रतलाम रेल मंडल की कोरोना काल में बंद हुई ट्रेनें वापस प्रारम्भ नहीं होने से बढ़ी यात्रियों की मुश्किलें
रतलाम : रेलवे द्वारा एक और तो यात्रियों को रेल सुविधा देने की बात की जाती है वहीं दूसरी ओर जो सुविधा दी गई थी उन्हें कोरोना की वजह बताकर बंद कर दी गई थी।जिसके वापस चालू नहीं होने से डेली अप-डाउन करने वाले यात्रियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं।
कोरोना कॉल के पूर्व कई ट्रेनों का आवागमन और समय बेहतर होने से यात्रियों को सुविधाओं का लाभ मिलता रहा लेकिन कोरोना खत्म होने पर नागदा रतलाम के यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं हैं। कोरोना काल में कई ट्रेनों को बंद कर दिया गया था एवं कुछ ट्रेनों का समय परिवर्तन कर दिया गया था जो कि विशेषकर ग्रामीणों के लिए परेशानी का सबब बन रहा है।इन बंद की गई ट्रेनों को पुनः आरंभ करने की मांग नागदा रतलाम अपडाउनर्स संगठन ने उठाई हैं।
अपडाउनर्स संगठन के संयोजक नागदा के महेंद्र नागर ने बताया कि वह तकरीबन 20 वर्ष से अधिक समय से प्रतिदिन नागदा से रतलाम जॉब करने आते हैं,
नागर का कहना है कि ट्रैनों के सुचारू रूप से चलने पर
उन्हें और अन्य यात्रियों को कभी परेशान नहीं होना पड़ा।लेकिन आज हमें अप डाउन करने में परेशानियां उठानी पड़ रही हैं जिसका निराकरण अत्यंत आवश्यक हैं।
महेन्द्र ने बताया कि उनके जैसे ओर भी कई यात्री है जिन्हें जॉब,चिकित्सा,खेत खलिहानों के कार्य से रतलाम आना रहता हैं।लेकिन मंडल ने यात्रियों को सुविधा का लाभ देने के बजाय सुचारू रूप से चल रही ट्रैनों को बंद कर उन्हें उससे भी वंचित कर दिया।
इस विषय पर रतलाम के आसपास क्षेत्र के रहवासियों और संगठनों ने यात्री ट्रेनों को वापस चलाने की मांग करते हुए इस और ध्यान आकर्षित करने के लिए रेलवे को पत्र लिखकर भी अवगत कराया लेकिन वही घीसा पीटा जवाब रेक उपलब्ध नहीं है।
जबकि कुछ ट्रेनों का तो मंडल के कुछ स्टेशनों पर 3 से 4 घंटे का ठहराव भी हैं जिन्हें उक्त स्टेशनों के बीच चलाया जा सकता हैं।
नागदा रतलाम के 4 स्टेशनों बीच करीब 25 से 35 गांव लगते हैं, जिनकी आबादी लगभग 35-40 हजार हैं।जिसमें से ओसत साठ प्रतिशत लोग आवागमन के लिए बंद हुई ट्रैनों पर निर्भर थे जिसमें अध्ययनरत विद्यार्थी,मजदूरी पेशा,किसान एवं चिकित्सा के लाभ हेतु रतलाम आते जाते हैं.जिन्हें दोपहर में ट्रेन उपलब्ध नहीं होने पर अधिक व्यय कर के विभिन्न वाहनों से रतलाम आना-जाना पड़ता हैं,जिससे उनके जेब पर अधिक बोझ पड़ रहा है।
साथ ही दाहोद-उज्जैन-दाहोद मेमू ट्रेन को पुराने समय 16:30 बजे दाहोद से चलाई जाएं जो कि रतलाम पर 19:00 बजे आकर 19:10 पर यहां से उज्जैन के लिए प्रस्थान करती थी इसके समय परिवर्तन करने पर रात्रि में जाने वाले अपडाउन करने वाले यात्रियों एवं अन्य यात्रियों को दूरस्थ गांव के लिए साधन उपलब्ध नहीं हों पाते हैं।
नागदा से रतलाम के लिए सुबह 8:30 बजे के बाद सीधे शाम को 5:00 बजे 19820 कोटा वडोदरा चलती है इसके अंतराल में 8 घंटे के बीच में कोई भी ट्रेन उपलब्ध नहीं है।कुछ साप्ताहिक एक्सप्रेस ट्रेनें जरूर है लेकिन उनका ठहराव नही होने के कारण छोटे स्टेशनों के यात्रियों को कोई लाभ नहीं मिलता हैं।
महेंद्र ने बताया कि अप डाउन संगठन ने हस्ताक्षर अभियान चलाया।जिसकी प्रतिलिपि उज्जैन आलोट नागदा संसदीय क्षेत्र के सांसद अनिल फिरोजिया, पश्चिम रेलवे महाप्रबंधक एवं मंडल रेल प्रबंधक को पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराकर शीघ्र समाधान करने की मांग की हैं।
*इन ट्रेनों को पुनः चालू कराने की उठी मांग*
*1)* 06616 कोटा नागदा मेमू 11:40 पर आने के बाद 06615 बनाकर कोटा चलाया जा रहा है जिसका नागदा जंक्शन स्टेशन पर 3 घंटे का ठहराव है उक्त ट्रेन कोरोना के पहले रतलाम तक आती थी इसे पुनः चलाया जाएं।
*2)* 09588 इंदौर नागदा ट्रैन भी 12:40 पर नागदा जाती है जो कि 09587 बनकर दोपहर 15:30 पर रवाना होती हैं इसे भी रतलाम तक बढ़ाया जा सकता हैं।
*3)* 093 81,82 दाहोद उज्जैन दाहोद मेमू ट्रेन को पुनः 16:30 बजे दाहोद से चलाया जाए
*4)* 19023,24 फिरोजपुर जनता एक्सप्रेस जो कि सबसे लंबी दूरी की एवं सबसे पुरानी गाड़ी थी जिसे बंद किया गया उसे प्रायोगिक तौर पर चलाया जाए एवं यात्रियों में इजाफा होने पर उसे नियमित किया जाए।