Poor Work of Smart City : संवर रहे ‘नेहरू पार्क’ में कीड़े लगी लकड़ियों का दाग!

स्मार्ट सिटी कंपनी के इंजीनियरों की आंखों के सामने घटिया स्तर का काम

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Poor Work of Smart City : संवर रहे ‘नेहरू पार्क’ में कीड़े लगी लकड़ियों का दाग!

Indore : बरसों पुराने शहर के नेहरू पार्क को नगर निगम फिर संवारने का काम कर रहा है। ये जिम्मेदारी स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट को दी गई है। लेकिन, कंपनी के इंजीनियरों का एक और घटिया काम सामने आया। शहर के मध्य स्थित एकमात्र नेहरू पार्क में बच्चों के लिए टॉय ट्रेन चलाने के लिए पटरियां बिछाई जा रही हैं। इन पटरियों के पास लगने वाली रैलिंग में स्मार्ट सिटी कंपनी के इंजीनियर सड़ी हुई कीड़े लगी लकड़ियां लगवा रहे हैं।

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रैलिंग देखने से ही समझ आता है, कि लकड़ियों में घुन लगी है, जिनके डंक के निशान साफ दिखाई दे रहे हैं। ये चंद महीनों में ही पूरी लकड़ी को खा जाएंगे और न केवल सौंदर्यीकरण बदसूरत में बदल जाएगा, बल्कि लोकधन भी बर्बाद होगा। जानकारी अनुसार नेहरू पार्क के सौंदर्यीकरण का कार्य स्मार्ट सिटी कंपनी करवा रहा है। इसमें लंबी जद्दोजहद के बाद बच्चों के लिए टॉय ट्रेन चलाने की प्लानिंग की गई। इसे मूर्त रूप देने के लिए जोधपुर की कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिया है। इसके बाद स्मार्ट सिटी कंपनी के इंजीनियर इस काम की और ध्यान नहीं दे रहे।

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यहां टॉय ट्रेन की रैलिंग में सड़ी और घुन लगी लकड़ियां लगाई जा रही हैं। लकड़ियों के कुछ टुकड़ों में ही हो ऐसा नहीं है। सभी रैलिंगों के भागों का निरीक्षण करें, तो समझ आता है कि अधिकांश लकड़ियों में घुन लगी है। इस पर स्मार्ट सिटी के किसी भी इंजीनियर का ध्यान ही नहीं। जबकि, नेहरू पार्क में ही स्मार्ट सिटी कंपनी का ऑफिस है और उसके अधिकारी और इंजीनियर दिन में कई बार इसी रैलिंग के पास से गुजरते हैं। इसके बाद भी इंजीनियर और अधिकारी घुन लगी लकड़ी को नहीं देख रहे हैं तो इसका साफ मतलब है कि उनके द्वारा जानबूझकर अनदेखा किया जा रहा है।

खत्म हो जाएगा सौंदर्यीकरण

प्रतीत होता है कि ये घुन अभी लकड़ियों के अंदर ही हैं और धीरे-धीरे अंदर ही अंदर लकड़ी को चटकर रहे हैं। इससे चंद महीनों में ही सौंदर्यीकरण के लिए लगाई गई ये रैलिंग बदसूरत हो जाएंगी और जमीन पर धराशाही हो जाएंगी। उधर, अधिकारियों के अनुसार रैलिंग के लिए लकड़ी खरीदी नहीं गई है। पुरानी लकड़ियों को ही सुधार करवाकर लगाया जा रहा है। फिर अगले ही पल कहा कि शहर में गिरे हुए पेड़ों से बनवाई गई है, लेकिन दोनों ही परिस्थिति आरा मशीन की जरूरत है और आरा मशीन वहां कहीं दिखाई नहीं देती।

यदि प्राइवेट आरा मशीन से लकड़ी चिरवाई गई तो लोकधन खर्च किया गया। ऐसे में लोकधन तो बर्बाद होगा ही साथ लकड़ी खराब होने से सौंदर्यीकरण भी बदसूरत में बदल जाएगा। स्मार्ट सिटी के इंजीनियर डीआर लोधी ने बताया कि हमने लकड़ी खरीदी नहीं है, पुरानी लकड़ियों से ही रैलिंग बनवाई है। शहर में गिरे हुए पेड़ों की लकड़ी का इस्तेमाल किया है।