Prithvipur ByElection: भाजपा यादव वोटर्स पर दांव, कांग्रेस सहानुभूति वोट के सहारे

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Prithvipur ByElection: भाजपा यादव वोटर्स पर दांव, कांग्रेस सहानुभूति वोट के सहारे

भोपाल: पृथ्वीपुर विधानसभा सीट(Prithvipur ByElection) पर भाजपा जहां यादव वोटर्स के सहारे है, वहीं कांग्र्रेस सहानुभूति वोटों के भरोसे पर टिकी हुई है। हालांकि इनके अलावा कुशवाहा, ब्राहण और अनुसूचित जाति के वोटर्स भी यहां पर महत्वपूर्ण भूमिका में रहते हैं।

यादव, कुशवाहा, ब्राहण और एससी वोट पाने के लिए दोनों ही दल अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। पूर्व मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर के निधन से खाली हुई इस सीट पर कांग्रेस ने उनके बेटे नितेंद्र सिंह राठौर को उम्मीदवार बनाया है।

 

वहीं भाजपा ने शिशुपाल यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। पिछला चुनाव शिशुपाल यादव ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर इस सीट से लड़ा था।

Prithvipur ByElection

बसपा-सपा का भी रहा असर वर्ष 2008 में यह सीट बनी है।

इस सीट पर हुए चुनाव में दो बार बृजेंद्र सिंह राठौर चुनाव जीते, जबकि एक बार यहां से अनीता नायक चुनाव जीती। यहां पर भले ही कांग्रेस और भाजपा का कब्जा रहा हो, लेकिन इस सीट पर बसपा और सपा का भी असर रहता है। पिछले चुनाव में सपा को यहां से लगभग 45 हजार वोट मिले थे।

इसी चुनाव में बसपा को यहां से 30 हजार वोट मिले थे। इन दोनों दलों को वोट जातिगत समीकरणों पर मिले थे। यहां पर यादव वोट सबसे ज्यादा हैं, जबकि अनुसूचित जाति के वोटर्स की संख्या भी यहां पर खासी है।

ब्राह्मण वोटर्स भी बड़ी संख्या में होने के चलते यहां पर दो बार भाजपा ने ब्राहण उम्मीदवार दिए।

Prithvipur ByElection
Prithvipur ByElection

वर्ष 2008 में सुनील नायक यहां से चुनाव लड़े, इसके बाद का चुनाव उनकी पत्नी अनीता नायक लड़ी।

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अपने-अपने समीकरण

इस बार भाजपा जहां यादव वोटों के सहारो यहां से दम भर रही है। जबकि कांग्रेस सहानुभूति की लहर पर सवार हैं।

शिशु पाल यादव का अपने समाज में खासा असर हैं, जबकि बृजेंद्र सिंह राठौर के परिजनों का क्षेत्र में अपना अलग प्रभाव है।

इस प्रभाव के साथ नितेंद्र राठौर सहानुभूति के वोट भी चाहते है। अब दोनों ही कुशवाहा, ब्राहण और अनुसूचित जाति के वोटर्स में सेंध लगा रहे हैं। इन तीन समाज का रूझान भी इस सीट के परिणामों पर असर डाल सकता है।

कांग्रेस की लिए राहत की बात यह है कि इस चुनाव में न बसपा है और ना ही सपा है। जिसका सीधा फायदा कांग्रेस को मिल सकता है।