
Preparation of Government Buses : सरकारी बसें चलाने के ब्लूप्रिंट को CM की हरी झंडी!
Bhopal : राज्य परिवहन निगम के बंद होने के बाद से मप्र में परिवहन व्यवस्था बेपटरी हो गई है। निजी बस ऑपरेटर्स केवल उन्हीं मार्गों पर बसें दौड़ा रहे है, जिन मार्गो पर कमाई ज्यादा है। इसके साथ ही यात्रियों से किराया भी तय सीमा से अधिक वसूला जा रहा है। ऐसे में अब मोहन सरकार ने प्रदेश की जनता को निजी ऑपरेटरों की लूट से बचाने के लिए पीपीपी मोड पर सरकारी बसें चलाने की योजना बनाई है। इसका ब्लूप्रिंट तैयार हो गया है।

अब राज्य स्तरीय होल्डिंग कमेटी के गठन की प्रक्रिया चल रही है। बता दें कि प्रदेश में पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत बसें चलाने से पहले मार्गों का सर्वे किया जा रहा है। सरकारी बसें केवल उन्हीं मार्गों पर चलाई जाएंगी, जिन मार्गों पर निजी बसें कम चल रही है। इसके साथ ही यात्रियों के लोड का सर्वे भी किया जा रहा है।
सबसे पहले जिन शहरों में बस चलाने का निर्णय लिया गया है उनमें भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, उज्जैन, रीवा और सागर जिले शामिल हैं। इन मार्गों पर यात्रियों के दबाव और निजी परिवहन सेवाओं के खस्ताहाल होने के कारण सबसे पहले इन 7 जिलों का चयन किया गया है। परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह ने बताया कि मप्र में पीपीपी मोड पर बस चलाने का उद्देश्य प्रदेश की जनता को दूरस्थ अंचलों तक परिवहन
सुविधा उपलब्ध कराना
यह सर्विस पूरी तरह से नो प्रॉफिट-नो लास पर आधारित होगी। अभी प्रदेश में पीपीपी मोड पर बस संचालन का मामला प्रारंभिक चरण में है। मार्गों का सर्वे किया जा रहा है। जिन मार्गों पर डिमांड अधिक होगी, सबसे पहले उन्हीं रूट पर बस सेवा शुरू की जाएगी।
हर जिले में जिला परिवहन कमेटी बनेगी
अधिकारियों ने बताया कि मप्र में पीपीपी मोड पर बस संचालन की त्रिस्तरीय व्यवस्था होगी। सबसे पहले राज्य स्तर पर एक होल्डिंग कंपनी का गठन किया जाएगा। इसके साथ ही जिन 7 शहरों में सरकारी बसें चलाई जाना है, वहां क्षेत्रीय परिवहन कंपनी का गठन किया जाएगा। इसके अलावा हर जिले में जिला परिवहन कमेटी होगी। जिससे स्थानीय स्तर पर बसों की मॉनिटरिंग की जा सके और यात्रियों से संबंधित समस्याओं का समाधान किया जा सके।
सीसीटीवी और एआई सिस्टम से लैस बसें
राज्य परिवहन निगम को घाटे की वजह से मप्र में बंद किया गया था। इसका बड़ा कारण बस स्टाफ द्वारा की जा रही अनियमितताएं थी। ऐसे में इस बार सरकार बसों की एआई के जरिए निगरानी करेगी। सभी बसों में सीसीटीवी कैमरे लगे होंगे। राज्य स्तर पर होल्डिंग कंपनी और क्षेत्रीय स्तर पर गठित कंपनियों के कार्यालय में कमांड सेंटर स्थापित किए जाएंगे।





