मध्यप्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव में सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए भाजपा-कांग्रेस ने कसावट तेज कर दी है। दोनों ही दलों का फोकस बूथ-यूथ पर है। भाजपा जहां ‘बूथ विस्तारक योजना’ के तहत हर बूथ पर पार्टी को सशक्त और डिजिटल प्लेटफार्म पर लाकर अपडेट कर रही है। तो कांग्रेस ने भी फरवरी में घर चलो, घर-घर चलो अभियान के तहत ब्लॉक स्तर तक हर बूथ पर पहुंचकर पार्टी को मजबूत करने का ऐलान कर दिया है। मध्यप्रदेश के यह दोनों प्रमुख राजनैतिक दल यह समझ चुके हैं कि बिना बूथ पर मजबूत हुए नैया पार नहीं हो सकती। और डिजिटल युग में बूथ को भी डिजिटल प्लेटफार्म पर लाना जरूरी है। बूथ तक पहुंचने का एक लक्ष्य यूथ मतदाता भी हैं। टारगेट उन मतदाताओं को भी किया जाएगा जो आगामी 2023 विधानसभा चुनाव में पहली बार मतदान करेंगे। यह मतदाता जिस पार्टी की विचारधारा से प्रभावित हो गया, उसी पार्टी को लीड मिलने की संभावना बढ़ना तय है। तो युवा वर्ग में 20 से 29 वर्ष के युवा भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे। बूथ को मजबूत करने और यूथ को अपनी विचारधारा से जोड़ने का काम करने में जिस दल के संगठन ने बाजी मार ली, वही दल सत्ता तक पहुंच बनाने में कामयाब हो जाएगा। इसी लिए भाजपा-कांग्रेस संगठन 2023 विधानसभा चुनाव से 18 महीने पहले ही इस कवायद में पूरे मनोयोग से जुट गए हैं।
बूथ और यूथ का गणित समझें तो प्रदेश में 65 हजार बूथ हैं। हर बूथ मजबूत हो, इसके लिए बड़ी संख्या में समर्पित कार्यकर्ताओं के परिश्रम की दरकार होगी। तो मॉनिटरिंग इस तरह हो कि कहीं पर भी कोई कसर बाकी न रह जाए। इसमें कैडर बेस पार्टी भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस को भी अटूट मेहनत और समर्पित कार्यकर्ताओं की बड़ी फौज की जरूरत रहेगी। अगर यूथ की बात करें तो 2023 विधानसभा चुनाव में 18 साल के पहली बार मतदान करने वाले मतदाताओं की संख्या ही करीब 9 लाख होगी। इनके अलावा 19 से 21 साल के वह लाखों मतदाता भी पहली बार विधानसभा चुनाव में मतदान करेंगे, जिनका नाम मतदाता सूची में 2019 लोकसभा चुनाव के बाद जुड़ा होगा। हालांकि मध्यप्रदेश में 2020 में हुए 28 विधानसभा उपचुनावों और 2021 में हुए तीन विधानसभा और एक लोकसभा उपचुनाव में हर जगह 18 साल के हजारों मतदाता पहली बार मतदान का अवसर पा चुके हैं। पर यह युवा मतदाता 2023 विधानसभा में जिस राजनीतिक दल की तरफ भी झुकेंगे, उसका झंडा ही ऊंचा हो जाएगा। सामान्य तौर पर बात करें तो प्रदेश में 20 से 29 की उम्र के युवा करीब 28 फीसदी की भागीदारी रखते हैं। वहीं 30 से 39 की उम्र के मतदाता भी परिपक्व युवा के रूप में अहम भूमिका निभाते हैं। इनकी संख्या भी कुल मतदाताओं में करीब 25 फीसदी मानी जा सकती है। ऐसे में प्रदेश में 2023 विधानसभा चुनाव में यदि मतदाताओं की कुल संख्या करीब 6 करोड़ का आंकड़ा छूती है तो इसमें 18 से 29 साल तक के युवा मतदाताओं की संख्या ही करीब पौने दो करोड़ होगी, जो कि किसी भी दल की तकदीर लिखने और ताज पहनाने में सरताज की भूमिका निभाएंगे। और 39 वर्ष तक के मतदाताओं को युवा मतदाता मानेंगे तो प्रदेश में 3 करोड़ से ज्यादा मतदाता मतदान के महायज्ञ में किसी भी दल का गणित बनाने-बिगाड़ने में सर्वशक्तिमान की भूमिका निभाएंगे। राजनैतिक दलों को इन युवा मतदाताओं की ताकत का अंदाजा है और इसीलिए बूथ-यूथ का प्रेम सिर चढ़कर बोल रहा है।
बूथ विस्तारक योजना प्रारंभ करने से पहले भाजपा ने तय किया है कि स्वर्गीय कुशाभाऊ ठाकरे जन्म शती वर्ष में होने वाले हर कार्यक्रम में युवाओं को जोड़ा जाए। ऐसे युवा, जो पहली बार मतदाता बने हैं उन्हें भाजपा से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जाएगा। पिछले विधानसभा उपचुनावों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के ही युवाओं को सरकारी नौकरी में मौका देने का ऐलान कर यूथ वोटरों का साधने का मास्टर स्ट्रोक जड़ा था, तो कमलनाथ ने भी युवा संवाद के जरिए प्रदेश के युवाओं को साधने की कवायद की थी और युवाओं के लिए अपना प्लान बताकर ये जताया था कि कांग्रेस ही युवाओं के बारे में सोचती है और उनका भला करती है। और कमलनाथ ने 2023 से पहले पहली बार के युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए “बाल कांग्रेस” का गठन कर दिया गया है।
तो भाजपा ने बूथ और यूथ को टारगेट करते हुए बूथ विस्तारक योजना का शुभारंभ कर दिया है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा ने 20 जनवरी को राजनगर विधानसभा के उदयपुर मंडल के बूथ क्रमांक 171 पर बूथ समिति की बैठक लेकर अभियान का शुभारंभ किया। उन्होंने इरादा जताया कि श्रद्धेय कुशाभाऊ ठाकरे की जन्मशताब्दी वर्ष में भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेशभर में 65 हज़ार बूथों को सशक्त करने के लिए बड़ा अभियान आरंभ किया है। पूर्ण विश्वास है कि बूथ विस्तारक योजना के तहत हमारे 20 हज़ार विस्तारक मिलकर हर बूथ को डिजिटल व सशक्त बनाकर नया इतिहास रचेंगे। वह बूथ समिति की बैठक में शामिल हुए। विस्तारक के रूप में बूथ समिति और पन्ना प्रमुखों से चर्चा की और उन्हें बूथ के 22 कार्यों के बारे में समझाया। इसी प्रकार बूथ क्रमांक 172 में भी स्थानीय बूथ समिति के सदस्यों से संवाद किया। डिजीटल बूथ बनाने के अभियान के तहत संगठन एप्प के माध्यम से बूथ क्रमांक 172 के सदस्यों के ऑनलाइन फार्म भरवाए। अभियान के तहत केंद्रीय मंत्री, पार्टी के वरिष्ठ नेता, पदाधिकारी, प्रदेश सरकार के मंत्री, जनप्रतिनिधि और कार्यकर्ता विस्तारक के रूप में बूथ केंद्रों पर पहुँचना शुरू हो गए हैं।20 जनवरी से 30 जनवरी तक यह सिलसिला चलता रहेगा।
तो बूथ-यूथ को साधने के लिए हाल ही में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने संगठन की बड़ी बैठक ली थी। उन्होंने बताया था कि एक फरवरी 2022 से प्रदेश में घर चलो, घर-घर चलो अभियान का शुभारंभ होगा। इसके तहत ब्लाक स्तर तक जनता से सीधा संवाद व संपर्क करें, साथ ही यह भी कोशिश करें कि हम एक दिन में कम से कम पांच बूथों तक हर हाल में पहुंच सकें, कांग्रेस की रीति-नीति को जन-जन तक पहुंचायें। समय-समय पर इसकी समीक्षा भी होगी। प्रदेश भर के सभी जिलों में जिला समन्वय समिति का गठन भी करेंगे। समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित होंगे। एक फरवरी के बाद पता चलेगा कि कांग्रेस का अभियान किस तरह जोर पकड़ता है।
- तो यह तय है कि सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए प्रदेश में बूथ को चाक-चौबंद करने का सिलसिला शुरू हो चुका है। भाजपा को सत्ता में बने रहना है तब भी फैसला बूथ-यूथ के हाथ में है और कांग्रेस को कुर्सी पर वापसी करनी है तो भी बूथ-यूथ ही करवाएगा। यानि कि बूथ-यूथ ही सत्ता तक पहुंच स्मूथ करेगा।