
POLITICIANS CRIMINALS NEXUS:
राजनेताओं के आँगन में सत्ता से पोषित पल रहीं “मछलियां”
रंजन श्रीवास्तव
भोपाल के मछली परिवार का साम्राज्य पिछले चार दशकों में फला फूला और बिना किसी रोक टोक के और डर भय के आगे बढ़ता ही गया.
मछली पालन और तालाबों के ठेके लेने से आगे बढ़कर कब इस परिवार के सदस्य लव जिहाद, यौन शोषण, ड्रग्स की तस्करी और युवाओं को नशे की लत लगाना, अड़ीबाजी, लोगों पर हमला, जमीनों पर कब्जे जैसे अपराध में शामिल हो गए वह पुलिस की जांच में सामने आता जा रहा है.
जो पीड़ित थे वो भयभीत थे और इस परिवार के साम्राज्य को आगे बढ़ते हुए देख रहे थे. पुलिस तक मामले पहुँचते थे पर सत्ता से संरक्षित अपराधियों पर कौन एक्शन लेता? ऐसे भी मामले आये हैं जिनमें पुलिस अधिकारियों ने जांच के दौरान इस परिवार के सदस्यों का नाम ही एफआईआर से हटा दिया.
परिवार के 9 सदस्यों के खिलाफ लगभग 50 से ज्यादा मामले दर्ज हैं पर फिर भी विभिन्न अपराधों में लिप्त ये अपराधी ड्रग्स तस्करी से लेकर, लव जिहाद, यौन शोषण, अड़ीबाजी में लिप्त रहे और सरकारी एवं अन्य जमीनों पर बेख़ौफ़ कब्जे करते रहे.
पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाना ने अगर नशे के खिलाफ प्रदेश में अभियान नहीं चलाया होता तो शायद इस परिवार के अपराधियों की कारस्तानी अभी वर्षों तक छिपी रहती.
पुलिस द्वारा इस परिवार के दो सदस्यों को ड्रग के साथ पकडे जाने के बाद ही अन्य अपराध के मामले सामने आते गए.
इस परिवार के अपराधी इतने समय में पुलिस से बेख़ौफ़ क्यों थे उसका जवाब वो फोटो और वीडियो हैं जिनमें मुख्य अपराधी सत्ता पक्ष के नेताओं जिनमें दो मंत्री भी शामिल हैं, के साथ देखे जा रहे हैं और ये देखा जाना ऐसा नहीं है जैसे कोई अपराधी किसी मंच पर आकर नेताओं के साथ फोटो खींचवाकर चला जाए और बाद में नेताजी लोग ये बोलें कि बहुत से लोग उनके साथ फोटो खिंचवाते हैं, उन्हें क्या पता उनमें से अपराधी कौन है.
इन फोटो और वीडियो में नेताओं की जो घनिष्ठता दिख रही है उससे लगता है अगर क्राइम ब्रांच का एक्शन नहीं हुआ होता तो आने वाले समय में ये आरोपी भोपाल में किसी क्षेत्र से चुनाव भी लड़ रहे होते और अगर जीत जाते तो सदन में माननीय बनकर देखे जाते. और ऐसा नहीं की सिर्फ भाजपा के नेताओं से इन आरोपियों की घनिष्ठता है.
विपक्ष के एक नेता तो दिल्ली पहुँच गए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो से मिलकर मछली परिवार को बचाने की कोशिश में.कहा जाता है कि इस परिवार का ड्रग नेटवर्क राजस्थान और महाराष्ट्र तक फैला था. ड्रग्स के जरिए लड़कियों को ट्रैप करके उनका यौन शोषण और जबरन धर्मांतरण करवाया जाता था.
भोपाल प्रशासन 100 करोड़ रुपये से अधिक की सम्पतियों पर कब्ज़ा वापस लेकर बुलडोज़र से उनपर हुए निर्माण को ध्वस्त कर चुका है. इन निर्माण में मछली परिवार का एक महलनुमा आलीशान भवन भी है जिसमें अक्सर राजनेता और अन्य प्रभावशाली व्यक्तियों का आना जाना लगा रहता था.
यह संभव नहीं है कि कोई संगठित गिरोह इस तरह के संगीन अपराधों में इतने लम्बे समय तक लिप्त रहे और इसकी भनक या जानकारी उन नेताओं को ना रहा हो जिनके इर्द गिर्द इस परिवार के कुछ सदस्य हमेशा देखे जाते थे, वह भी तब जबकि इस परिवार के सदस्यों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट भी की जा चुकी थी.
बड़ा सवाल यह भी है कि क्या पुलिस और इंटेलिजेंस के लोगों ने इसकी जानकारी तत्कालीन मुख्यमंत्रियों को नहीं दी जिनके कार्यकाल में इस परिवार का अवैध साम्राज्य फला फूला.
वर्तमान सरकार और पुलिस महानिदेशक को पूरा हक़ है कि इस परिवार की करतूतों का भंडाफोड़ करने के लिए इसका पूरा श्रेय लें. ड्रग्स का कारोबार, लोगों में नशे की लत डालना और खासकर लड़कियों को नशे की लत लगाकर उनका यौन शोषण करना इससे बड़ा अपराध और क्या हो सकता है?
वर्तमान मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव अपनी छवि को एक हिंदूवादी नेता के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं. इसलिए यह देखने वाली बात होगी कि पुलिस खासकर लव जिहाद और यौन शोषण के मामलों को लेकर अपनी जांच कहाँ तक लेकर जाती है.
वर्तमान मंत्री, विधायक या अन्य नेता यह कहकर बच सकते हैं कि चूँकि इससे पहले ड्रग्स और लव जिहाद को लेकर इस परिवार के खिलाफ कोई बड़ा एक्शन नहीं हुआ था अतः उन्हें इनकी जानकारी नहीं थी कि इस परिवार के लोग इस हद तक गंभीर अपराधों में लिप्त थे पर देखना यह है कि मुख्यमंत्री का इस मामले को लेकर क्या रूख है.
क्या वे इस बात की जांच कराएँगे कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के किन नेताओं का संरक्षण इस परिवार के सदस्यों को इसलिए था कि ये परिवार बेख़ौफ़ अपराध करता रहे.
जाहिर है बिना पोलिटिकल विलपॉवर और आदेश के पुलिस अपनी जांच को नेताओं के स्तर तक नहीं ले जाएगी. राजनीतिज्ञ और अपराधियों का गठजोड़ समाज में नासूर की तरह है. यह गठजोड़ जब तक बना रहेगा अपराध पर वास्तविक रूप से लगाम लगा पाने की बात कोरी कल्पना होगी.





