राज- काज:क्या संजय शुक्ला, राजूखेड़ी के नाम लगेगी भाजपा की लाटरी….?

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राज- काज:क्या संजय शुक्ला, राजूखेड़ी के नाम लगेगी भाजपा की लाटरी….?

– वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी के साथ पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी और पूर्व विधायक संजय शुक्ला के भाजपा में आने के साथ नई अटकलें शुरू हो गई हैं। कहा जा रहा है कि पचौरी को तो तत्काल कुछ हासिल होने वाला नहीं है, लेकिन भाजपा शुक्ला को इंदौर और राजूखेड़ी को धार से लोकसभा का टिकट दे सकती है।

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पार्टी ने जो पांच सीटें रोक रखी हैं, उनमें इंदौर और धार भी शामिल हैं। ऐसा हुआ तो भाजपा के निष्ठावान नेताओं के साथ अन्याय होगा, यह कहने का कोई औचित्य नहीं है। क्योंकि भाजपा नेतृत्व न इसकी परवाह करता और न ही टिकट वितरण में कोई क्राइटेरिया नजर आ रहा है। इसीलिए दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे दिग्गजों को हराने वाले भाजपा सांसदों के टिकट काट दिए गए हैं। 2019 में रिकार्ड मतों से जीतने वाले तीनों सांसद इस बार टिकट से वंचित हैं। अपने लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा सीटों से चुनाव हार चुके सांसद गणेश सिंह और केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते को टिकट मिल गए हैं। ग्वालियर और दमोह से भी विधानसभा का चुनाव हारे नेताओं को टिकट मिला है। दमोह से घोषित प्रत्याशी राहुल लोधी भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए थे। ऐसे में यदि भाजपा इंदौर से संजय शुक्ला और धार से गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी के नाम लाटरी खोल दे तो अचरज नहीं करना चाहिए।

0 इस उम्र में भाजपा को मजबूत करेंगे राजनीति के ये संत…..!

– उम्र लगभग 72 साल, कांग्रेस में रहे 52 साल लेकिन अब भाजपा को मजबूत करेंगे। जी हां, हम बात कर रहे हैं वरिष्ठ नेता सुरेश पचौरी की, जो कुछ अन्य नेताओं के साथ एक दिन पहले ही भाजपा में शामिल हुए हैं। पचौरी कांग्रेस में 52 साल रहे ही नहीं, इस दौरान पार्टी ने उन्हें उम्मीद से ज्यादा दिया। उम्मीद से ज्यादा इसलिए क्योंकि उन्होंने चुनाव लोकसभा का लड़ा और विधानसभा का भी लेकिन जीते एक भी नहीं। बावजूद इसके कांग्रेस ने उन्हें 4 बार राज्यसभा भेजा।

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वे लगातार 24 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे। कांग्रेस के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में वे रक्षा और कार्मिक जैसे महत्वपूर्ण मंत्रालयों के मंत्री रहे। इससे पहले वे युवक कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष रहे। बाद में कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाकर उन्हें विधानसभा चुनाव जिताने की जवाबदारी सौंपी गई लेकिन वे असफल रहे। अब भी उनके समर्थक उनकी सिफारिश पर प्रदेश कांग्रेस में पदाधीकारी बनते हैं और टिकट पाकर चुनाव जीतते-हारते हैं। ऐसा नेता उम्र के इस पड़ाव में पार्टी छोड़ रहा है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा ने उन्हें संत राजनेता की उपाधि दी है। संभवत: पचौरी को खुद पहली बार पता चला होगा कि वे संत प्रवृत्ति के नेता हैं। भाजपा में जाने वाले वरिष्ठ नेताओं की स्थिति बाद में बहुत अच्छी नहीं रही, देखते हैं पचौरी वहां क्या मुकाम हासिल करते हैं।

0 केपी का टिकट काटना हैरान करने वाला फैसला….!

– एक समय कांग्रेस का था, जिसे टिकट मिलता, जीत जाता था। अब भाजपा उसी शिखर पर है। पार्टी भी सोचने लगी है, वह जिसे टिकट देगी, चुनाव जीतेगा। समझौते भी ऐसे कि भाजपा से चुनाव जीते सांसदों का टिकट काटकर कांग्रेस से आए और हारे नेताओं को टिकट दिए जाने लगे हैं। सबसे बड़ा उदाहरण गुना-शिवपुरी संसदीय सीट का है। 2019 में यहां से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर केपी सिंह यादव ने महल घराने के ज्योतिरादित्य सिंधिया को सवा लाख से भी ज्यादा वोटों के अंतर से हरा कर तहलका मचा दिया था।

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बाद में ज्योतिरादित्य सिंधिया भाजपा में आ गए। इस समय राज्यसभा सदस्य हैं और केंद्रीय मंत्री भी। यहां तक कोई समस्या नहीं थी। हैरानी तब हुई जब भाजपा ने सिंधिया को हराने वाले अपने सांसद केपी यादव का टिकट काटकर ज्योतिरादित्य को ही दे दिया। केपी ने महल के सितारे और कांग्रेस के दिग्गज काे हराया था। सम्मान में उन्हें बिना मांगे टिकट मिलना चाहिए था। इससे सिंधिया को भी आपत्ति नहीं होना चाहिए थी क्योंकि वे राज्यसभा सदस्य हैं और केंद्रीय मंत्री भी। फिर भी सिंधिया को लोकसभा चुनाव लड़ना जरूरी ही था तो ग्वालियर से टिकट दिया जा सकता था। यहां भी मौजूदा सांसद का टिकट काटकर विधानसभा चुनाव हारे भारत सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया गया है। भाजपा के ये निर्णय हैरान करने वाले हैं।

उमा जी, कॉश यह बोलने में आप विलंब न करतीं….

– भाजपा की वरिष्ठ नेता साध्वी उमा भारती ने मीडिया को अपने निवास में बुलाकर कही कई बातें, लेकिन उनमें से दो ज्यादा मायने रखती हैं। एक बात से उनकी खुद की साख जुड़ी है और दूसरी से भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का राजनीतिक भविष्य। उमा ने बताया कि उन्होंने 2024 में लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला 22 जनवरी को ले लिया था, जब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। यदि यह बात वे तभी उजागर कर देतीं तो अब उन्हें लेकर सवाल न उठते, क्योंकि लोगों को 2019 के चुनाव के बाद की गई उनकी घोषणा ही याद थी, जिसमें उन्होंने 2024 में चुनाव लड़ने की बात कही थी।

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बदले हालात में उमा को अपनी साख की चिंता करना चाहिए, क्योंकि अब भी उन्हें चाहने वालों की तादाद कम नहीं है। दूसरी बात उन्होंने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को लेकर कही। प्रज्ञा को टिकट न मिलने पर उन्होंने पार्टी की ओर से माफी मांगी। उमा ने कहा कि प्रज्ञा को टिकट मिलना चाहिए था क्योंकि उन्होंने बहुत यातनाएं सही हैं और भारी दबाव के बावजूद उन्होंने पार्टी के किसी नेता का नाम नहीं लिया। साध्वी प्रज्ञा के पक्ष में उमा पहले बोल देतीं तो संभव है कि उनका टिकट न कटता। उमा इतनी सक्षम हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रज्ञा के टिकट की सिफारिश भी कर सकती थीं, क्योंकि मोदी ही प्रज्ञा से नाराज थे। इससे हर काेई वाकिफ है।

 

0 क्या सच इस बरसात सड़क पर नहीं दिखेगी एक भी गाय….?

– कमलनाथ मुख्यमंत्री थे तो कई बार उनके निर्देश सुनने को मिले थे कि सड़कों पर एक भी गौ माता दिखाई नहीं पड़ना चाहिए, पर निर्देश पर कभी अमल होता दिखाई नहीं पड़ा। सड़कों पर भूखी-प्यासी आवारा गाएं बड़ी तादाद में सड़कों में बैठी दिखाई पड़ीं। अब यह बीड़ा उठाया है प्रदेश के पशु कल्याण मंत्री लखन पटेल ने।

 

उनका विभाग है तो पिछड़ा लेकिन गौ सेवा के जरिए वे उसे अव्वल लाने के लिए प्रयासरत हैं। लखन पटेल के प्रयास का ही नतीजा है कि कृष्णवंशी मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने नवरात्रि से प्रारंभ होने वाले विक्रम संवत से गौ रक्षा वर्ष 2024 घोषित किया है। यह ऐलान भी किया कि जुलाई से बरसात के दौरान सड़क पर अब एक भी गाय नहीं दिखेगी। तब तक उनका इंतजाम कर दिया जाएगा। अर्थात पहली बार गौ माता पर सरकार गंभीर दिखाई पड़ी। इतना ही नहीं, मंत्री पटेल के प्रयास से हाल ही में गौ रक्षा संवाद आयोजित किया गया। इसमें देश भर के गौ रक्षक आए। उनके सुझाव पर मुख्यमंत्री डॉ यादव ने प्रतिदिन गौ सेवा के लिए मिलने वाली राशि बढ़ा कर दोगुनी अर्थात 20 से 40 रुपए कर दी। गायों के संरक्षण और संबर्धन के अध्ययन के लिए केिबनेट की एक कमेटी बना दी। दरअसल, मंत्री पटेल ने अपना पूरा ध्यान गायों पर केंद्रित कर दिया है। नवाचार के लिए संतों और गौसेवकों से सलाह ली जा रही है। मंत्री जी के ये प्रयास तारीफ के काबिल हैं।