OBC Reservation in Panchayat Elections: CM Shivraj ने Assembly में कांग्रेस पर OBC विरोधी होने के प्रमाण दिए

OBC पर कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर CM ने पूरा इतिहास खोल दिया

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Bhopal: विधानसभा में ओबीसी आरक्षण पर कांग्रेस के स्थगन प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि कांग्रेस शासनकाल में लोकसेवा आयोग में 2019 में आरक्षण के नियमों में परिवर्तन किया गया। वो परिवर्तन भी अब सारी दुनिया सुन ले, मैं बताना चाहता हूं। आपने यह परिवर्तन किया कि, मेरिट के आधार पर OBC का कोई बच्चा सिलेक्ट हो जाता था, तो वह 14% आरक्षण की श्रेणी में नहीं आता था। वह उसके ऊपर होता था। आपने नियम बदलकर तय किया कि मैरिट में भी आएगा तो वह 14% आरक्षण में नहीं आएगा। आपने हजारों बच्चों का भविष्य तबाह और बर्बाद करने का काम किया है और आज आप हमसे बात कर रहे हैं। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ आपके ढोंग, पाखंड और दोगलेपन को उजागर करने का काम कर रहा हूं।

CM ने कहा कि इस सरकार की सदैव से यह नीति रही है कि सामाजिक न्याय, सामाजिक समरसता के साथ हर समाज को साथ में लेकर आगे बढ़ते जाना। इसलिए चाहे मामला ओबीसी, अनुसूचित जाति, जनजाति का मामला हो या सामान्य वर्ग को 10% आरक्षण का लाभ देने का तो वो भाजपा ने दिया है। जहां तक OBC का सवाल है, तो मैं पहले ही यह प्रतिबद्धता जाहिर करता हूं कि पिछड़े वर्ग के कल्याण में न तो कोई कसर छोड़ी है न छोड़ी जाएगी।

 

अब आपने कहा, ‘हमने क्या किया तो वह भी बता देता हूं!’ आज का विषय नहीं था, लेकिन पूछ रहे हो तो बता देता हूं।

ओबीसी के हितों पर किसी भी प्रकार का कुठाराघात न हो, इसलिए हमारी सरकार ने निर्णय लिया कि, केवल उन प्रकरणों में OBC आरक्षण जिनमें न्यायालय ने स्थगन दिया है उनमें 14% रहेगा। लेकिन, जिनमें स्थगन नहीं दिया उनमें 27% आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला हमने किया। इसके उदाहरण भी मैं आपको बताना चाहता हूं! हाल ही में हमने 8828 पदों पर भर्ती की और मुझे कहते हुए गर्व है की उसमे हमने 27% आरक्षण दिया है। राज्य सरकार दिसंबर 2021 से 2022 में भी 23000 से अधिक पदों पर भर्ती परीक्षा आयोजित करने जा रही है, उनमें भी 27% आरक्षण का लाभ मिलेगा। मैं पूछना चाहता हूं, आपकी एडवोकेट जनरल ने कोई तथ्य और तर्क क्यों नहीं रखें? फिर मैं यह भी पूछना चाहता हूं, कि स्टे के खिलाफ आपने क्या किया?ताकि, OBC को 27% आरक्षण मिल जाता।

 

क्या आप हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट गए, जैसे अभी आप चले गए थे, रोटेशन के मामले में। रोटेशन भी तो आरक्षण के लिए होता है; SC के बजाय ST हो जाए, ST के बजाय सामान्य हो जाए। रोटेशन और आरक्षण के फर्क के बारे में, मैं बाद में बोलूंगा। लेकिन, आज मैं पूछना चाहता हूं, क्यों पिछड़े वर्ग की पीठ पर छुरा घोंपा गया? क्यों उस स्टे को वैकेट नहीं कराया गया? क्यों आप हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में नहीं गए? चुनाव निकल गया, परिणाम भी सामने आ गए, आप चुपचाप बैठे रहे। 8 मार्च से लेकर 18 मार्च तक आपकी सरकार हाथ में हाथ रखकर बैठे थी। न केविएट दायर की, न वकीलों के निर्णय के पक्ष में वकीलों ने न न्यायालय में उतरकर कोई अपील की। उसका खामियाजा पिछड़े वर्ग को भुगतना पड़ा। 27% आरक्षण के माध्यम से, आपके शासनकाल में एक भी नौकरी मिली हो तो वह बता दो।

CM ने कहा कि मैं बड़े दुख के साथ एक और महत्वपूर्ण तथ्य कहना चाहता हूं, ताकि सदन भी जाने और सदन के ही माध्यम से प्रदेश की जनता भी जाने। जब 19 मार्च 2019 के निर्णय में OBC आरक्षण को 27 % से घटाकर 14 % करने वाली बात, शैक्षिक संस्थानों के संदर्भ में कही गई थी। परंतु, कांग्रेस सरकार ने स्वयं कोर्ट में जाकर के यह पूछा कि क्या ये स्थगन PSC पर भी लागू होगा। UPSC पर भी लागू होगा और इसी आधार पर कोर्ट ने UPSC में भी 27% आरक्षण पर स्टे दे दिया। आपने PSC में भी आरक्षण खत्म करवा दिया। आपका वकील वहां कोर्ट में था और आप पिछड़े वर्ग के हितों की बात करते हो, हमें पिछड़े वर्गों का विरोधी बताते हो। मैं यह निवेदन करना चाहता हूं की 27% आरक्षण भी शासकीय सेवाओं में मिले, इसके लिए भी हम लोग पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं, आपने केवल दिखावा किया था, यह बिल्कुल स्पष्ट है।

 

CM ने कहा कि आज मैं कुछ सवाल खड़े करना चाहता हूं। आपने बात कही 27% रिजर्वेशन की, हम भी आपके साथ खड़े थे। नेता प्रतिपक्ष पंडित गोपाल भार्गव थे। आपने 8 मार्च 2019 को 27% आरक्षण देने का फैसला किया था, हम आपके साथ थे। लेकिन, फैसले के पीछे क्या आपकी इच्छा अच्छी थी? लोकसभा का चुनाव सामने दिखाई दे रहा था, हार का संकट छाया हुआ था, इसलिए फैसला तो आपने कर लिया। लेकिन, उस फैसले के खिलाफ 10 मार्च 2019 को उच्च न्यायालय में पिटीशन दायर की गई। 19 मार्च 2019 को केस की सुनवाई हुई। लेकिन, आपके विद्वान महाधिवक्ता सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए।

कमलनाथ जी बहुत अनुभवी और विद्वान हैं और उनकी क्षमता पर आप भरोसा रखिए अगर कोई जवाब देना होगा तो वह देंगे! आपने जो कहा इसलिए मैं कुछ बातें कर रहा हूं, नहीं तो मैं इतनी लंबी बात नहीं करता। अतिरिक्त महाधिवक्ता उपस्थित हुए और उन्होंने कोई तर्क और तथ्य नहीं रखें। उन्होंने कहा, ‘हमें कुछ समय दीजिए।’ उसी दिन कोर्ट ने स्टे दे दिया, आपका 27% आरक्षण केवल दिखावे के लिए था, आपने उसको गंभीरता से लागू करने का कोई प्रयास नहीं किया।

 

शिवराज सिंह चौहान ने सदन में कहा कि मैं प्रधानमंत्री जी को आज धन्यवाद देना चाहता हूं। OBC वर्ग को NEET की परीक्षा में 27% आरक्षण देने का ऐतिहासिक फैसला किया, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और इस फैसले से प्रदेश के भी हजारों विद्यार्थियों को फायदा होगा। अभी बात पिछड़े वर्ग के कल्याण की हो रही थी। पिछड़े वर्ग के कल्याण के ऐतिहासिक पहल करते हुए पहली बार, प्रधानमंत्री ने पिछड़े वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया, और उसी का अनुसरण प्रदेश की सरकार ने भी किया। जो सबसे पीछे और सबसे नीचे हैं, जो विकास की दौड़ में पिछड़ गया है, उसे न्याय देना यह हम सब का कर्तव्य है।