बिना अनुमति के मेला लगाने वालों को एक वर्ष की जेल और आर्थिक जुर्माना,भगदड़ से मौत हो जाने पर 2 साल की सजा का प्रावधान

विधानसभा में राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण विधेयक - 2023 पारित

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बिना अनुमति के मेला लगाने वालों को एक वर्ष की जेल और आर्थिक जुर्माना,भगदड़ से मौत हो जाने पर आयोजकों को 2 साल की सजा का प्रावधान

 

जयपुर। सीकर के खाटूश्यामजी और जोधपुर के मेहरानगढ़ में हुई दुर्भाग्य पूर्ण घटनाओं के बाद राज्य सरकार ने बुधवार को विधानसभा में मेला प्राधिकरण बनाने के विधेयक को मंजूरी प्रदान की। इस नए क़ानून के अनुसार राजस्थान में अब बिना अनुमति के मेला लगाने वालों को एक वर्ष की जेल और आर्थिक जुर्माना भरना पड़ेगा। भगदड़ से मौत हो जाने पर 2 साल की सजा का प्रावधान रखा गया है।

विधानसभा में पारित किए गए राजस्थान राज्य मेला प्राधिकरण विधेयक 2023 के लागू होने के साथ ही अब
मेला प्राधिकरण की शर्तों का उल्लंघन करने पर जेल की सजा और जुर्माना लगेगा।

प्रदेश की देवस्थान मंत्री शकुंतला रावत द्वारा विधानसभा में पेश विधायक में कुछ कड़े प्रावधान किए हैं। जिलों में लगने वाले मेलों की निगरानी के लिए प्रदेश और जिला स्तरीय एजेंसी बनाई जाएगी। राज्य स्तर पर राज्य मेला प्राधिकरण और जिले स्तर पर अलग  जिला मेला समिति बनाई जाएगी।

मेलों में फैली भगदड़ से मौत हो जाने पर 2 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। यह सजा आयोजकों को देने का प्रावधान किया है। कोई भी मेला बिना कलक्टर या एसडीएम की मंजूरी के नहीं लग सकेगा। कम से कम एसडीएम की मंजूरी लेना आवश्यक होगा मेले के आयोजन के लिए आयोजक संस्था को 1 महीने पहले मंजूरी आवेदन एसडीएम के पास करना होगा। मेले की मंजूरी के आवेदन पर 7 दिन में फैसला करना होगा। मेले के आयोजकों को कुछ शर्तों के आधार पर मंजूरी प्रदान की जाएगी। मेले में आने वाले लोगों के लिए पार्किंग सुविधा सुरक्षा व्यवस्था, फायर फाइटिंग और लाइफ सेविंग के साथ ही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सारी व्यवस्थाएं  नियमानुसार कायम करनी पड़ेगी।

राज्य मेला प्राधिकरण विधेयक के अनुसार राज्य स्तरीय प्राधिकरण में पर्यटन मंत्री अध्यक्ष होंगे जबकि मेलों में रुचि रखने वाली मशहूर हस्ती को इसका उपाध्यक्ष बनाया जाएगा। सभी बड़े विभागों के प्रमुख सचिव, पुलिस महा निदेशक डीजीपी, एडीजी इसके सदस्य होंगे। चिकित्सा, सार्वजनिक निर्माण विभाग, ऊर्जा, वर्ष, यूडीएच, अल्पसंख्यक विभाग पंचायती राज विभाग, सहकारिता आपदा प्रबंधन, नागरिक सुरक्षा, लघु उद्योग निगम और सूचना जनसंपर्क विभाग के प्रमुख सचिवों को प्राधिकरण का सदस्य बनाया गया है।
राज्य प्राधिकरण की 6 महीने में कम से कम एक बैठक होना आवश्यक होगी। इसके अलावा अध्यक्ष की मंजूरी से कभी भी बैठक बुलाई जा सकती है। राज्य मेला प्राधिकरण में मेले के आयोजन से लेकर उनके प्रबंधन और रेवेन्यू को लेकर पॉलिसी तय करेगा इसके साथ ही इसकी  एसओपी भी तय की जाएगी।

मेला प्राधिकरण विधेयक के अनुसार जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में जिला मेला समिति बनाई जाएगी।इस समिति का उपाध्यक्ष एसपी को बनाया गया है। जिले के सभी प्रमुख विभागों के अधिकारी सदस्य होंगे। मेलों के आयोजन की मंजूरी से लेकर उसकी निगरानी की जिम्मेदारी इस समिति के पास रहेगी। अगर मेले के आयोजन के लिए फंड की जरूरत पड़ेगी तो उसकी व्यवस्था भी राज्य सरकार से यह समिति ही कराएगी।