Police In Alert Mode: निमाड़ में हुए उपद्रव और राजस्थान में पकड़ाए आतंकियों के बाद पुलिस हाई अलर्ट पर

शहर में कड़ी सुरक्षा के बीच चप्पें चप्पें पर तलाशी

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Police In Alert Mode: निमाड़ में हुए उपद्रव और राजस्थान में पकड़ाए आतंकियों के बाद पुलिस हाई अलर्ट पर

रतलाम से रमेश सोनी की विशेष रिपोर्ट

अभी भी चार से पांच दहशतगर्द और तीन दर्जन से अधिक आपराधिक गतिविधियों में लिप्त आरोपियों की तलाश है रतलाम पुलिस को

रतलाम: मध्य प्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में हुए दंगे और उपद्रव और राजस्थान में पकड़ाये गये आतंकवादियों के बाद रतलाम पुलिस हाई अलर्ट मोड़ पर आ गई है।

जयपुर बम ब्लास्ट मामले के मुख्य आरोपी रतलाम पुलिस के हत्थे चढ़ चुके हैं। अभी भी कुछ दहशतगर्द अपने नापाक इरादों को लेकर शहर की फिजा में जहर घोलने की करतूतें कर सकते हैं।मध्यप्रदेश, राजस्थान की पुलिस और एटीएस इस मामले को लेकर गंभीरता से जांच में जुटी है।अमूमन शहर की फिजा में कहीं फिर से अप्रिय घटनाओं को दहशतगर्द कोई अंजाम नहीं दे इस बात को लेकर रतलाम पुलिस अधीक्षक अभिषेक तिवारी अलर्ट मोढ पर है।

उन्होंने पुलिस कर्मियों को शहर के हर संवेदनशील क्षेत्रों में सख्ती से सर्चिंग करने के निर्देश दिए हैं।पुलिस शहर के गली मोहल्लों और चौराहों की दुकानों पर पड़ताल कर रही है।प्रदेश के रतलाम और खरगोन में हुई अप्रिय घटनाओं को लेकर भी रतलाम पुलिस सतर्क है।शहर के संदेहास्पद स्थानों पर सघन जांच पड़ताल कर अभियान चलाया जा रहा है।और पुलिस ने चप्पे-चप्पे को अपनी निगरानी में ले रखा है।

एसपी अभिषेक तिवारी ने जिले में पांच देशद्रोही और तीन दर्जन से अधिक आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने वाले लोगों को चिंहित किया है जिसके चलते भी पुलिस ने यह सघन पड़ताल आरम्भ की है।(सीमी,सुफा,अलसुफा) यह ऐसे नापाक इरादे रखने वालों के देशद्रोही गिरोह है जिसके सदस्य देश भर में फैलकर अपने नापाक इरादों को अंजाम देने के लिए बैठक करते हैं जिसमें से सीमी संगठन को प्रतिबंधित किया जा चुका है।जहां मौका मिला यह वारदात को अंजाम देने के लिए तैयार रहते हैं।

सन् 2014-15 में रतलाम के युवकों द्वारा सुफा नाम के संगठन के माध्यम से शहर में दहशत फैलाई थी।और इसी के चलते एक युवक को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।उसके बाद फिर एक युवक की हत्या से शहर में सुफा संगठन के नाम की दहशत फैल गई थी।तब प्रशासन हरकत में आया था और इस संगठन के गुर्गों की नाक में कानून की नकेल कसने को लेकर इस संगठन के गुर्गों की आपराधिक गतिविधियों को शिथिल किया था।

इनमें से कुछ जेल की चारदीवारी में कैद हुए और कुछ भूमिगत हो गए थे। जयपुर बम ब्लास्ट मामले में भी इसी सुफा संगठन के युवकों के तार जुड़े होना सामने आया जो जधन्य आरोप में जेल से रिहा हुए थे।आपको बता दें कि आज भी इन दहशतगर्दों के रिश्तेदारों का व्यवसाय इसी शहर में संचालित हो रहा है और इस व्यवसाय की आड़ में कहीं देश विरोधी गतिविधियों की योजना तो नहीं चल रही? पुलिस विभाग के गुप्तचरों को इस बात पर विशेष रूप से ध्यान देना होगा।इसी के चलते शहर की बम स्क्वाड टीम ने भी संसाधनों के साथ शहर के तमाम सार्वजनिक स्थानों पर सघनता से चैकिंग की।
बता दें कि एटीएस की टीम एक और जहां अपने स्तर पर जांच में जुटी है वहीं दूसरी ओर रतलाम पुलिस भी मुस्तैदी से जुटी है।

आपको यह भी बता दें कि रतलाम शहर का इस्तेमाल पिछले कई सालों से दहशतगर्दों द्वारा स्लीपर सेल के रूप में किया जा रहा है।अमन, चैन और शांति का यह शहर दहशतगर्दों को महफूज स्थान लगता है।जहां पर दिल्ली मुंबई की रेलवे कनेक्टिविटी होने के कारण यहां दहशतगर्द रातों रात अपनी बैठक कर वापस अपने मुकाम पर आसानी से पंहुच जाते हैं।

स्लीपर सेल क्या होता है?
स्लीपर सेल वह बला है जो देश के अंदर रहकर देश विरोधी साज़िश रचते हैं और हमें दिखाई भी नहीं देते हैं।आतंक की दुनिया में इन्हें ‘ डीपकवर एजेंट ‘ भी कहा जाता है।यह एक शहर में रहकर भी एक दूसरे को नहीं जानते ,किसी देश या आतंकवादी गुट के वो आतंकी जो आम लोगों के साथ रहते हैं।मगर किसी को दिखाई नहीं देते,यहां तक कि इन्हें हमले की डेडलाइन भी नहीं दी जाती है।और ये स्लीपिंग मोड में आम लोगों के साथ अपनी ज़िंदगी जीते हैं,ज़रूरत पड़ने पर ही इनका हैंडलर यानी वह इंसान जिसके पास इनकी जानकारी होती है,इन्हें एक्टीवेट करता है।

यह वो लोग होते हैं जो किसी आतंकी संगठन या देश के मोहरे होते हैं,और जरूरी होने पर ही इनसे जानकारी निकलवाई जाती है या हमले करवाए जाते हैं।कभी कभी तो इनका स्लीपिंग पीरियड काफी लंबा होता है और यह डिएक्टिवेट मोड पर होते हैं।किसी को शक न हो इसलिए इनसे कोई काम नहीं करवाया जाता है,मगर ये उस देश या आतंकी संगठन से संपर्क में रहते हैं।

कई बार इन स्लीपर सेलों को यह तक नहीं मालूम होता है कि वह क्या काम करने जा रहे हैं और किसके लिए करने जा रहे हैं। स्लीपर सेल बनाने के लिए आतंकी संगठन ऐसे बेदाग और पुलिस की लिस्ट में निरपराध युवाओं की तलाश करते हैं,जिनके जरिए वह आसानी से किसी भी बड़ी वारदात को अंजाम दे सकें।