
Online Gaming Bill Becomes Law : राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ऑनलाइन गेमिंग विधेयक कानून बना!
New Delhi : ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद अब कानून बन गया। इस कानून के अनुसार ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया। सरकार का मकसद इस कानून के जरिए ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है। वहीं गेमिंग उद्योग का कहना है कि पूर्ण प्रतिबंध से 400 से अधिक कंपनियां बंद हो जाएंगी और दो लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं।
इस कानून के लागू होते ही भारत के ऑनलाइन गेमिंग परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ गया है। शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद से पारित इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी। इससे पहले लोकसभा से गुरुवार को इस बिल को राज्यसभा से पारित कर दिया गया था। वहीं, बुधवार को इस बिल को लोकसभा ने अपनी हरी झंडी दिखाई थी। नए कानून में ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को तो राहत दी गई, लेकिन ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। इसे लेकर गेमिंग उद्योग जगत और सरकार के मत बंटे हुए हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग उन डिजिटल प्लेटफॉर्म को संदर्भित करता है जहां खिलाड़ी खेलों में भाग लेने के लिए भुगतान करते हैं और नकद पुरस्कार जीत सकते हैं। इनमें नकद दांव और मौद्रिक जीत वाले सभी ऑनलाइन गेम शामिल हैं। ई-स्पोर्ट्स को वैध खेल का दर्जा मिलेगा। सरकार ट्रेनिंग अकादमियों, शोध और आधिकारिक प्रतियोगिताओं को सहयोग देगी। सामाजिक व शैक्षिक गेम्स को पंजीकृत कर बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि बच्चे और युवा सुरक्षित और उम्र के अनुसार खेलों के जरिए मनोरंजन और कौशल विकास कर सकें।
नए कानून में सख्त सजा का प्रावधान
मनी गेम्स ऑफर करने पर अधिकतम 3 साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक जुर्माना है। विज्ञापन करने पर 2 साल की जेल और 50 लाख रुपये जुर्माना लग सकता है। दोहराने पर 3 से 5 साल की जेल और दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना है। प्रमुख अपराधों को गंभीर और गैर-जमानती श्रेणी में रखा गया है।
निर्देश न मानने पर 10 लाख तक जुर्माना
केंद्र सरकार या नए प्राधिकरण के निर्देशों का पालन न करने पर 10 लाख का जुर्माना, पंजीकरण निलंबन या रद्दीकरण, और संचालन पर प्रतिबंध लग सकता है। मेजबानी और वित्तीय सुविधा से संबंधित अपराधों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के तहत स्पष्ट रूप से संज्ञेय और गैर-जमानती घोषित किया गया है।
कानून में खास क्या-क्या खास
इसके लिए केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी नामक नया राष्ट्रीय निकाय बनाएगी, जो यह ऑनलाइन गेम्स को श्रेणीबद्ध और पंजीकृत करेगा। यह तय करेगा कि कौन सा गेम प्रतिबंधित ‘मनी गेम’ है। शिकायतों का निपटारा और नियमों का पालन सुनिश्चित करेगा। विधेयक के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए एक नया प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा। इसकी प्रारंभिक लागत लगभग ₹50 करोड़ और वार्षिक लागत ₹20 करोड़ होने का अनुमान है, जिसका वित्तपोषण भारत की संचित निधि से किया जाएगा।





