

परिक्रमा:आपातकाल में हुए संविधान संशोधन को लेकर राजनीतिक विवाद चरम पर!
– अरुण पटेल
आपातकाल में संविधान की प्रस्तावना में जोड़े गये समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्दों को हटाने की मांग राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले द्वारा करने के बाद इसके पक्ष-विपक्ष में प्रतिक्रियायें सामने आने लगी हैं। भारतीय जनता पार्टी और संघ परिवार ने आपातकाल के पचास साल पूरे होने के अवसर पर आपातकाल में हुई ज्यादतियों को जोरशोर से उठाया तो इस पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया भी सामने आई। कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि पचास साल बाद ही सही फिर से एक बार इस पर बहस प्रारम्भ हुई। अब यह सिलसिला लम्बा चलेगा या जल्द थम जायेगा यह आने वाले कुछ समय में ही पता चल सकेगा।
होसबाले ने कहा है कि आपातकाल के दौरान जब देश में मौलिक अधिकारों का हनन हो रहा था, संसद और न्यायालय दोनों पंगु थे, तब इन शब्दों को जोड़ा गया। होसबले के अनुसार बाबा भीमराव आम्बेडकर द्वारा निर्मित संविधान की प्रस्तावना में ये शब्द नहीं थे। होसबाले इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र के सहयोग से आयोजित इमरजेंसी के पचास साल संबंधी एक आयोजन में बोल रहे थे। उनका कहना था कि समाजवादी और पंथनिरपेक्ष शब्दों की चर्चा तो हुई लेकिन इन्हें निकालने के प्रयास नहीं किए गए। यह विचार करने की आवश्यकता है कि क्या ये शब्द संविधान की प्रस्तावना में शाश्वत हो गये हैं। उन्होंने संविधान की प्रस्तावना में इन शब्दों के रखे जाने के उद्देश्य और उन्हें हटाने की आवश्यकता प्रतिपादित की। इस दौरान लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी भी उनके निशाने पर उस समय आ गये जब उन्होंने कहा कि आज जो लोग संविधान की प्रति लेकर घूम रहे हैं उन्होंने आपातकाल के बारे में माफी नहीं मांगी है, उन्हें माफी मांगनी पड़ेगी। उन्होंने यह भी कहा कि एक लाख से अधिक लोगों को जेल में डालने और साठ लाख से अधिक लोगों का बंध्याकरण के लिए मजबूर करने वाले लोगों को देश से माफी मांगनी चाहिये।
मोदी-खरगे आमने-सामने
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच से एक्स पर कई पोस्ट कर कहा कि कोई भी भारतीय यह कभी नहीं भूलेगा कि आपातकाल के दौरान संविधान की भावना का कैसे उल्लंघन किया गया। उन्होंने संवैधानिक सिद्धान्तों को मजबूत करने की अपनी सरकार की प्रतिबद्धता भी दोहराई। मोदी ने कहा कि यह भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे अंधकारमय अध्याय में से एक है। आपातकाल में संवैधानिक मूल्यों को दरकार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया, प्रेस की आजादी को दबा दिया गया तथा बड़ी संख्या में लोगों को जेल में डाल दिया गया था। उधर आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर केंद्र सरकार और भाजपा शासित राज्यों में किये जा रहे कार्यक्रमों पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सवाल उठाते हुए कहा कि हमारी संविधान बचाओ यात्रा से भाजपा घबरा गयी है और इसीलिए ये इमरजेंसी के पचास सालों की बात कर रहे हैं। जो लोग संविधान के बचाव की अब बात कर रहे हैं और इमरजेंसी की बात बार-बार दोहरा रहे हैं, उनका संविधान बनाने में कोई योगदान नहीं है।
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने राजधानी भोपाल में आपातकाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में दो टूक शब्दों में कहा कि देश आजाद होने के बाद देश में लोकतंत्र का राज था। कांग्रेस का नेहरु-गांधी परिवार राजशाही में राज करना चाहता था इसलिए लोकतंत्र का गला घोंट कर आपातकाल लगाया गया। कांग्रेस जनता से विश्वासघात करने वाली पार्टी है, उसी पार्टी के नेता संविधान की प्रति हाथ में लेकर देश की जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं। कांग्रेस विधायक और पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना था कि भाजपा को अपने शासनकाल के पिछले 11 सालों को लेकर संविधान हत्या दिवस आयोजित करना चाहिये। यह ऐसा समय रहा जब लगातार संविधान की हत्या की जाती रही है। गाहे-बगाहे संविधान को बदलने की बात भाजपा करती रही है। पिछले 11 वर्षों से जनता अघोषित आपातकाल झेल रही है, लोग महंगाई से परेशान हैं।
… और यह भी
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के अनुसार अब रतलाम की पहचान बदल रही है। उनका कहना है कि रतलाम अब तक सेव, साड़ियों और सोने के लिए जाना जाता था, अब स्किल, स्केल और र्स्टाटअप के लिए जाना जायेगा। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय एमएसएमई दिवस पर रतलाम में रीजनल इंडस्ट्री, स्किल एवं एम्प्लायमेंट 2025 कार्यक्रम में यह बात कही। मुख्यमंत्री ने यहां घोषणा की कि यहां पर पहले से चल रही एमएसएमई इकाइयों ने नवकरणीय ऊर्जा संयंत्र लगाये तो उन्हें 20 फीसदी सबसिडी दी जायेगी। इस कान्क्लेव में 30 हजार 402 करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव मिले, जिसमें 35 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना जताई गई। एक ओर जहां रतलाम में निवेश प्रस्तावों की बारिस आई तो वहीं दूसरी ओर बुंदेलखंड अंचल में भी विकास के नये द्वार खुलने की आहट सुनाई दे रही है। यह अंचल अब और अधिक समृद्ध होगा क्योंकि छतरपुर की बक्सवाहा तहसील का सूरजपुरा फास्फोराइट उगलने लगेगा। यहां इस खनिज के विशाल भंडार में खनन की केंद्रीय मंत्रालय ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।