Prepaid Smart Meter: MP में सरकारी कार्यालयों में बिजली अब प्रीपेड स्मार्ट मीटरों से, शुुुरुआत 46 हजार 500 कार्यालयों से, 24 हजार 170 करोड़ रुपए की कार्ययोजना
भोपाल. अब सरकारी विभागों में भारी भरकम बिजली बिल बकाया होने के कारण प्रदेश की बिजली कंपनियों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा और बिलों के भुगतान कराने के लिए सरकारी कार्यालयों को बार-बार बिल जमा करने के लिए याद भी नहीं दिलाना पड़ेगा। वर्ष 24-25 में सभी सरकारी कार्यालयों को प्रीपेड विद्युत मीटरों के जरिए ही विद्युत प्रदाय की जाएगी। पहले चरण में इसकी शुरुआत ब्लॉक स्तर के 46 हजार 500 शासकीय कार्यालयों से की जाएगी। इसके लिए केन्द्र सरकार से अनुदान मिलेगा और राज्य सरकार भी बिजली कंपनियों को आर्थिक मदद उपलब्ध कराएगी। वित्त विभाग ने भी उर्जा विभाग के इस प्रस्ताव को सहमति दे दी है।
मध्यप्रदेश में विद्युत वितरण कंपनियों द्वारा रिवेम्प्ड डिस्ट्रीब्यूशन सेक्टर स्कीम(RDSS) योजना के तहत स्मार्ट मीटरिंग और सिस्टम मीटरिंग तथा विद्युत अधोसंरचना निर्माण और उन्नयन के काम किए जा रहे है। इस योजना में स्मार्ट मीटरिंग कार्य के लिए पंद्रह प्रतिशत और अधोसंरचना उन्नयन के लिए साठ प्रतिशत अनुदान भी बिजली कंपनियों को दिया जाएगा। प्रदेश के उर्जा मंत्रालय ने RDSS योजना के अंतर्गत वितरण कंपनियों के लिए 24 हजार 170 करोड़ रुपए की कार्ययोजना का अनुमोदन किया है। जिसमें केन्द्र सरकार का अनुदान 10 हजार 700 करोड़ रुपए होगा।
RDSS योजना के दिशा निर्देशों के तहत केन्द्र सरकार से मिलने वाले साठ प्रतिशत अनुदान को प्राप्त करने के लिए निर्धारित पूर्व योग्यता मानदंडों को पूरा करना जरुरी होगा।
इस योजना के तहत इस वर्ष शत प्रतिशत शासकीय कार्यालयों को प्रीपेड किया जाना है। उपभोक्ताओं के यहां लगाए जाने वाले स्मार्ट मीटर कार्य के लिए भारत सरकार का अनुदान प्रीपेड व्यवस्था लागू किए जाने के बाद दिया जाएगा। यदि मध्यप्रदेश योजना के मापदंडों की पूर्ति नहीं कर पाया तो ऐसी स्थिति में केन्द्र सरकार का अनुदान रोका जा सकता है। इसलिए राज्य सरकार इस योजना को पूरी तरह लागू करने के पक्ष में है।
पहले चरण में सरकारी कार्यालय स्मार्ट मीटर से होंगे प्रीपेड
इस योजना में पहले चरण में प्रदेश के ब्लॉक स्तर के 46 हजार 500 शासकीय कार्यालयों में प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। अस्पताल और जल प्रदाय जैसी अत्यावश्यक सेवाओं को फिलहाल इस नये प्रावधान से मुक्त रखा जाएगा। अगले चरण में सभी कनेक्शनों पर प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे।
सरकारी कार्यालय पहले से करेंगे भुगतान
आमतौर पर बिजली कंपनियों द्वारा शासकीय कार्यालयों को जारी बिजली बिलों का भुगतान बिजली के उपयोग के बाद आवंटित बजट राशि से किया जाता है लेकिन प्रीपेड व्यवस्था लागू होने के बाद विद्युत उपयोग के पूर्व भुगतान करना होगा। सरकारी कार्यालयों को अपने औसत मासिक उपयोग के बिजली बिल की राशि से तीन गुना राशि अग्रिम रुप से उपलब्ध कराना होगा ताकि मासिक राशि समाप्त होने पर भी बिजली कनेक्शन कटने की स्थिति न बने और अगला रिचार्ज सुविधापूर्वक किया जा सके।
पिछले साल के सर्वाधिक बिल की दुगनी राशि का करना होगा इंतजाम
वित्त विभाग ने भी उर्जा विभाग के इस प्रस्ताव को सहमति दे दी है। वित्त विभाग प्रदेश के सभी सरकारी विभागों, राजस्व मंडल, विभागाध्यक्षों और कलेक्टरों को भी इस संबंध में विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर रहा है।सभी विभाग प्रीपेड मीटरों के रिचार्ज के लिए बजट आहरित कर सकेंगे। प्रीपेड मीटर रिचार्ज कने के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच के मासिक बिजली बिलों में से जिस माह का सर्वाधिक बिजली बिल होगा उस राशि के दोगुने के आधार पर अग्रिम राशि कार्यालय बिजली बिल के प्रीपेड मीटर में भुगतान के लिए निकाल सकेंगे। प्रीपेड मीटर रिचार्ज होंने के एक माह बाद नियमित रूप से उस महीने का बिल मिलेगा तथा एक माह का रिचार्ज शेष बचा रहेगा। पहले माह जो वास्तविक खपत के आधार पर बिजली बिल मिलेगा उसे कोषालय भुगतान हेतु प्रस्तुत कर प्रीपेड मीटर पुन: रिचार्ज कराया जा सकेगा। वित्त विभाग ने प्रीपेड मीटर जहां लगा दिए जाएंगे उन्हें दो माह की खपत के बराबर राशि विभागीय बजट से निकालने की अनुमति प्रदान कर दी है।
पहले छह माह बैलेंस शून्य होंने पर भी नहीं कटेगा कनेक्शन
इस योजना में उर्जा विभाग ने पहले छह माह में इस व्यवस्था में अपरिहार्य स्थिति में रिचार्ज बैलेंस शून्य होने पर भी कनेक्शन विच्छेद नहीं किए जाने का निर्णय लिया है। बाद में यह व्यवस्था अर्द्ध शासकीय, स्वायत्त संस्थाओं, निगम, मंडल और अन्य कार्यालयों पर भी लागू होगी।