पेंशन और पेंशनर सत्ता की राजनीति का शिकार..?

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श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट

राजस्थान के बाद अब छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने भी शासकीय सेवकों की पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा कर दी है. दोनों प्रदेशों मे काँग्रेस की सरकारें हैं और डेढ़ साल बाद वहाँ के अलावा मध्यप्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होना है.

ऐसे में अगर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज भी कल को पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा कर दें तो हैरान मत होइएगा. पर पुरानी पेंशन की बहाली को प्रशासनिक हल्कों और मीडिया मे गलत बताया जा रहा है.

इंडिया टुडे के ताजा अंक में  इस पर बड़ी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है। इसमें नई पेंशन के जिन पीड़ितों का हवाला दिया गया है वो अनुकंपा नियुक्ति वाले हैं.

मध्यप्रदेश मे शिवराज ने नियमित सेवकों का डीए बढ़ाने की घोषणा की है जिससे वेतन मे दो से पच्चीस हजार तक इजाफा होगा. पर हर बार की तरह इस बार भी वो पेंशनरों का भत्ता बढ़ाने पर चुप्पी साधे रहे जबकि पेंशनरों का पिछला तीन फीसदी भत्ता अभी तक रुका है.

उनके पहले नियमित सेवकों और पेंशनरों का भत्ता बढ़ाने की घोषणा एक साथ की जाती थी और केंद्र मे अब भी यही होता है. पेंशनरों के भत्ते मे ना नुकुर के लिए शिवराज छत्तीसगढ़ की आड़ लेते रहे हैं.

क्या वहाँ के मुख्यमंत्री पेंशनरों का भत्ता बढ़ाने के खिलाफ है? यदि हैं तो शिवराज यह दो टूक घोषणा क्यों नहीं करते की हम तो पेंशनरों का भत्ता बढ़ाना चाहते हैं पर छत्तीसगढ़ की टालमटोल के कारण बढ़ा नहीं पा रहे हैं..!

चूँकि छत्तीसगढ़ पहले मध्यप्रदेश का हिस्सा था इसलिए उसकी सहमति की आड़ लेकर शिवराज पेंशनरों के साथ नाइंसाफी करते हैं।

छत्तीसगढ़ मे 15 साल भाजपा के रमनसिंह मुख्यमंत्री थे और शिवराज भी 13 साल मुख्यमंत्री रहे. तबसे शिवराज सहमति की आड़ मे पेंशनरों के डीए मे लेट-लतीफी करते रहे हैं.

छत्तीसगढ़ मे काँग्रेस सरकार आने पर भी हालात नहीं बदले तो दूसरे दौर मे शिवराज यही कर रहे हैं. अब वहाँ के मुख्यमंत्री ने पुरामी पेंशन बहाल कर नया दांव खेला है तो वो पेंशनरों के भत्ते को लेकर उनका साथ नहीं देंगे. इसलिए शिवराज जी को अब यह हथकंडा त्याग कर पेंशनरों का डीए बढ़ाने के देर नहीं करना चाहिए.

इसी संदर्भ में गणेश दत्त जोशी वरिष्ठ प्रान्तीय उपाध्यक्ष पेंशनर्स एसोसिएशन, मध्यप्रदेश ने कहा है कि विधानसभा में प्रस्तुत बजट में पेंशनरों के लिए मंहगाई राहत राशि का उल्लेख नहीं है।

प्रदेश के पेंशनरों को वर्तमान में मात्र 17% मंहगाई राहत मिल रही है जो नियमित कर्मचारियों की तुलना में 14% कम हैं।

बजट भाषण में साढ़े सात लाख कर्मचारियों को मंहगाई भत्ते भुगतान की बात कही गई है लेकिन पेंशनरों का कोई उल्लेख नहीं है यह उनके साथ अन्याय है। सेवानिवृत्तों के लिये स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने का प्रावधान भी नहीं है।