Officers’ Village : ये है अफसरों का गांव, हर घर में सरकारी कर्मचारी, विदेशों में भी अच्छी पोस्ट पर!

NEET और JEE Mains में भी यहां के बच्चों ने बाजी मारी, ये सब सरकारी स्कूल की देन!

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Officers’ Village : ये है अफसरों का गांव, हर घर में सरकारी कर्मचारी, विदेशों में भी अच्छी पोस्ट पर!

 

Dhar : कोई इस बात पर भरोसा करे या नहीं, पर आदिवासी बहुल जिले धार का एक गांव अफसरों के गांव के नाम से चर्चित है। इस गांव के लगभग हर घर में सरकारी नौकरी करने वाले लोग है। गांव की साक्षरता दर 90% है। सबसे हैरानी की बात तो यह कि गांव के बच्चे यहीं के सरकारी स्कूल में पढ़कर सरकारी नौकरी पा लेते हैं। स्कूल की पढ़ाई की गुणवत्ता ऐसी है कि शहरों के महंगे प्राइवेट स्कूल इसके सामने फेल हैं। इस गांव ने अपनी प्रतिभा को बरकरार रखा। यहां रहने वाले अधिकांश लोग सरकारी नौकरी करते है।
जिले के डही विकासखंड के अंतर्गत आने वाले इस अनोखे गांव पडियाल को अफसरों का गांव भी कहा जाता है। यहां के बच्चे पढ़ाई के साथ ही साथ प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट जाते हैं। यहां का हर बच्चा सिविल सेवक, इंजीनियर या डॉक्टर बनना चाहता है। 5000 से कुछ अधिक आबादी वाले मालवा क्षेत्र के इस आदिवासी बहुल गांव में 100 से अधिक लोग भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रशासनिक अधिकारियों के रूप में कार्यरत हैं।
गांव की करीब 90% आबादी भील जनजाति की है। भील एक जातीय समुदाय है जो मध्य भारत में रहता है, जिसमें मध्य प्रदेश के धार, झाबुआ और पश्चिम निमाड़ जिले और महाराष्ट्र के धूलिया और जलगांव शामिल हैं। ये राजस्थान में भी पाए जाते हैं। मध्य प्रदेश सरकार के दावों के मुताबिक, पडियाल गांव की साक्षरता दर 90% से ज्यादा है.
प्रदेश सरकार के मुताबिक, दो साल पहले तक इस गांव में प्रशासनिक अधिकारियों की संख्या 70 थी, जो 2024 में 100 को पार कर गई। इसमें अदालतों के न्यायाधीश, भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी, भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी, भारतीय इंजीनियरिंग सेवा के अधिकारी, डॉक्टर, अभियोजन अधिकारी, वन अधिकारी आदि शामिल हैं।
भील जनजाति बहुल गांव की शिक्षा की गुणवत्ता या साक्षरता दर का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है, कि सात स्कूली बच्चों में से चार ने ‘नीट’ की परीक्षा सफलतापूर्वक पास कर ली। तीन ने इसी साल जेईई मेंस परीक्षा पास की। राज्य सरकार ने एक बयान में कहा कि इस गांव में हर घर से औसतन एक सरकारी कर्मचारी है, यानी कुल 300 लोग। कहा जाता है कि आजादी के बाद से ही यहां के युवाओं में प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने की होड़ शुरू हो गई थी। गांव में एक हायर सेकेंडरी स्कूल है, जिसमें 702 छात्रों को 23 शिक्षक पढ़ाते हैं।
इस विशेष गांव के युवाओं की सफलता की कहानियों के गवाह हैं। गांव ने शिक्षा प्रदान करने पर अधिक जोर दिया है। स्कूली बच्चे प्रशासनिक सेवाओं, चिकित्सा और इंजीनियरिंग सहित तकनीकी या अन्य क्षेत्रों के लिए अपनी तैयारी शुरू करते हैं। प्रशासनिक सेवाओं से सेवानिवृत्त व्यक्तियों द्वारा संचालित स्मार्ट कक्षाओं ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पडियाल गांव के निवासी एक दर्जन से अधिक अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं और शिक्षा और चिकित्सा जैसी सार्वजनिक सेवाओं में लगे हुए हैं। वर्तमान में पढ़ रहे युवा बड़ों से प्रेरित होकर उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। यहां के युवा इंजीनियर और बिजनेसमैन बन गए हैं और अमेरिका और मलेशिया जैसे देशों में अच्छी तरह से बसे हुए हैं। अभी तक इस गांव के कई लोग पूरे भारत में बड़े और ओहदों पर रह चुके हैं। साथ ही कई और इसी राह पर चल पड़े हैं। ऐसे में ये गांव चर्चा में आ गया है।

ये अधिकारी इसी गांव से निकले
महेंद्र सिंह अलावा (महाप्रबंधक एयरपोर्ट नई दिल्ली), पर्वत सिंह अलावा (आईईएस रेलवे), महेंद्र पाल अलावा (आईईएस वायरलेस एंड लोकल लूप, मेडिकल ऑफिसर, एसपी सिंह (डीआईजी), लक्ष्मण सिंह सोलंकी (एडिशनल एसपी), नरेंद्र पाल सिंह (कार्यपालन यंत्री), एमपी सिंह (एसी पीडब्ल्यूडी), डीएस रणदा (अपर संचालक ग्रामीण विकास), नवल सिंह डोडवा (एसडीओ पीडब्ल्यूडी), बीएस चौहान (डीपीओ गृह विभाग), अर्जुन सिंह जमरा (एसडीओ पीडब्ल्यूडी), डॉ सुमेर सिंह अलावा, डॉ केसी राणे, डॉ केवल सिंह जमरा, लोकेंद्र अलावा (एसडीओ आरईएस), करण रणदा (एसीएफ), सुखलाल अलावा (परियोजना अधिकारी जिला पंचायत), मुकेश नंदा (एईओ आबकारी), विजेंद्र सिंह मुझाल्दा (प्लाटून कमांडर) सुरेंद्र अलावा (प्रबंधक हेल्थ विभाग), मनीष अलावा (प्रबंधक उद्योग), सहित अन्य उच्च पदों पर अधिकारी है।

बेटियों की सफलता की कहानी
इस गांव के पुरुषों ने नहीं गाड़े यहां की लड़कियां भी किसी से कम नहीं। सुनयना डामोर (सिविल जज), गरिमा अलावा (उप निरीक्षक आबकारी), बबीता बामनिया (डीएसपी), कौशल्या चौहान (टीआई), शकुंतला बामनिया (टीआई), प्रियंका अलावा (थानेदार), रिंकी बामनिया (वाणिज्यिकर अधिकारी), शीतल अलावा (एई एमपीईबी), प्रिया रणदा (एईओ आबकारी), किरण जमरा (नायब तहसीलदार), सुचित्रा रणदा (कराधान अधिकारी), मीना अलावा (सहायक आयुक्त), डॉ. निधि सिंह (एमएस), डॉ. वस्ती रणदा (एमडी), डॉ नीलमणि अलावा (एमएस), डॉ. रिंकू रणदा (एमडी), डॉ. रश्मि रणदा (एमडी), डॉ. अंजना अलावा (प्रोफेसर), संतोषी अलावा (प्रोफेसर), बसंती अलावा (प्रोफेसर), डॉ अनुभूति अलावा (बीडीएस), डॉ नेहा अलावा (एमएस), डॉ शर्मिला जमरा (एमडी) सहित कई लड़कियां अच्छे पदों पर है।