New Delhi : सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों में ‘वन रैंक वन पेंशन’ (OROP) मामले में केंद्र सरकार को बड़ी राहत दी। SC ने रक्षा बलों में ‘वन रैंक वन पेंशन’ योजना शुरू करने के तरीके को बरकरार रखा। फैसले में SC ने कहा कि हमें OROP के अपनाए गए सिद्धांत में कोई संवैधानिक खामी नहीं दिखी! कोर्ट ने कहा कि यह कोई विधायी जनादेश नहीं है कि समान रैंक वाले पेंशनभोगियों को समान पेंशन दी जानी चाहिए। सरकार ने एक नीतिगत फैसला लिया है जो उसके अधिकार के दायरे में है। कोर्ट ने कहा कि एक जुलाई 2019 से पेंशन फिर से तय की जाएगी और 5 साल बाद संशोधित की जाएगी। 3 माह के अंदर बकाया का भुगतान करना होगा।
SC के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच ने ये फैसला सुनाया। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने लंबी सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रखा था। ‘वन रैंक-वन पेंशन’ (OROP) की मांग को लेकर इंडियन एक्स सर्विसमेन मूवमेंट ने याचिका दाखिल की थी। केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट की सिफारिश के बिना दिया OROP पर चर्चा के दौरान बयान दिया था। जबकि, 2015 की वास्तविक नीति अलग थी।
इससे पहले SC ने केंद्र सरकार से उसके वित्तीय परिव्यय का खाका कोर्ट में पेश करने के साथ यह पूछा था कि क्या OROP के लिए के सुनिश्चित करियर प्रगति पर कोई दिशा निर्देश जारी किया गया है! कोर्ट ने पूछा था कि MACP के तहत कितने लोगों को इस सुविधा का लाभ दिया गया है?
पिछली सुनवाई में 16 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि केंद्र की अतिश्योक्ति OROP नीति पर आकर्षक तस्वीर प्रस्तुत करती है। जबकि, इतना कुछ सशस्त्र बलों के पेंशनरों को नहीं मिला! SC ने केंद्र से पूछा था कि OROP कैसे लागू किया जा रहा है और OROP से कितने लोगों को लाभ हुआ!
पेंशन की समीक्षा करने की सरकार की नीति को चुनौती
इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट ने सुप्रीम कोर्ट में सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों की 5 साल में एक बार पेंशन की समीक्षा करने की सरकार की नीति को चुनौती दी थी। वहीं केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष OROP पर अपना बचाव किया। SC के 2014 में संसदीय चर्चा बनाम 2015 में वास्तविक नीति के बीच विसंगति के लिए पी चिदंबरम को जिम्मेदार ठहराया गया। केंद्र ने 2014 में संसद में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बयान पर विसंगति का आरोप लगाया है।
चिदंबरम का बयान कैबिनेट की मंजूरी के बिना
केंद्र ने SC में दायर हलफनामे में कहा कि रक्षा सेवाओं के लिए OROP की सैद्धांतिक मंजूरी पर तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 17 फरवरी 2014 को तत्कालीन केंद्रीय कैबिनेट की सिफारिश के बिना दिया था। दूसरी ओर, कैबिनेट सचिवालय ने 7 नवंबर, 2015 को भारत सरकार (कारोबार नियमावली) 1961 के नियम 12 के तहत प्रधानमंत्री की मंजूरी से अवगत कराया था।