New Delhi : मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Parambir Singh) मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) ने महाराष्ट्र सरकार और परमबीर सिंह दोनों को फटकार लगाई। SC परमबीर सिंह की उस याचिका पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें सारे मामले CBI को सौंपने की मांग की गई है। पहले SC ने कहा था कि महाराष्ट्र पुलिस जांच जारी रख सकती है। लेकिन, कोई चार्जशीट दाखिल नहीं करेगी। कोर्ट ने परमबीर सिंह को पुलिस जांच में सहयोग करने का भी आदेश दिया था।
परमबीर सिंह पर मुंबई के पुलिसकर्मियों ने ही भ्रष्टाचार और जबरन उगाही के कई आरोप लगाए हैं। इस मामले की जांच मुंबई पुलिस कर रही है। उससे पहले परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र सरकार में गृह मंत्री रहे अनिल देशमुख पर भी वसूली करने का आरोप लगाया था, जिसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था।
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह (Parambir Singh) बनाम महाराष्ट्र सरकार (Maharashtra Government) की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने परमबीर सिंह को बड़ी राहत दी। लेकिन, कोर्ट ने दोनों पक्षों को कड़ी फटकार भी लगाई। SC ने सिंह के खिलाफ सभी तरह की कार्रवाई पर 9 मार्च तक रोक लगा दी।
अब सुप्रीम कोर्ट (SC) तय करेगा कि परमबीर सिंह के खिलाफ सभी FIR केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को ट्रांसफर की जाए या नहीं? इस मामले में SC 9 मार्च को अंतिम सुनवाई करेगा। कोर्ट ने कहा है कि तब तक महाराष्ट्र सरकार सारे केसों की जांच होल्ड रखेगी। SC ने सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार और परमबीर सिंह दोनों को फटकारा।
सुनवाई के दौरान जस्टिस एस के कौल ने कहा ‘हम फिर से कहना चाहते हैं कि यह गड़बड़ स्थिति है। इसमें कोई दूध का धुला नहीं। इसमें राज्य प्रशासन और पुलिस व्यवस्था में लोगों के विश्वास को डगमगाने की प्रवृत्ति है। यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, लेकिन कानून की सही प्रक्रिया चलती रहनी चाहिए।’
महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कोर्ट में दलील दी कि परमबीर सिंह के खिलाफ सभी मामले CBI को ट्रांसफर नहीं किए जा सकते हैं और CBI भी केवल एक ही मामले को चाहती है। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि एक कोर्ट अफसर के तौर पर मेरा सुझाव है कि ये मामला एक एजेंसी को दे देना चाहिए और ये एजेंसी CBI है।
सुप्रीम कोर्ट में सुरक्षा की मांग करने वाली परमवीर सिंह की याचिका पर सुनवाई की शुरुआत में पूर्व पुलिस कमिश्नर के वकील ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार का दुस्साहस देखिए। SC ने कहा था कि CBI जांच करेगी, लेकिन राज्य सरकार ने CBI द्वारा दर्ज FIR को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा। SC के सामने हमारी याचिका को भी सूचीबद्ध नहीं किया जा रहा। यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के बावजूद एक मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी गई।