Politics of Chhindwara : छिंदवाड़ा की राजनीति को भांपने की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी!

यही एक सीट जो भाजपा के मिशन-29 में रोड़ा, कुछ सीटों को लेकर भी भाजपा गंभीर

517

Politics of Chhindwara : छिंदवाड़ा की राजनीति को भांपने की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी!

Chhindwara : सांसद एवं कांग्रेस नेता नकुलनाथ के बाद अब उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी कहा है कि नकुलनाथ ही लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे। उधर, भाजपा ने मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार और विनोद गोटिया को छिंदवाड़ा जीतने की जिम्मेदारी सौंप दी। भाजपा उन सीटों को भी हल्के में नहीं ले रही, जहां के सांसदों को विधायक का चुनाव लड़ाया गया था।

पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा के मिशन 29 में रोड़ा बनी छिंदवाड़ा लोकसभा सीट की जिताने की जिम्मेदारी इस बार मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को सौंपी गई है। उन्हें सोमवार को आब्जर्वर बनाया और मंगलवार को वे छिंदवाड़ा पहुंच गए। छिंदवाड़ा में उनके साथ राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार और विनोद गोटिया भी पहुंचे। तीनों नेता यहां पर पार्टी की जमीन हकीकत जानने के साथ ही रायशुमारी भी कर रहे हैं।

 

नकुल कांग्रेस से ही लड़ेंगे चुनाव

छिंदवाड़ा से कांग्रेस सांसद नकुलनाथ ने सोमवार को परासिया की सभा में था कि छिंदवाड़ा सीट से इस बार भी वे ही प्रत्याशी होंगे। नकुलनाथ के बयान के बाद मंगलवार को कमलनाथ ने भी कहा कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से नकुलनाथ ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लोकसभा के लिए तैयारी शुरू कर दी है। जैसे हमेशा कांग्रेस तैयारी करती है वैसी ही तैयारी हम इस बार कर रहे हैं। एआईसीसी से नकुलनाथ ही उम्मीदवार घोषित होंगे। उन्होंने इस पर जोर देकर कहा कि नकुल कांग्रेस से ही चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वे पार्टी के लिए हमेशा की तरह चुनाव प्रचार भी करने सभी दूर जाएंगे।

 

भाजपा की रायशुमारी

भाजपा ने इस बार प्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों पर जीतने का लक्ष्य तय किया है। कमलनाथ का अभेद गढ़ माना जाना वाली छिंदवाड़ा लोकसभा सीट को जिताने की जिम्मेदारी कैलाश विजयवर्गीय और विनोद गोटिया को सौंपी गई है। दोनों ही नेता मंगलवार की सुबह छिंदवाड़ा पहुंच गए हैं। इनके साथ ही प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सदस्य कविता पाटीदार भी यहां पर हैं। तीनों नेताओं ने सुबह से ही यहां के नेताओं से अलग-अलग बात की। इसके बाद पूरे लोकसभा क्षेत्र के नेताओं की बैठक बुलाई। तीनों ने एक-एक विधानसभा क्षेत्र की बारीकी से जानकारी ले रहे हैं। इस लोकसभा क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर कांग्रेस के विधायक काबिज हैं, ऐसे में यहां के नेताओं के साथ ही इन तीनों नेताओं ने रणनीति बनाने का क्रम शुरू कर दिया है। इस बैठक के अलावा तीनों नेता यहां से दावेदारी कर रहे नेताओं से भी मुलाकात करेंगे।

 

एक बार ही भाजपा जीती

छिंदवाड़ा सीट कमलनाथ का अभेद्य गढ़ है। भाजपा के गठन के बाद से इस सीट पर भाजपा सिर्फ एक बार चुनाव जीती है, जबकि 11 बार कमलनाथ या उनके परिवार के लोग ही यहां से चुनाव जीते हैं। 1980 में कमलनाथ ने यहां से पहली बार चुनाव लड़ा था। इसके बाद वे 1991 तक चार चुनाव में लगातार जीतते रहे। वर्ष 1996 में उन्होंने अपनी पत्नी अलका नाथ को यहां से चुनाव लड़ाया वे चुनाव जीती। इसके बाद अलका नाथ ने इस्तीफा दे दिया और उपचुनाव हुए। जिसमें भाजपा पहली बार यहां से जीती थी। इस उपचुनाव में भाजपा के सुंदरलाल पटवा ने कमलनाथ को हरा दिया था। इसके बाद 1998 में कमलनाथ ने सुंदरलाल पटवा को हरा दिया। तब से लेकर 2013 तक कमलनाथ ही इस सीट से सांसद रहे। वर्ष 2018 में वे मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने अपने बेटे नकुलनाथ को यहां से लड़ाया। अभी नकुलनाथ इस सीट से सांसद हैं।

 

इन सीटों पर भी हल्के में नहीं ले रही भाजपा

सांसद से विधायक बने नेताओं की लोकसभा सीट पर भी सोमवार को आब्जर्वर बनाए गए। इन चुनिंदा सीटों पर आब्जर्वर बनाकर पार्टी ने यह साफ कर दिया है कि उसका छिंदवाड़ा सहित उन खाली हुई लोकसभा सीटों पर सबसे ज्यादा फोकस होगा। इनमें से मुरैना, दमोह, होशंगाबाद लोकसभा क्षेत्रों के उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल, जगदीश देवड़ा और मंत्री राकेश सिंह को आब्जर्वर बनाया गया है। ये तीनों नेताओं ने अपने-अपने क्षेत्र में बैठक ली। मुरैना में उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल और हेमंत खंडेलवाल ने भी पार्टी नेताओं और संगठन पदाधिकारियों के साथ बैठक की। दमोह में उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा और आलोक संजर ने बैठक की। होंशगाबाद में मंत्री राकेश सिंह और अर्चना चिटनीस ने भी बैठक करके स्थिति पता की। इस दौरान सभी ने जमीन हकीकत जानने के साथ यहां से दावेदारी करने वाले नेताओं से बातचीत की।