
Prayagraj Maha Kumbh: प्रयागराज महाकुंभ पर प्रतिष्ठा समिति ने आयोजित की डिजिटल संगोष्ठी
हाल ही में कुंभ यात्रा से लौटे डॉक्टर उल्हास महाजन ने कहा- आस्था और श्रद्धा का दुनिया का सबसे बड़ा समागम
भोपाल: प्रयागराज महाकुंभ के आयोजन पर पंडित दीनानाथ व्यास स्मृति प्रतिष्ठा समिति भोपाल द्वारा डिजिटल संगोष्ठी आयोजित की गई।
इस में कुंभ स्नान कर हाल ही में आए इंदौर के सुप्रसिद्ध हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उल्हास महाजन सहित कई
कई साहित्यकारों ने भाग लिया।
इस अवसर पर डॉक्टर महाजन ने कहा कि कुंभ मेला दुनिया का सबसे बड़ा सार्वजनिक समागम और आस्था का सामूहिक आयोजन है, इसमें आस्था और श्रद्धा से जाएँ, संगम पर माँ गंगा की पूजा और स्नान करके जैसे मुझे लगा मैंने यहाँ अपनी माँ की इच्छा पूर्ति करके उनका तर्पण कर दिया। वे चाहती थी कि परिवार इस पावन पर्व में पुण्य लाभ ले।
कुंभ में उनके अभी हाल फिलहाल के अनुभव पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वहां पर सुचारु व्यवस्था और स्नान के लिए सुव्यवस्थित तैयारी देखी और प्रशासन की व्यवस्था की प्रशंसा भी की। इतना बड़ा आयोजन सिर्फ प्रशासन की या सरकार की नहीं यह हम सब की जिम्मेदारी है। हमें नियमों और व्यवस्थाओं का पालन करना चाहिए तभी आनंद मिलता है। उन्होंने सबसे आग्रह भी किया कि अगर कुम्भ में जाए तो पूरे अनुशासन और संयम बरतें तथा शांति और धैर्य के साथ प्रशासन को भी पूरा सहयोग करें। उनका अनुभव आनंद दायक रहा।
तीर्थ के राजा प्रयागराज में एक महीने का महाकुंभ चल रहा है। कहते हैं कि यह कुंभ इतना महत्वपूर्ण है कि 144 साल बाद आया है। इसी पर संवाद संस्मरण पर डिजिटल संगोष्ठी में सभी ने संवादों और अनुभव और विचारों को साझा किया।
यह चर्चा इतनी रोचक और ज्ञान वर्धक थी कि श्रोताओं ने कहा कि चर्चा से ही हमने कुंभ की त्रिवेणी में ही डुबकी लगा ली। कहीं किसी की आनंदमयी स्नान की अनुभूति को सुना गया , तो किसी के अनुभूत चमत्कार आश्चर्यचकित कर गए। विशेष वक्ता श्री मनीष मिश्रा ,संयुक्त संचालक मानव अधिकार आयोग,छत्तीसगढ ने विषय प्रवर्तन करते हुए कुंभ और उसकी कहानी पर प्रकाश डाला। महाकुंभ के आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व पर जानकारी दी तथा उसके धार्मिक महत्व की भी जानकारी साझा की।उन्होंने कहा प्रत्येक स्थल का उत्सव सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति की ज्योतिषीय स्थितियों के एक अलग सेट पर आधारित है। उत्सव ठीक उसी समय होता है जब ये स्थितियाँ पूरी तरह से व्याप्त होती हैं, क्योंकि इसे हिंदू धर्म में सबसे पवित्र समय माना जाता है। कुंभ मेला एक ऐसा आयोजन है जो आंतरिक रूप से खगोल विज्ञान, ज्योतिष, आध्यात्मिकता, अनुष्ठानिक परंपराओं और सामाजिक-सांस्कृतिक रीति-रिवाजों और प्रथाओं के विज्ञान को समाहित करता है, जिससे यह ज्ञान में बेहद समृद्ध हो जाता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संस्था की अध्यक्ष साहित्यकार डॉ. स्वाति तिवारी ने प्रयागराज में घटी अप्रत्याशित घटना पर दुःख व्यक्त करते हुए उन श्रद्धालुओं को श्रद्धांजली अर्पित की जिन्होंने अपनी जान गंवा दी।
आयोजन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि यह आयोजन जीवन की विराटता का ही आयोजन है। यह सनातन परम्परा सम्पूर्ण विश्व में केवल हमारे पास है। इसकी पावनता और उद्देश्य को नयी पीढ़ी से साझा किया जाना बेहद जरुरी है। उन्होंने उज्जैन सिंहस्थ कुम्भ के अपने अनुभव साझा किये और अपील की की अपने भाव निर्मल और आम व्यक्ति के साथ समायोजित करते हुए वहां जाना और सेवा भाव से सबके हित को ध्यान में रखना चाहिए।
कार्यक्रम में मुंबई से डॉक्टर उषा सक्सेना ने कुंभ को एक नए नजरिया से अपनी बात रखें। लेखिका आशा जाकड़ जी ने भी कुंभ पर सुंदर कविता का पाठ करते हुए अपने विचार रखे। डॉ अंजुल कंसल ने भी कुंभ पर बात की ।साथ ही वरिष्ठ लेखिका न्यायाधीश श्रीमती निहारिका सिंह ने नागा साधुओं के बारे में बहुत सी अद्भुत रहस्यमयी जानकारियों पर बात की। डॉक्टर सुमन चौरे ने भी कुंभ के महत्व को समझाया। कार्यक्रम का संचालन सुषमा व्यास राजनिधि ने किया तथा कार्यक्रम में मणिमला शर्मा ,कुसुम सोगानी तथा डॉ संगीता पाठक अनेक वरिष्ठ साहित्यकार जुड़े।