आपरेशन सिन्दूर नए भारत की सिंहगर्जना का स्वरुप – – शिक्षाविद डॉ सोहोनी

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आपरेशन सिन्दूर नए भारत की सिंहगर्जना का स्वरुप – – शिक्षाविद डॉ सोहोनी

अटल ग्राम सामाजिक विकास संगठन एवं समग्र मालवा द्वारा “मालवा विचार मंथन” का आयोजन

मीडियावाला न्यूज़

मंदसौर। सेना को खुली छुट देने के परिणाम स्वरूप भारतीय सेना ने अपना रूद्र रूप दिखाया और आतंकवादियों के न सिर्फ ठिकाने नष्ट किए बल्कि पाकिस्तान के एटमी युद्ध की धमकी की भी हवा निकाल दी। ऑपरेशन सिंदूर मे मिली सफलता के परिणाम स्वरूप पहली बार भारत युद्ध में सफल होकर निकला है और उसने किसी दबाव में ना आकर अपनी शर्तों पर युद्ध को रोका है। जबकि 1965 में ताशकंद समझौता कर टेबल पर समझौता किया वही 1971 मे विश्व के सबसे बड़े आत्मसमर्पण के बाद भी शिमला मे समझौता करना पड़ा। परन्तु पहली बार भारत ने बिना किसी दबाव में आए अपनी शर्तों पर युद्ध रोका है यह भारतीय सेना के शौर्य का प्रतिफल है।

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उपरोक्त विचार अटल ग्राम विकास सामाजिक संगठन एवं समग्र मालवा द्वारा मनाए जा रहे मालवा विचार मंथन आयोजित त्रिदिवसीय कार्यक्रम में जावरा के श्री राम विद्या मंदिर सभागृह में व्याख्यान माला में आपरेशन सिन्दूर भारतीय शौर्य की नई गाथा विषय पर बोलते हुए।

राजीव गांधी स्नातकोत्तर महाविद्यालय मंदसौर के पूर्व प्राचार्य शिक्षाविद डॉ. रवींद्रकुमार सोहोनी ने व्यक्त किए।

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डॉ. सोहोनी ने कहा कि देश की थल, जल और वायु सेना के समन्वित प्रयासों का ही परिणाम है कि  मात्र कुछ मिनिट में पाकिस्तान को घुटने पर ला दिया। आपरेशन सिन्दूर मे प्रयुक्त सभी हथियार स्वदेशी थे और सेना समन्वय की अदभुत गाथा को इस प्रकार समझा जा सकता है कि उसमे संदेशो का आदान-प्रदान मात्र 3 सेकण्ड मे हो रहा था।

डॉ. सोहोनी ने कहा की दुश्मन देश की कल्पना थी कि पहलगाम घटना के पश्चात भारत में सांप्रदायिक दंगे होंगे परंतु इस घटना के पश्चात भारत में हिंदू और मुसलमान ने अद्भुत एकता का परिचय दिखाया। वही सभी राजनीतिक दलों ने भी एक जुटता का परिचय देकर न सिर्फ देश में अपितु विदेशों में भी प्रतिनिधिमंडल के रूप में सांसदों ने पहुंचकर भारत की विजय पताका का गुणगान किया आपने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारतीय महिलाओं की अद्भुत शौर्य क्षमता का भी परिचायक है भारत की सात महिला सैन्यकर्मियों ने मात्र 10 मीटर दूर स्थित पाकिस्तानी सेन्य चौकी को तबाह कर दिया। कैप्टन सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह की कहानी सभी की जुबान पर है।

डॉ.सोहोनी ने अपने 40 मिनिट से भी अधिक समय के उद्बोधन मे ऑपरेशन सिंदूर एवं भारतीय सेना के शोर्य की अनेक विशेषताओं पर प्रकाश डाला।

आपने कहा कि अब नया भारत आतंकवादी हमले को सहन नहीं करेगा बल्कि उसका युद्ध के रूप में प्रतिकार करेगा।भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के साथ ही सिंधु नदी जल समझौता स्थगित कर उचित निर्णय लिया है। भारत ने अपनी क्षमताओं के आधार पर विश्व को यह जता दिया है कि वह अब दबाव में नहीं आएगा और अपनी सुरक्षा जरूरतो को न सिर्फ अपने दम पर पूर्ण करेगा अपितु उस पर होने वाले आक्रमणों का भी वह प्रतिकार करेगा।

इस अवसर पर डॉक्टर सोहोनी ने पहलगाम में मारे गए 26 भारतीयों एवं ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मारे गए सैन्य कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

कार्यक्रम के विशेष अतिथि जन परिषद के प्रांतीय सह सचिव वरिष्ठ पत्रकार डॉ घनश्याम बटवाल ने कहा कि युद्ध समाधान नहीं है मगर उसका प्रतिकार करना आवश्यक है और ऑपरेशन सिंदूर में भारत ने दुश्मन का प्रतिकार किया आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में उभरा है जो नए भारत की और इशारा करता है आपने कहा कि क्या हुआ और क्या होगा पर विचार करने के बजाय हमें क्या करना है इस पर विचार करना होगा हम देश के प्रति समर्पित हों एकजुट हों यह समय की आवश्यकता है।

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डॉ बटवाल ने कहा कि कश्मीर में ही विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे पुल का निर्माण कर भारत ने जता दिया है कि अब वह पुराना भारत नहीं है बल्कि उभरता हुआ भारत है सशक्त ओर समर्थ भारत है। आपने कहा कि भारत किसी को छेड़ता नहीं और कोई हमें छेड़े तो उसे छोड़ता नहीं यह भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखा दिया है और आतंकवादियों के पनाहगाह को नेस्तनाबूद कर दिया।

डॉ बटवाल ने कहा कि अटल ग्राम विकास सामाजिक संगठन द्वारा आयोजित मालवा विचार मंथन का आयोजन प्रशसनीय है वैचारिक समागम होना चाहिए।

कार्यक्रम के अध्यक्षता करते हुए संस्था प्रमुख अभय कोठारी ने कहा कि मालवा विचार मंथन एक वैचारिक अनुष्ठान है और इसके माध्यम से नागरिकों विचारों का आदान-प्रदान होना चाहिए आपने कहा कि संस्था अपने 25 वर्ष में प्रवेश कर रही है तथा इसका रजत जयंती वर्ष विभिन्न सेवा प्रकल्पों के साथ धूमधाम से मनाया जाएगा।

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शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण के साथ हुआ।

अतिथियों का स्वागत रमेश मनोहरा, मनोहर सिंह चौहान मधुकर, जगदीश उपमन्यु, कारूलाल जमड़ा, अशोक तिवारी, विनोद चौरसिया, वीरेंद्र सिंह चौहान, महेश शर्मा, दिलीप त्रिवेदी, अभय श्रीवास्तव, अमित ताम्रकार, श्रीमती लक्ष्मी जोशी आदि ने किया।

कार्यक्रम में संस्था द्वारा डॉ. रविंद्र कुमार सोहोनी, विशेष अतिथि डॉ. घनश्याम बटवाल, श्री अजिजुल्लाह ख़ालिद को स्मृति चिन्ह प्रदान किया।

कार्यक्रम का संचालन आयोजन समिति के संयोजक डॉ.राजेंद्र त्रिवेदी ने किया एवं आभार प्रदर्शन जगदीश उपमन्यु ने व्यक्त किया। इस व्याख्यान कार्यक्रम में गणमान्य जन लेखक साहित्यकार कवि उपस्थित रहे।