छिंदवाड़ा के मन में क्या है, यह तो वक्त ही बताएगा…पर खजुराहो है बड़ी जीत की ओर…

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छिंदवाड़ा के मन में क्या है, यह तो वक्त ही बताएगा…पर खजुराहो है बड़ी जीत की ओर…

मध्यप्रदेश में इस समय दो लोकसभा सीटों पर ही सबकी नजरें हैं। पहले नंबर पर चर्चित लोकसभा सीट है छिंदवाड़ा और दूसरे नंबर पर है खजुराहो। छिंदवाड़ा पहले नंबर पर इसलिए कि भाजपा के लिए यही सीट सबसे बड़ी चुनौती है। तो कमलनाथ भी हार मानने वालों में से नहीं हैं। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की नैया पार लगाने के लिए महायुद्ध में दो वृद्ध नेता ही बाजी पलटने का दमखम रखते हैं। दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्री हैं। छिंदवाड़ा में कहा जाए तो नकुलनाथ तो दिखावटी चेहरा हैं, असल में तो कमलनाथ ही चेहरा थे और हैं भी। तो दूसरे दिग्विजय सिंह भी कांग्रेस की नैया पार लगाने को मैदान में हैं। हालांकि कमलनाथ की सीट छिंदवाड़ा ही मोदी युग में पिछले दो चुनावों में अविजित रह पाई है। इस बार इसे विजय करने के लिए विजयवर्गीय ने मोर्चा संभाला है। और कांग्रेस के बड़े-बड़े विकेट‌ अब धड़ाधड़ गिर-गिरकर कमल के खेमे में दौड़ लगा रहे हैं। शायद नाथ पहली बार इतने अकेले पड़े होंगे। इसीलिए नाथ को अब इमोशनल कार्ड खेलना पड़ रहा है। उम्र के इस पड़ाव पर आखिर बेटे‌ की जीत से बड़ी खुशी कुछ नहीं हो सकती तो बेटे की हार से बड़ा दुःख भी कुछ नहीं हो सकता। और अब नाथ जीत के लिए अपनी जिंदगी के छिंदवाड़ा की सेवा में समर्पित करने की दुहाई दे रहे हैं। तो छिंदवाड़ा के उलट खजुराहो लोकसभा सीट के रण में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा के सामने मानो पूरा मैदान ही खाली है।‌ इंडी गठबंधन में सपा के खाते में आई इस सीट पर कहा जाए तो पार्टी को कोई चेहरा ही नहीं मिल रहा है। पहले डॉ. मनोज यादव को मैदान थमाया, पर वह दो दिन में ही रण छोड़कर सपा के‌ प्रदेश अध्यक्ष बन गए।‌ अब पार्टी ने मीरा दीपक यादव पर दांव लगाया है। वह निवाड़ी विधानसभा से एक बार विधायक रह चुकी हैं। पर दोबारा वह नहीं जीत पाईं तो पति दीपक यादव तो 2023 विधानसभा चुनाव भी हार चुके हैं। ऐसी स्थिति में अब यह तस्वीर साफ है कि खजुराहो लोकसभा सीट पर मीरा यादव का चेहरा उतना दमदार नहीं है कि विष्णु दत्त शर्मा को चुनौती के रूप में लेना पड़े। ऐसी स्थिति में तस्वीर अब पूरी तरह से साफ है कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट पर विष्णु दत्त शर्मा बड़ी जीत की तरफ बढ़ चुकी है। खजुराहो में कितनी बड़ी जीत होगी, यह वक्त ही बताएगा तो छिंदवाड़ा के मन में क्या है,‌ यह भी वक्त ही बताएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के पांढुर्ना में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा है कि “मैं कहना चाहता हूं कि मैं अंतिम सांस तक आपकी सेवा करूंगा। मेरा पूरा जीवन आपके लिए समर्पित है। कमलनाथ ने कहा जब मैं मुख्यमंत्री था तो भाजपा मेरे ऊपर आरोप लगाती थी कि मैं सबसे ज्यादा काम छिंदवाड़ा के लिए करता हूं। मैं उनसे कहता था कि अगर मैं अपने जिले के लिए काम नहीं कर सकता तो दूसरे जिलों के लिए कैसे करूंगा। किसान कर्ज माफी में मैंने पहली किस्त में पांढुर्ना में 80000 किसानों का कर्ज माफ किया। आपके काम करना मेरी जिम्मेदारी है। पिछले 20 साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार है लेकिन क्या आपका कोई काम रुका। भाजपा वाले आपसे बहुत सी बातें करेंगे लेकिन मैं जानता हूं कि काम कैसे कराया जाता है। आपका कोई काम नहीं रुकेगा। अंत में मैं कहना चाहता हूं कि मैं अंतिम सांस तक आपकी सेवा करूंगा। मेरा पूरा जीवन आपके लिए समर्पित है।” बात यह भी है कि छिंदवाड़ा के मतदाताओं की अपनी राय है। और नकुलनाथ को सांसद के बतौर वह आजमा चुके हैं।‌ ऐसे में कमलनाथ की अपील कितनी कारगर साबित होती है, यह तो वक्त ही बताएगा।
तो दूसरी तरफ खजुराहो लोकसभा सीट पर विष्णु दत्त शर्मा चुनाव से पहले ही घोषित तौर पर रणविजेता बन चुके हैं। और मुख्यमंत्री, केन्द्रीय मंत्री की उपस्थिति में वह 3 अप्रैल को पन्ना में अपना नामांकन दाखिल करेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी एवं लोकसभा चुनाव के प्रदेश प्रभारी डॉ. महेन्द्र सिंह की उपस्थिति में विष्णु दत्त शर्मा अपना नामांकन दाखिल करेंगे। दोपहर 12.45 बजे पन्ना के छत्रसाल स्टेडियम नजरबाग में जनसभा को सभी संबोधित करेंगे। बाद में रोड शो और नामांकन रैली में शामिल होकर सभी नेतागण प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा का कलेक्ट्रेट कार्यालय में नामांकन दाखिल करायेंगे। खजुराहो लोकसभा सीट पर कांग्रेस के मैदान में न होने और सपा का कोई प्रभावी चेहरा न होने से कुशल संगठक विष्णु दत्त शर्मा प्रदेश की सबसे बड़ी जीत दर्ज करने की तरफ बढ़ रहे हैं।
पर समय से पहले यह कोई नहीं जान पाया है कि समय के मन में क्या है? विष्णु दत्त शर्मा की जीत तय भी है, पर यह कितनी बड़ी होगी यह वक्त पर पता चलेगा कि खजुराहो के मन में क्या है? तो छिंदवाड़ा में नाथ-नाथ के प्रति मतदाताओं के मन की राय में कितना अंतर नजर आ रहा है और नकुलनाथ की जीत होती है या हार, यह भी वक्त ही बताएगा…।