Nutrition Scam : कागजों पर ही बना और बंटा पोषण आहार, 8 जिलों की जांच में 858 करोड़ से ज्यादा का घोटाला, सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा! 

जानिए, CAG ने अपनी रिपोर्ट में क्या-क्या बड़े खुलासे किए!

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Nutrition Scam : कागजों पर ही बना और बंटा पोषण आहार, 8 जिलों की जांच में 858 करोड़ से ज्यादा का घोटाला, सीएजी की रिपोर्ट में खुलासा! 

Bhopal : टेक होम राशन घोटाले में कांग्रेस के पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत पर लोकायुक्त ने प्राथमिकी दर्ज कर पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की भूमिका की जांच शुरू कर दी। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में मप्र में साल 2018-19 से 2021-22 के बीच 858 करोड़ का टेक होम राशन घोटाला सामने आया था। इस मामले में विधायक ने पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस और आजीविका मिशन के पूर्व सीईओ ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ शिकायत की थी।

इस घोटाले में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि कागजों पर ही पोषण आहार बना और बांटा गया। गौरतलब है कि टेक होम राशन (टीएचआर) कार्यक्रम 6 से 36 महीने के बच्चों और गर्भवती व स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए घर पर उपयोग के लिए फोर्टिफाइड राशन प्रदान करता है। पोषण आहार मामले में सीएजी ने 8 जिलों की जांच में ही 858 करोड़ से ज्यादा का घोटाला चार सालों के दौरान पाया है। यदि यह जांच प्रदेश स्तर पर कराई जाए, तो यह घोटाला कई गुना बड़ा निकलकर आएगा। क्योंकि कैग ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।

कैग की रिपोर्ट कहती है कि 858 करोड़ रुपए का टीएचआर (टेक होम राशन) काल्पनिक रूप से बन गया। इसे बनाने में जितना कच्चा माल लगना चाहिए या बिजली की खपत होनी थी, वो नहीं हुई। इतना ही नहीं, पोषाहार का वितरण जितने लोगों के बीच होना दिखाया गया है, उतने लोग ही 8 जिलों में नहीं मिले। लोकायुक्त अब इसी की जांच करेगा।

 

कैग रिपोर्ट में बड़ी अनियमितता के संकेत

टेक होम राशन को लेकर जिस कैग रिपोर्ट की गड़बड़ी का हवाला दिया गया है, वह रिपोर्ट मार्च 2025 में विधानसभा में पेश हुई। रिपोर्ट में बड़ी अनियमितता की ओर इशारा किया है। कैग ने मप्र के 8 जिलों में टेक होम राशन (2018 से 2021 तक) की जांच की है। जिन जिलों में जांच की गई, उनमें धार, रीवा, झाबुआ, सागर, छिंदवाड़ा, सतना, भोपाल और शिवपुरी शामिल हैं।

रिपोर्ट में कहा है कि केंद्र के बार-बार याद दिलाने के बाद भी राज्य के विभाग ने न सर्वे कराया, न ही टीएचआर की खरीद व वितरण की पड़ताल की। यह सब दुर्भावना के इरादे से किया गया। इतना ही नहीं, अप्रैल 2018 में प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) के अनुसार 36.08 लाख रजिस्टर्ड लाभार्थी थे। मप्र के महिला बाल विकास आयुक्त ने 5.5 लाख लाभार्थियों के लिए 122.99 करोड़ के 20291.585 टन पोषाहार की आपूर्ति का आदेश आजीविका मिशन को जारी किया।

यहां मुद्दा यह है कि जब 36.08 लाख पंजीकृत लाभार्थी हैं तो आयुक्त ने केवल 5.5 लाख लाभार्थियों की गणना किस आधार पर की। कैग ने स्कूल शिक्षा विभाग के डेटा के साथ उपरोक्त डेटा की क्रॉस-चेकिंग की और पाया है कि शिक्षा विभाग के अनुसार केवल 0.45 लाख पंजीकृत लाभार्थी थे। कैग ने नोट किया कि अगस्त 2018 में आयुक्त डेटा के घोर हेरफेर से अवगत थे। डेटा की प्रामाणिकता और लाभार्थियों की वास्तविक संख्या का आंकलन किए बिना फर्मों को टीएचआर के वितरण के लिए आपूर्ति आदेश दे दिए गए।