Prabhat Ferry of Hanuman Devotees : दुनिया की सबसे बड़ी प्रभात फैरी में सवा लाख लोग!  

इंदौर का पश्चिमी इलाका रणजीत हनुमान की भक्ति में डूबा!  

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Prabhat Ferry of Hanuman Devotees : दुनिया की सबसे बड़ी प्रभात फैरी में सवा लाख लोग!  

Indore : शहर के पश्चिमी इलाके में आज रणजीत हनुमान की प्रभात फैरी निकली। यह प्रभात फैरी का 137वां साल है। सुबह 5 बजे हुए इस आयोजन में सवा लाख से ज्यादा लोगों के शामिल होने का अनुमान है। दूर-दूर तक भीड़ ही भीड़ दिखाई दे रही थी। देर रात से यहां इसकी तैयारी की जा रही थी। सुबह 5 बजे शुरू हुई रणजीत हनुमान की प्रभात फैरी 4 घंटे में दशहरा मैदान पहुंची।

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भगवा ध्वजा लिए पुरुष और महिलाएं भगवान रणजीत के जयकारों की गूंज। पूरा माहौल भगवा। फूलों से सजा रणजीत हनुमान का स्वर्ण रथ। रथ में विराजे रणजीत हनुमान और भगवान के दर्शनों की चाह में वहां पहुंचे भक्त। प्रभात फैरी का स्वागत करने के लिए सड़क किनारे लगे मंचों पर खड़े लोग।

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रणजीत हनुमान मंदिर से सुबह 5 बजे से पहले शुरू हुई प्रभात फैरी दो घंटे में महू नाका और फिर दो घंटे बाद सुबह 9 बजे दशहरा मैदान पहुंची। इस पूरे रास्ते पर एक जैसी भीड़ रही। रणजीत भगवान का स्वर्ण रथ जैसे-जैसे आगे बढ़ता रहा, भक्तों की संख्या बढ़ती गई। लोग परिवार के साथ बाबा के दर्शन करने पहुंचे। लोग अपने छोटे बच्चों को भी दर्शन के लिए लेकर आई।

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इस पूरे रास्ते पर प्रभात फैरी का फूलों से जबरदस्त स्वागत किया गया। ढोल की धुन पर भक्त नाचते-गाते आगे बढ़ रहे हैं। जगह-जगह स्वागत मंच लगे हैं। यहां खाने-पीने की भी व्यवस्था की गई है। आसमान से ड्रोन से भी फूल बरसाए गए। बताते हैं कि रणजीत हनुमान मंदिर की स्थापना के साथ ही इस प्रभात फेरी का आयोजन होने लगा था। रणजीत हनुमान मंदिर की यह प्रभात फेरी चंद भक्तों से शुरू हुई थी, जो आज दुनिया विश्व की सबसे बड़ी प्रभात फेरी होने का दावा कर रही है।

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136 साल पुरानी है ये परंपरा

रणजीत अष्टमी के मौके पर 137वें साल में ये प्रभात फेरी निकल रही है। इसके पहले मंदिर के पुजारी पं. दीपेश व्यास और अन्य पुजारीगण बाबा की विग्रह प्रतिमा को मंदिर से बाहर स्वर्ण रथ पर लेकर आए। पूरे विधि-विधान के साथ बाबा के विग्रह को रथ में विराजित किया गया। रथ और उसके आसपास भव्य आतिशबाजी भी की। रथ के आगे भजन मंडलियों के बीच भजनों की प्रस्तुति देते हुए कलाकार आगे बढ़ रहे हैं। नासिक की ढोल पार्टी ( ध्वज पताका) भी भक्तों को आकर्षित कर रही है। भजनों की धुन पर नाचते-झूमते हुए भक्त शामिल हैं।