कर्नाटक में खुलकर सामने आई सियासी रार

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कर्नाटक में खुलकर सामने आई सियासी रार

Congress Dispute in Karnatak: DK शिवकुमार के तंज भरे पोस्ट पर CM सिद्धारमैया का करारा जवाब, कांग्रेस में नेतृत्व विवाद तेज

निर्णायक मोड़ पर पहुंची पावर शेयरिंग की लड़ाई

Bengaluru : कर्नाटक कांग्रेस में लंबे समय से दबे छिपे चले आ रहे नेतृत्व विवाद ने अब खुली सियासत का रूप ले लिया है। CM सिद्धारमैया और Deputy CM DK शिवकुमार के बीच सोशल मीडिया पर जारी तंज और जवाबों ने यह साफ कर दिया है कि पार्टी के भीतर पावर शेयरिंग की लड़ाई अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। 2023 विधानसभा चुनाव के बाद से ही यह चर्चा रही कि मुख्यमंत्री पद को 2.5-2.5 साल के लिए बांटने का एक अनौपचारिक समझौता हुआ था। अब यही मुद्दा कांग्रेस की सबसे बड़ी अंदरूनी सिरदर्द बनकर सामने आ गया है।

▪️शिवकुमार का संकेतों भरा तंज

▫️कुछ दिन पहले DK शिवकुमार ने सोशल मीडिया पर “walk the talk” और “वादे निभाओ” जैसा इशारों भरा संदेश पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने सीधे नाम तो नहीं लिया पर राजनीतिक जानकारों के अनुसार वह सत्ता हस्तांतरण की अपनी पुरानी मांग को फिर सामने रख रहे थे। उनके इस पोस्ट ने कर्नाटक की राजनीति में भूचाल ला दिया और सत्ता के भीतर की खींचतान खुलकर सामने आ गई। बाद में उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि पोस्ट उन्होंने नहीं किया या “गलत समझा गया है”, लेकिन राजनीतिक विवाद तब तक हवा पकड़ चुका था।

▪️सिद्धारमैया का मजबूत पलटवार

▫️उसी रात मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने X पर एक तीखा लेकिन संयत जवाब दिया। उन्होंने लिखा कि “एक शब्द तब तक शक्ति नहीं है जब तक वह लोगों के लिए दुनिया को बेहतर न बनाए।” इसके साथ ही उन्होंने अपनी सरकार की प्रमुख गारंटियों और उपलब्धियों की लंबी सूची जारी की, मानो वह बता रहे हों कि उनकी प्राथमिकता सत्ता का हस्तांतरण नहीं, बल्कि सरकार का प्रदर्शन है।

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▫️उन्होंने दावा किया कि शक्ति योजना के तहत राज्य की महिलाओं को अब तक 600 करोड़ से ज्यादा मुफ्त यात्राएं मिल चुकी हैं। साथ में गृह लक्ष्मी, युवा निधि, अन्न भाग्य 2.0 और गृह ज्योति जैसी योजनाओं के आंकड़े देकर सिद्धारमैया ने अपनी सरकार की मजबूती प्रस्तुत की। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि 2013-18 के अपने पिछले कार्यकाल में उन्होंने 95 प्रतिशत वादे पूरे किए थे और मौजूदा कार्यकाल में भी 593 में से 243 वादे पूरे हो चुके हैं। उनका संदेश स्पष्ट था कि “कर्नाटक का जनादेश पाँच साल के लिए है और कांग्रेस अपने वादे पर डटी रहेगी।”

▪️सियासी मायने और भविष्य की लड़ाई

▫️कर्नाटक कांग्रेस का यह टकराव कोई साधारण बयानबाज़ी नहीं बल्कि आने वाले महीनों की सत्ता-राजनीति का संकेत है। शिवकुमार अपने समर्थक विधायकों के साथ पद परिवर्तन की कोशिशों को तेज कर रहे हैं और जल्द ही दिल्ली जाकर हाईकमान से मिलने की तैयारी में हैं। दूसरी ओर सिद्धारमैया लगातार यह संदेश दे रहे हैं कि उनकी सरकार स्थिर है, मजबूत है और उनके नेतृत्व के बिना कांग्रेस की योजनाओं का क्रियान्वयन संभव नहीं।

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▪️बढ़ सकता है विवाद

▫️राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि यह विवाद आने वाले महीनों में और तेज हो सकता है और कांग्रेस हाईकमान पर दबाव बढ़ सकता है कि वह स्थिति स्पष्ट करे या कोई मध्य रास्ता निकाले। कर्नाटक में यह खींचतान 2028 के चुनाव तक सत्ता संतुलन को प्रभावित कर सकती है।

▫️कुल मिलाकर कर्नाटक में कांग्रेस का “शब्द बनाम सत्ता” विवाद अब पूरी तरह खुल चुका है। एक तरफ DK शिवकुमार हैं जो सत्ता हस्तांतरण की अपनी पुरानी मांग से पीछे हटते नहीं दिख रहे, दूसरी तरफ सिद्धारमैया हैं जो जनता के भरोसे और अपनी उपलब्धियों के आधार पर अपनी कुर्सी को वैध और सुरक्षित बताते हैं। आने वाले दिनों में यह सियासी रार न सिर्फ राज्य सरकार की दिशा तय करेगी बल्कि कांग्रेस के भीतर नेतृत्व मॉडल पर भी बड़ा सवाल खड़ा करेगी।