अनवरत रहे प्रकृति वंदन- पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति के तत्वावधान में पर्यावरण पर अनूठी गोष्ठी
प्रकृति हमारी माँ है , इसको सहेजना माँ की सेवा है.यह हमारे हाथ में है हम सुबह अपने ही हाथों के हथेलीके दर्शन करते हैं,उन सौभाग्यशाली हाथों से धरती ओर पंचतत्वों की रक्षा के लिए रोज़ एक छोटासा ही प्रयास करते होंगे यह हमारे स संस्कारों में सिखाया जाता रहा है ..धरती आग उगलने लगी है .जल घटता जा रहा है दक्षिण अफ्रीका का एक बड़ा शहर जल विहीन घोषित किया जा चूका है ,जीव जगत भौतिक जगत में उपेक्षित हो रहे है .हमारी संवेदनशीलता लगातार कम होती जा रही है ,यदि यही स्थिति बनी रही तो एक दिन पृथ्वी पर हमारे जीवन मूल्यों का कोई अर्थ नहीं रह जायगा .अपनी संवेदना को बचाए रखने और जीवन मूल्यों को संस्कारित ,रोपित करने के लिए धरती परआप पर्यावरण “पंचतत्व” को बचाए ,रखने जीवन मूल्यों को बनाए रखने के लिए क्या करते है ?या कैसे प्रयासरत है !इस विषय पर क्या आयोजन करते है? और क्या करते रहे है? यह जानने का एक प्रयास किया गया ,यह कार्य “प्रतिष्ठा” संस्था द्वारा पर्यावरण पखवाड़े के तहत आयोजित किया गया , ‘प्रतिष्ठा’ संस्था पंडित दीनानाथ व्यास स्मृतिप्रतिष्ठा समिति के तत्वावधान में कार्यरत है .संस्था की संस्थापक डॉ स्वाति तिवारी द्वारा इस आयोजन को वर्चुअल आयोजित किया गया .आयोजन में बड़ी संख्या में सदस्यों ने भागीदारी की .पर्यावरण रक्षा के लिए प्रेरक इस अनूठी गोष्ठी में अलग अलग विषयों पर लोगो ने अपने अनुभव और कार्य रखे ,——इस चित्र के साथ विषय दिया गया था –
कराग्रे वसते लक्ष्मी:, करमध्ये सरस्वती । कर मूले तु गोविन्द:, प्रभाते करदर्शनम ॥
आईये देखते है कुछ प्रेरक प्रसंग- 1 इंदौर की समाज सेवी श्रीमती प्रभा जैन ने बताया कि उन्होंने विगत वर्ष तुलसी के 600 पौधे तैयार लोगो में वितरित किये ,तुलसी एक धार्मिक और आयुर्वेदिक प्लांट है जिसका सभी धर्मों में बहुत महत्त्व है ,वे रोज सबेरे सड़क के कुत्तों के लिए टोस्ट डालती है और उनके लिए होदी भर कर प ताजा पानी रखती है .रक्त दान महादान है और वे पांच बार रक्त दान कर चुकी हैं .उनके द्वारा प्याऊ और सड़क पर पेयजल की उपलब्धता पर भी सामाजिक कार्य किया जा रहा है .वे कई संस्थाओं में कार्य करते हुए सामाजिक उन्नयन के लिए सदा कार्यरत रहती हैं.
स्ट्रीट
1.तुलसी वितरण प्रभा जैन 2.डॉग को पैर का प्लास्टर चढ़वाते हुवे मणि माला
2.इंदौर लेखिका संघ की सचिव मणिमाला शर्मा कहती है किमेरा पशु प्रेम विशेष कर स्ट्रीट श्वान के प्रति प्राकृतिक रूप से चरम पर है ! यूँ तो जीव मात्र के प्रति दया भाव रखती हूँ , इन दिनों चूहों का आवास बना हुवा है घर , तो परेशान हूँ पर दिन भर उनके लिए जगह – जगह भोजन रख रही हूँ “राम दी चिड़िया राम दा खेत” कहीं मन में रचा – बसा है !
श्वान प्रेम की वजह से तो बसा – बसाया घर छोड़ किराए के घर में रह रही हूँ ! ख़ैर हम पर आश्रितों को जीवनयापन में मदद करना हमारा नैतिक दायित्व है , जो हम सब यथा संभव करते हैं .आज एक अलग तरह का कार्य करके आ रही हूँ .इंदौर के बावड़ी प्रसंग को कोई भूल नहीं सकता ,आज उसी के पीड़ित परिवार से मिली एक बच्चे से जिसने अपने पिता को उस हादसे में खो दिया ,उसकी माँ किरण से मिली .यह बच्चा नन्दू ❤️ पैरों से विकलांग माँ किरण अग्रवाल बहन का एकमात्र सहारा ! नन्दू भगवान से एकदम ख़फ़ा , क्योंकि रामनवमी वाले दिन हुवे बावड़ी के हादसे में पिता को खोया और ख़ुद ने भी क़रीब २.३० घण्टे बावड़ी में जीवन और मृत्यु के ताण्डव को खुली आँखों से देखा ! ईश्वर ने न्याय किया या अन्याय उसकी लीला वो ही जाने , पर नन्दू और माँ से आज पहली बार मिली ! मन को असीमसन वेदना के बावजूद कुछ देर उनके साथ उनका दुःख सुनने से एक परिवार को सांत्वना के कुछ शब्द कह कर अपना ही मन हल्का किया दुःख में जरुरी नहीं हम उन्हें पहचानते हों ,हमारी उपस्थितिही एक संबल हो सकती है यही सोच कर गयी ,क्योंकि हमेशा गाती हूँ कि दुखियों के दुख हम दूर करें.
3.लोक चित्रकार पर्यावरण प्रेमी श्रीमती वन्दिता श्रीवास्तव ने अपने बगीचे का दृश्य वर्णित किया –
हरित डायरी
सूरज बांस के झुरमुट से झांक रहा है आंगन
बगीचे मे।
हरी पातो मे बैठी धूप खिल खिल कर रही और मै
समाचार पत्र मे कुछ पढ़ रही।
जंगली मैना समूह के आने का समय हो गया है।।
आवाजें गूंज रही चहचहाहट की।
देशज खाना खा रही है सकोरे मे और पानी मे डुबकी लगा किल्लोल कर रही हैं सब।
ओहो आज तो बच्चे भी हैं। मन बहुत खुश हुआ।
बच्चे है बिस्किट तो चाहिये न।मन ने सोचा।
बिस्किट के टुकडे फैलाये आंगन मे।विशेष नाश्ता है आज तो।।
आठ दस चिडिया अतिथि संग मे ।विशिष्ट अतिथि
गिलहरी जी भी बड़े चाव से बिस्किट खा रहीहैं।
मां बच्चे को खिला रही।
चोंच से बिस्किट तोड़ा ,दाने बिखरे तो उनको नन्हा बच्चा अपने आप खा रहा।कितना प्यारा कोमल दृश्य।
मै मंत्र मुग्ध हो नाश्ते की हल चल देख आनंदित थी।
पांच दस मिनट सब कुछ उदरस्थ।
चींची करते काफिला नील आकाश मे।
प्रतिदिन बांस के झुरमुट का यह दृश्य रहता है।अत्यंत सुखद। ।
चिड़ियो गिलहरियो को दाना पानी देने का यह क्रम बहुत वर्षो से चल रहा है ईश्वर सदैव कृपा से।
कल की हरित कथा कल कहते हैं।
चीं चीं चीं।।
शेष प्रसंग – अगली किश्त में , क्रमश:——–प्रस्तुति डॉ स्वाति तिवारी
Taylor Bird,घोसलों का विज्ञान: टेलर बर्ड की सिलाई कला , पत्तों को चोंच से सीलकर बनाया घोंसला
इंदौर लेखिका संघ ने साहित्यिक गतिविधियों के साथ ही सामाजिक कार्यों के नए नवाचार शुरू किए