Property Documents Will be Digital : संपत्ति के दस्तावेजों का रूप बदलेगा, इंदौर की 5 लाख, भोपाल की 4 लाख रजिस्ट्रियां डिजिटल होगी!

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Property Documents Will be Digital : संपत्ति के दस्तावेजों का रूप बदलेगा, इंदौर की 5 लाख, भोपाल की 4 लाख रजिस्ट्रियां डिजिटल होगी!

इससे संपत्ति खरीदते समय रजिस्ट्री को ऑनलाइन देखा जा सकेगा!

Bhopal : प्रदेश के बड़े शहरों में संपत्ति की मैन्युअल रजिस्ट्रियों को डिजिटल किया जा रहा है। इसके बाद संपत्ति के मालिक अपनी संपत्ति की जानकारी ऑनलाइन देख सकेंगे। इससे दूसरा फायदा यह होगा कि संपत्ति खरीदने और बेचते समय भी दस्तावेज ऑनलाइन ही चेक किए जा सकेंगे। साथ ही 50 रुपए शुल्क देकर ऑनलाइन ही रजिस्ट्री भी नक़ल भी निकाली जा सकेगी।

अभी सिर्फ 30 साल पुरानी संपत्तियों की रजिस्ट्री के रिकॉर्ड का डिजिटलाइजेशन करने का लक्ष्य है। इसके बाद उसके आगे की रजिस्ट्री भी डिजिटल कर ऑनलाइन की जाएंगी। जानकारी के अनुसार मैन्युअल डाटा को ऑनलाइन करने का काम लगातार किया जा रहा है। अभी तक 2005 से 2023 तक की प्रापर्टी की ऑनलाइन सर्च रिपोर्ट उपलब्ध है। इसके पहले की मैन्युअल सर्च 1994 तक की हो जाती है, लेकिन इसे भी ऑनलाइन किया जाएगा।

अब तक लोगों को प्रॉपर्टी का पता करने के लिए जिला पंजीयन विभाग के रिकॉर्ड रूम में जाना पड़ता था। यहां पर भी जिस साल की प्रॉपर्टी खोजना है, उसके लिए 50 रुपए चुकाना पड़ते हैं। लेकिन, नई व्यवस्था में लोग घर बैठे अपने सिस्टम पर प्रापर्टी की रिपोर्ट प्राप्त कर सकेंगे, जिसका शुल्क भी 50 रुपए लगेगा।

2000 के बाद की रजिस्ट्रियां ऑनलाइन

अधिकारियों के अनुसार 2000 से 2015 तक की मैन्युअल रजिस्ट्री को डिजिटल किया जा रहा है। अगस्त 2015 से प्रदेश में ई-रजिस्ट्री की सुविधा शुरू हुई थी। अब 2015 से पहले की मैन्युअल रजिस्ट्री के दस्तावेज भी डिजिटल कर रहे हैं। इंदौर के 5 लाख, भोपाल के 4 लाख, ग्वालियर के 2 लाख, जबलपुर के 2 लाख मैन्युअल रजिस्ट्री का रिकॉर्ड डिजिटल किया जा रहा है। पहली बार वर्ष 1908 में रजिस्ट्रेशन एक्ट बना था, तब से रजिस्ट्री हो रही है।

ई-रजिस्ट्री से धोखाधड़ी के मामलों में कमी

अगस्त 2015 से मैन्युअल रजिस्ट्री को बंद करने के बाद ‘संपदा’ साफ्टवेयर की मदद से ई-रजिस्ट्री के लिए सर्विस प्रोवाइडर स्लाट बुक कर रजिस्ट्री करते हैं। नई व्यवस्था से प्रापर्टी की रजिस्ट्री में धोखाधड़ी कम हो गई है। लोगों के समय की बचत हो रही है, जबकि पहले लोगों को रजिस्ट्री कराने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था।

विभाग की योजना है कि सन 1990 तक का रिकॉर्ड धीरे-धीरे डिजिटल कर दिया जाए। अधिकारियों का कहना है कि प्रॉपर्टी का डाटा डिजिटल करने का काम किया जा रहा है। इससे खरीदार प्रॉपर्टी के क्रय विक्रय की जानकारी आसानी से ऑनलाइन देख सकेंगे। साथ ही मैन्युअल रजिस्ट्री गुम होने पर डिजिटल रजिस्ट्री की नकल ले सकेंगे। रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने में भी कोई परेशानी नहीं होगी।