Pak occupied J K : क्या अमित शाह 8 मई को Big Anouncement करेंगे?

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Pak occupied J K : क्या अमित शाह 8 मई को बड़ी घोषणा करेंगे?

देश के गृह मंत्री अमित शाह 8 मई को जम्मू के संभावित दौरे पर क्या पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर (Pak occupied J K) को लेकर कोई बड़ी घोषणा करने वाले हैं? इसे लेकर जम्मू से लेकर तो लद्द‌ाख तक में सरगर्मी बनी हुई है।

जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा दने वाले अनुच्छेद 370 व 35-ए के खात्मे के बाद से ही केंद्र सरकार के अगले कदम याने जेके के भविष्य को लेकर भी अटकलें चलती रही हैं।

अब ऐसा लगने लगा है कि मोदी सरकार इन दो एतिहासिक फैसलों के बाद कोई और ठोस कदम उठाने वाली है, जिसकी घोषणा संभवत: 8 मई को गृह मंत्री अमित शाह कर सकते हैं।

वे उस दिन जम्मू के दौर पर जा रहे हैं, जहां जम्मू-कश्मीर पीपुल्स फरोम की रैली में शरीक होंगे। हो सकता है कि उस दिन पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर (Pak occupied J K) की वापसी को लेकर कोई हंगामाखेज बात वे कह दें।

थोड़ा इन दिनों के घटनाक्रम पर गौर करें तो महसूस होता है कि जेके में यह किसी तूफान से पहले की हलचल है। अभी 24 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जम्मू दौरा ऐसे ही संकेत दे गया।

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उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा था कि जेके के लोग उन पर भरोसा रखें कि उन्होंने अभी तक जो कुछ सहा है, वैसा अब कभी नहीं हो पायेगा।

इसके जो मायने निकालना चाहें, निकाले जा सकते हैं। मोदी ने राज्य के लिये 38 हजार करोड़ रुपये के विकास कार्यों की आधार शिला रखी तो 2 हजार करोड़ रुपये से बनी बनिहाल सुरंग का लोकार्पण किया।

साथ ही दिल्ली से कटरा तक एक्सप्रेस वे की घोषणा भी की, जिससे देश भर से आने वाले श्रद्ध‌ालुओं को वैष्णोदेवी तक पहुंचना आसान हो जायेगा।

Pak occupied J & K : क्या अमित शाह 8 मई को बड़ी घोषणा करेंगे ?

इस पृष्ठभूमि में अमित शाह का दौरा कुछ खास होने के संकेत देता है। वैसे भी वे जिस संगठन के बुलावे पर जम्मू जा रहे हैं, वह लंबे अरसे से पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर (Pak occupied J K) से आये शरणार्थियों के समुचित पुनर्वास की पैरवी करता रहा है।

संगठन की ओर से अधिकृत तौर पर कहा भी गया है कि 8 मई को पीओजेके (Pak occupied J K), 1965 में छंब से और 1971 में पश्चिमी पाकिस्तान से आये शरणार्थियों की कुरबानी और अवदान को याद किया जायेगा।

यह रैली अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर अभियान का हिस्सा होगी। साथ ही यह भी कहा कि रैली में पीओजेके की वापसी का संकल्प भी पारित किया जायेगा।

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जाहिर है कि अमित शाह ने इसमें शामिल होने की स्वीकृति देकर यह जता दिया है कि वे इस संकल्प से सहमत भी हैं और इस आयोजन का हिस्सा भी होंगे।

Gujarat CM

यदि शाह वाकई ऐसी कोई घोषणा उस दिन रैली में कर दें तो ताज्जुब नहीं होना चाहिये। आखिरकार मोदी-शाह की जोड़ी ने पहले भी अनेक मौकों पर देश को चौंकाया है।

फिर जम्मू कश्मीर तो यूं भी जनसंघ के समय से उनके दल के लिये वरीयता सूची में रहा है और श्यामाप्रसाद का बलिदान भी उन्हें लगातार इसकी याद दिलाता रहता है।

बता दें कि जम्मू कश्मीर में कभी-भी विधानसभा के चुनाव होने हैं, जिसमें भाजपा की पूरी कोशिश अपने बूते सरकार बनाने की रहेगी। साथ ही पीओजेके से जुड़े मुद्दे को वे लोकसभा चुनाव में भी उठाना चाहेंगे।

इसके लिये जरूरी है कि कोई ऐसी बात की जाये और करके दिखा दी जाये, जो पीओजेके, छंब और पश्चिमी पाकिस्तान के शरणर्थियों की सहानुभूति तो बटोरे ही, कश्मीरी पंडितों को भी मरहम लगाये और उनके मन में यह विश्वास दृढ़ करे कि भाजपा ही उनकी सुरक्षित वापसी और सम्मान की बहाली कर सकती है।

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एक और उल्लेखनीय बात यह कि देश में पूर्ववर्ती सरकारों ने हमेशा पीओके ही कहा है, जबकि भाजपा सरकार विपक्ष में रहते हुए भी उसे पीओजेके कहती रही है।

इसकी वजह यह है कि कश्मीर घाटी हमेशा से जम्मू रियासत का हिस्सा रही है। ऐसे में पाक अधिकृत हिस्सा (Pak occupied J K) भी जम्मू कश्मीर ही कहा और माना जायेगा।

यह और बात है कि पूर्व सरकारों ने कभी इस पर गौर नहीं किया। देखते हैं कि भाजपा सरकार पीओजेके को लेकर क्या रणनीति घोषित करती है और उसे पूरा करने के लिये कौन से कदम उठाती है?