New Delhi : युद्ध के कारण यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई अधूरी छोड़कर वापस आए मेडिकल छात्रों को रूस और क्रीमिया ने ऑफर दिया है। राहत की बात ये कि इन छात्रों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जाएगा, न उन्हें प्रवेश परीक्षा देना होगी। रूस और क्रीमिया के मेडिकल शिक्षा संस्थानों ने ऐसे भारतीय छात्रों से संपर्क किया है और उन्हें अपने यहां यूनिवर्सिटी में आकर अपनी पढ़ाई पूरी करने को कहा है। रूस में 16,000 से अधिक भारतीय मेडिकल छात्रों को प्रवेश मिल सकता है लेकिन वे वहां जाना नहीं चाहते।
मेडिकल छात्रों को इस तरह का ऑफर पहले कजाकिस्तान, जॉर्जिया, आर्मेनिया, बेलारूस और पोलैंड के संस्थानों से भी मिला है। इससे पहले लगभग 140 भारतीय छात्र, यूक्रेन से निकलने के दौरान घर लौटने के बजाए मोल्दोवा पहुंच गए थे और उन्हें सीधे चिसीनाउ में सरकार के संचालित संस्थान निकोले टेस्टेमिटानु स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिसिन एंड फार्मेसी (SUMP) में एडमिशन मिल गया।
SUMP के अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधि डॉ कॉर्नेलिया रुडोई ने कहा कि पिछले हफ्ते तक, हमारे पास 140 भारतीय थे जो सीधे यूक्रेन से आए थे। हमने उन्हें अपनी यूनिवर्सिटी में एडमिशन दिया है। हम उनसे इस सेमेस्टर के लिए कोई शुल्क नहीं लेंगे और सितंबर से फीस शुरू करेंगे। हमारे पास अधिक क्षमता है और हम पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्रों को एक ही वर्ष में लेने के लिए तैयार हैं, ताकि उनका समय बर्बाद न हो।
महाराष्ट्र स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय सहित कुछ विश्वविद्यालय भी छात्रों की मदद को तैयार हैं। कई अंतरराष्ट्रीय सार्वजनिक चिकित्सा विश्वविद्यालयों के साथ काम करने वाले काउंसलर महेंद्र जवारे पाटिल ने कहा कि वीआई वर्नाडस्की क्रीमियन फेडरल यूनिवर्सिटी ने कई भारतीय मेडिकल छात्रों को एडमिशन देने की पेशकश की है। महेंद्र जवारे ने कहा कि बुरे अनुभव से गुजरे, कई छात्रों को लगता है कि उन्हें एक सुरक्षित और स्थिर देश की यूनिवर्सिटी में प्रवेश मिलना चाहिए।