादव कुशल रणनीतिकार के रूप में खुद को पावर सेंटर साबित कर चुके हैं। हेमंत खंडेलवाल के निर्विरोध चुनाव की चर्चा करते हुए भी डॉ. मोहन यादव ने चुटकी ली ही थी कि एक समय शिवराज और विक्रम वर्मा अध्यक्ष पद के चुनाव में आमने-सामने हुए थे।

तो अब यह साफ है कि मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल मध्य प्रदेश में सत्ता और संगठन को साथ-साथ नई ऊंचाई पर ले जाने की जिम्मेदारी का निर्वहन करेंगे। हेमंत खंडेलवाल विरासत में राजनीति को कर्मभूमि में अपनाए हुए संगठन के शीर्ष पद पर काबिज हुए हैं। ऐसे में डॉ. मोहन यादव और हेमंत खंडेलवाल मध्य प्रदेश में विरासत के साथ विकास का भी नया चेहरा बनेंगे। वहीं एकजुटता, अनुशासन और समर्पित कार्यकर्ताओं को प्रोत्साहन हेमंत खंडेलवाल की प्राथमिकता में रहेंगे…।