POLITICS OVER CRACKERS: दिवाली पर पटाखों का शोर, प्रदूषण और उस पर हावी राजनीतिक आरोप- प्रत्यारोप

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POLITICS OVER CRACKERS: दिवाली पर पटाखों का शोर, प्रदूषण और उस पर हावी राजनीतिक आरोप- प्रत्यारोप

रंजन श्रीवास्तव

दीपावली के उत्सव पर पटाखों के साथ अपने आंतरिक सुखद अनुभूति को प्रदर्शित करना एक सामान्य प्रक्रिया है और पटाखों के कारण प्रदूषण होना भी उतना ही सामान्य है पर अगर यह प्रदूषण एक निश्चित सीमा के बाहर चला जाए और इसके कारण लोगों को खासकर वृद्ध और बीमार लोगों को साँस लेने में दिक्कत आने लगे तो यह एक अच्छी स्थिति नहीं कही जाएगी.

यह और भी दुर्भाग्यपूर्ण है कि अब पटाखों के शोर और प्रदूषण पर भी राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप हावी होने लगा है.

दीपावली पर पटाखों के उपयोग, पर्यावरण प्रदूषण, धार्मिक भावनाओं पर चोट की बातें करना और राजनीतिक बयानबाजी हर बार एक विवाद का साक्षी बनता है. खासकर दिल्ली-एनसीआर में यह मुद्दा हर साल गरमाता है जहां सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की नाकाम कोशिशें होती हैं. यही कारण है की दीपावली की रात देश की राजधानी दिल्ली सहित देश में बहुत सारे शहर प्रदूषण की मार झेलते रहे.

दिल्ली में दिवाली की रात पिछले चार पांच वर्षों में सबसे प्रदूषित रात रही है. मध्यप्रदेश भी इससे अछूता नहीं था. प्रदेश की राजधानी भोपाल सहित लगभग 6 से 8 शहरों में प्रदूषण का स्तर मानक से कहीं ज्यादा रहा. ग्वालियर सबसे ज्यादा प्रदूषित था.

दिवाली की रात हवा का बहाव कम होने से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ा. हालाँकि भोपाल, इंदौर में पानी के छिड़काव से प्रशासन ने प्रदूषण को कम करने की कोशिश की पर यह कोशिश नाकाफी था.

अगर हम यह सोचते हैं कि देश के राजनीतिक दलों और राजनीतिज्ञों ने परिपक्वता का परिचय देते हुए एक साथ मिलकर इस प्रदूषण को कम करने के लिए कुछ क़दम उठाने का सोचा तो हम गलत हैं.

सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना करते हुए लोगों ने समय सीमा के बाद भी पटाखे जलाए, ज्यादा पटाखे जलाये और यही कारण था कि दिल्ली को लोगों ने पिछले चार पाँच वर्षों में सबसे प्रदूषित शहर को बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ा.

पर यही नहीं दिल्ली दीपावली की रात पूरे विश्व में किसी भी देश की सबसे ज़्यादा प्रदूषित राजधानी पाई गई और एयर क्वालिटी इंडेक्स वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन के मानकों से लगभग 60 गुना ज़्यादा पाया गया. इस पर हमें गर्व करना चाहिए या शर्म यह सोचने की बात है. हम पूरे विश्व को पर्यावरण की रक्षा हेतु क्या सन्देश देना चाहते हैं यह सोचने की बात है.

पर पटाखों का यह शोर राजनीतिक आरोपों और प्रत्यारोपों के बीच कुछ भी नहीं था.

यह अपने देश की राजनीति की विडंबना कही जाएगी कि राजनीतिक दल इस प्रदूषण की जिम्मेदारी लेने के और उसपर संकल्प सहित कुछ काम करने के बजाय एक दूसरे को इस प्रदूषण का जिम्मेदार ठहरा रहे थे. जहाँ आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की भाजपा सरकार को दोषी ठहराया. भाजपा ने आप की पंजाब में वर्तमान सरकार और दिल्ली की तत्कालीन आम आदमी पार्टी की सरकार और उसके तत्कालीन मुखिया अरविन्द केजरीवाल को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ा.

भाजपा के अनुसार विपक्षी दल देश के लोगों के धार्मिक मान्यताओं पर चोट पहुंचाने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं. यही कारण है कि भाजपा के आई टी सेल के प्रमुख अमित मालवीय को दिल्ली में पटाखों का शोर उनके कानों में एक संगीत की अनुभूति दे रहा था जिसको उन्होंने सोशल मीडिया नेटवर्क एक्स पर जाहिर भी किया.

अमित मालवीय ने कहा कि, “पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार पराली जलाने को रोक नहीं रही, दिल्ली- एनसीआर की हवा खराब करने का यही कारण है. दीपावली पर पटाखों को दोष देना बंद करें. आम आदमी पार्टी हिंदू त्योहार को बदनाम कर रही है.”

दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि आम आदमी पार्टी कि सरकार ने ने 10 साल तक प्रदूषण पर कुछ नहीं किया, अब वे केवल पटाखों को दोष देते हैं. पराली, वाहन, और मौसम भी जिम्मेदार हैं.
उन्होंने यह भी कहा कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को प्रदूषण का गैस चैंबर बनाया. “हम ग्रीन पटाखों के लिए कोर्ट में लड़ेंगे”.

दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने बयान दिया कि, “पटाखों से प्रदूषण पर कोई बड़ा असर नहीं. आम आदमी पार्टी मुस्लिम वोट बैंक के लिए पटाखों का विरोध करती है. पंजाब में 309 पराली जलाने की घटनाएं हुईं.”

आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि, “बीजेपी बच्चों-महिलाओं की जान जोखिम में डाल रही. दिवाली रात दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 1079 पहुंचा, फिर डेटा गायब हुआ. आर्टिफिशियल रेन क्यों नहीं? सीएम रेखा गुप्ता को एक्यूआई का उच्चारण भी नहीं आता.”

आरोप प्रत्यारोप के बजाय अच्छा हो कि राजनीतिक दल और राजनीतिज्ञ जो हमारा नेतृत्व कई स्तर पर करते हैं देश के ब्यूरोक्रेसी के साथ मिलकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप था तथा देश की भावनाओं का सम्मान करते हुए ऐसे प्रभावी क़दम उठायें जिससे ना सिर्फ़ देश में सिर्फ़ हवा का प्रदूषण ही नहीं बल्कि जल, और अन्य सभी दूसरे प्रदूषणों पर भी प्रभावी तरीक़े से रोका जा सके.