समयबद्धता की सीख मिलती है यहां से, दस रचनाओं ने ‘सुनें सुनाएं’ के 27वें सोपान को किया सार्थक!

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समयबद्धता की सीख मिलती है यहां से, दस रचनाओं ने ‘सुनें सुनाएं’ के 27वें सोपान को किया सार्थक!

 

Ratlam : सृजन प्रक्रिया से जुड़ने के लिए आज की भागदौड़ वाली जिन्दगी में समय निकालने की बहुत आवश्यकता हैं। समय की महत्ता को समझने और हर पल का सदुपयोग करते हुए सार्थक सृजन की प्रवृत्ति को बनाए रखना ही बहुत ज़रूरी हैं। इस प्रवृत्ति के बढ़ने से व्यक्ति ही नहीं पूरे शहर में एक नई चेतना आती हैं। उक्त विचार ‘सुनें सुनाएं’ के 27वें सोपान में उभर कर सामने आए। पिछले 2 वर्षों से शहर में रचनात्मक गतिविधियों के लिए वातावरण बना रहे ‘सुनें सुनाएं’ का 27वां सोपान रविवार को जीडी अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर हुआ।

इस आयोजन में दस रचनाप्रेमियों ने अपने प्रिय रचनाकार की रचना पाठ करने के साथ विमर्श भी किया। रचना पाठ की शुरुआत नरेन्द्र सिंह डोडिया ने अटल बिहारी वाजपेयी की रचना ‘हिन्दू तन- मन ‘ के पाठ से किया। इसके बाद अनीस खान ने शायरों के चुनिंदा अशआर का पाठ किया।

इसी क्रम में मधु परिहार ने मैथिलीशरण गुप्त की रचना’ दीपदान’, ओमप्रकाश मिश्र ने साहिर लुधियानवी की रचना ‘ताजमहल’, सरिता दशोत्तर ने दयालसिंह पंवार की रचना’ अपना हिन्दुस्तान कहां है’, विष्णु बैरागी ने बालकवि बैरागी की हास्य कविता ‘लाली चाली सासरे’, जीजी सिंह राठौर’ आम्बा’ ने गोपालदास ‘नीरज’ की रचना ‘जीवन नहीं मरा करता है’ विनोद झालानी ने कवियों के चंद मुक्तक, देवेन्द्र वाघेला ने अज़हर हाशमी की कविता’ ओस की बूंदों सी होती है बेटियां ‘तथा रणजीत सिंह राठौर ने श्याम माहेश्वरी की रचना ‘बहस करो’ का पाठ किया।

*इनकी रहीं उपस्थिति!* 

आयोजन की अपनी उपस्थिति से सार्थक करने वाले सुधिजनों में गुस्ताद अंकलेसरिया, डॉ. पूर्णिमा शर्मा, ललित चौरडिया, अर्थ दशोत्तर, सुनील व्यास श, मांगीलाल नगावत, शिवराज जोशी, सुभाष यादव, अशोक कुमार शर्मा, श्रीराम दवे, प्रकाश हेमावत, सत्यनारायण सोढ़ा, डॉ रविंद्र उपाध्याय, श्याम सुंदर भाटी, डॉ. मिलिन गांधी, प्रोफेसर दिनेश राजपुरोहित, नरेंद्र सिंह पंवार, आईएल पुरोहित, मीनाक्षी मलिक, सविता राठौर, अनमोल सुरोलिया, डॉ. गायत्री तिवारी, दिनेश जोशी बाजना, डॉ. गोविंद प्रसाद डबकरा, आशा श्रीवास्तव, दिव्यांश लाठी, किरण वाघेला, रजनी व्यास, आध्या काकानी, कमलेश बैरागी, दशरथ उपाध्याय, जीएस.खींची, संजय परसाई ‘सरल’, विष्णु बैरागी, महावीर वर्मा, आशीष दशोत्तर मौजूद रहें।

*अगला सोपान बच्चों का रहेगा!* 

शहर की नई पीढ़ी को रचनात्मकता से जोड़ने के लिए ‘सुनें सुनाएं’ ने जनवरी माह में होने वाले 28 वें सोपान को बच्चों पर केंद्रित किया हैं। जनवरी में होने वाले आयोजन में शहर के 20 बच्चों द्वारा अपने प्रिय रचनाकारों की रचनाओं का पाठ किया जाएगा। ‘सुनें सुनाएं’ ने शहर के रचनाशील परिजनों से आग्रह किया है कि वे अपने बच्चों को इस आयोजन में प्रस्तुति के लिए भेज कर अपनी सार्थक भूमिका निभाएं।