पहेली बनीं गोविंद के पास रखीं अश्लील सीडियां….
– अश्लील सीडियों के मामले में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह खुद घिरते नजर आ रहे हैं। उन्होंने संघ और भाजपा नेताओं की कई अश्लील सीडियां होने का दावा किया था। मसला गरमाने पर गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस पर सधी प्रतिक्रिया दी, लेकिन प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा आक्रामक हैं। उन्होंने कहा कि यह भाजपा को बदनाम करने की गंदी राजनीति है। उन्होंने गोविंद सिंह को वीडियो सामने लाने की चुनौती भी दी। गोविंद ने कहा कि वीडी घर आएं, मैं उन्हें अश्लील सीडी दिखाऊंगा। जवाब में फिर वीडी शर्मा ने गोविंद पर हमला किया और मजाक भी उड़ाया।
बावजूद इसके डॉ सिंह ने अश्लील सीडी सार्वजनिक नहीं कीं। मामला तब और गरमा गया जब डॉ सिंह ने पहले नरोत्तम और इसके बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की। माना जा रहा है कि उन्होंने दोनों को सीडी दिखाने की पेशकश की। कमलनाथ इस विवाद में यह कह कर कूद गए कि उन्होंने भी ये अश्लील सीडियां देखी हैं लेकिन हम नहीं चाहते की मप्र की बदनामी हो, इसलिए सार्वजनिक नहीं किया। जीतू पटवारी ने और बड़ा धमाका करते हुए कहा कि सीडी बाहर आई तो नरोत्तम तक इनकी आंच आएगी। ये अश्लील सीडियां पहेली बन गई हैं। सवाल है कि इतने बवाल के बावजूद डॉ सिंह इन्हें सार्वजनिक क्यों नहीं करते? इसके पीछे आखिर राज क्या है? जबकि इन्हें हर कोई देखना चाहता है।
हवा-हवाई बातों में ‘तू डाल-डाल, मैं पात-पात’….
– भाजपा-कांग्रेस में ‘तू डाल डाल, मैं पात पात’ की तर्ज पर हवा-हवाई बातों की भी होड़ चल रही है। इन बातों का ‘न कोई सिर है, न पैर’। कमलनाथ और डॉ गोविंद सिंह के बाद अब प्रदेश सरकार में सिंधिया खेमे के मंत्री बृजेंद्र सिंह यादव ने कहा है कि कांग्रेस में वापसी के लिए उनसे संपर्क किया गया है, लेकिन मैं जाऊंगा नहीं। दूसरे नेताओं की तरह बृजेंद्र ने भी यह नहीं बताया कि उनसे किस नेता ने संपर्क किया। इससे पहले डॉ गोविंद सिंह कह चुके हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए कई विधायक, मंत्री उनके संपर्क में हैं। वे फिर कांग्रेस में वापसी चाहते हैं।
गोविंद ने भी ऐसे मंत्रियों, विधायकों के नाम नहीं बताए। साफ-सुथरी राजनीति का दावा करने वाले कांग्रेस के मुखिया कमलनाथ ने पहले कहा था कि भाजपा के कई विधायक कांग्रेस में आने के लिए संपर्क में हैं। उन्होंने भी नामों का खुलासा नहीं किया था। इसके बाद उन्होंने कहा कि सिंधिया के साथ गए कांग्रेस नेता पार्टी में वापसी चाहते हैं लेकिन गद्दारी करने वालों की कांग्रेस में कोई जगह नहीं है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के समय भाजपा के नेता भी कुछ और कांग्रेस विधायकों के भाजपा में आने की बात कर रहे थे। इन हवा-हवाई बातों का न कोई ओर-छोर है, न औचित्य। नेता कब जनता को बेवकूफ समझना बंद करेंगे?
‘रामायण कांफ्रेंस’ को लेकर भाजपा में महाभारत….
– जबलपुर में आयोजित ‘रामायण कांफ्रेंस’ में हिस्सा लेने दुनिया के कई देशों के प्रतिनिधि आए। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांफ्रेंस को वर्चुअली संबोधित किया। लेकिन प्रदेश की संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर के न पहुंचने पर भाजपा में महाभारत छिड़ गई। भाजपा विधायक, पूर्व मंत्री अजय विश्नाई ने इस पर गहरी नाराजगी व्यक्त की।
अपने ट्वीट में ऊषा ठाकुर पर तंज कसते हुए उन्होंने लिखा, ‘जबलपुर में वर्ल्ड रामायण कॉन्फ्रेंस का आयोजन है। मप्र का संस्कृति मंत्रालय इसका सहयोगी है। संस्कृति मंत्री ऊषा ठाकुर को उद्घाटन में आना था। वे नही आईं। ठीक भी है जब सभी संस्कृति इंदौर व मालवा में उपलब्ध है तो गोंडवाना व महाकौशल की संस्कृति की परवाह क्यों की जाए।’ विश्नोई का कटाक्ष तीखा है। इंदौर में प्रवासी भारतीय सम्मेलन और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन हो रहा है। इंदौर की होने के नाते ऊषा ठाकुर की यहां मौजूदगी आवाश्यक है लेकिन ‘रामायण कांफ्रेंस’ कम महत्वपूर्ण नहीं। भाजपा की पूरी राजनीति इसके इर्द-गिर्द घूमती है। इंदौर में सम्मेलन और समिट की तारीख बाद की थी। ऐसे में ऊषा ठाकुर को समय निकालना था। इससे आहत विश्नोई का ट्वीट तीखा है लेकिन उनकी नाराजगी गलत भी नहीं है। विश्नोई महाकौशल में भाजपा के बड़े नेता हैं। असंतुष्ट होने के बावजूद वे बात हमेंशा पते की करते हैं।
क्यों कटा सिंधिया के बफादार पाराशर का पत्ता….?
– पंद्रह साल से केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाक का बाल रहे उनके निजी सचिव पुरुषोत्तम पाराशर की विदाई की खबर हतप्रभ करने वाली है। सिंधिया के लिए पाराशर इतने महत्वपूर्ण थे कि मप्र क्रिकेट एसोसिएशन में पांच नए सदस्यों की नियुक्ति हुई तो उनमें से एक पराशर थे। पाराशर का तब भी बाल बांका नहीं हुआ था जब डॉ गोविंद सिंह ने एक वीडियो जारी कर उन पर टिकटों के वितरण में खरीद-फरोख्त का आरोप लगाया था। इतना ही नहीं, जब सिंधिया विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए थे तब भी पाराशर प्रमुख भूमिका में थे। सिंधिया के ऐसे खास बफादार का पत्ता कट गया। अचानक ऐसा कोई घटनाक्रम भी सामने नहीं आया, जिसकी वजह से पाराशर को हटाना मजबूरी हो गया हो।
पाराशर को हटाकर उनके मूल विभाग एनटीपीसी भेज दिया गया। लिहाजा, पाराशर को हटाए जाने को लेकर कयासों का बाजार गर्म है। चर्चा है कि आरएसएस के दबाव में पाराशर को हटाया गया, लेकिन क्यों? यह बताने कोई तैयार नहीं है। यदि यह सच है तो क्या सिंधिया पर भी संघ और भाजपा नेतृत्व का दबाव शुरू हो गया है। फिलहाल पाराशर ने यही कहा है कि वे व्यक्तिगत कारणों से निजी सचिव के दायित्व से मुक्त हुए हैं लेकिन कोई इस पर भरोसा करने तैयार नहीं है। बात भरोसा करने लायक है भी नहीं।
अटकी कार्यकारिणी, प्रभारियों के भरोसे तैयारी….
– प्रदेश में विधानसभा चुनाव की दुंदुभी बज चुकी है और कांग्रेस में प्रदेश कार्यकारिणी का आता-पता नहीं है। 18 दिसंबर के बाद कार्यकारिणी की घोषणा संभावित थी लेकिन कहां अटक गई, कोई बताने तैयार नहीं। पूर्व की कार्यकारिणी के कुछ पदाधिकारियों से काम चलाया जा रहा है। वह इतनी जंबो है कि पीसीसी के पास ही रिकार्ड नहीं कि उसमें कितने पदाधिकारी हैं। कार्यकारिणी के जंबोजेट होने के कारण इसकी कोई बैठक नहीं हो रही। प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ कई बार नई कार्यकारिणी के गठन की कसरत करते नजर आए लेकिन अब तक घोषित नहीं कर पाए। लगता है कमलनाथ ने भी कार्यकारिणी के गठन से तौबा कर ली है। यह विडंबना ही है कि कांग्रेस जैसी पुरानी पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक लंबे समय से नहीं हुई। वह भी तब जब कमलनाथ जैसे वरिष्ठ नेता प्रदेश कांग्रेस के मुखिया हैं। विधानसभा की तैयारी वे कांग्रेस के प्रभारी, सह प्रभारी और संगठन प्रभारियों की मदद से कर रहे हैं। ये जिलों में जाकर कांग्रेस द्वारा घोषित कार्यक्रमों की मानीटरिंग करते हैं। दूसरी तरफ भाजपा में संगठन और सरकार दोनों स्तर पर चुनाव की तैयारी जारी है। संगठन की ओर से प्रदेश अध्यक्ष सहित सभी पदाधिकारी सक्रिय हैं और सरकार की ओर से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी टीम के साथ मोर्चे पर हैं। कांग्रेस पिछड़ती नजर आ रही है।