आतंक पर अंकुश के साथ सामाजिक सुधार के अभियानों से संस्कृति की रक्षा  

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आतंक पर अंकुश के साथ सामाजिक सुधार के अभियानों से संस्कृति की रक्षा  

देश में पी ऍफ़ आई जैसे आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध और अन्य आपराधिक तथा भ्रष्ट गतिविधियों पर अंकुश के कदम सचमुच अच्छे हैं | लेकिन दलदल की सफाई के साथ नए सुन्दर रास्तों और धर्म संस्कृति की महत्ता बताने के साथ सामाजिक सुधार और जागरुकता के अभियानों को बढ़ाने की आवश्यकता होगी | मोदी सरकार की कठोर कार्रवाइयों से एक वर्ग में बैचेनी है | कुछ राजनैतिक संगठनों , नेताओं और शिक्षा , साहित्य , मीडिया के वामपंथी विचारों वाले लोग इस निराशापूर्ण विचार को फैलाते रहते हैं कि गंभीर तनाव और विस्फोटक स्थितियों से देश बर्बाद हो रहा और भविष्य संकट में है | ऐसे तत्व देश दुनिया की आर्थिक और कुछ सामाजिक समस्याओं को बढ़ा चढ़ाकर पेश करते हुए यह भ्रम भी पैदा करते हैं कि समाज लगभग उदासीन , भयभीत और बेहोश सा है | दूसरी तरफ सरकार अपनी कल्याण योजनाओं और सुधार कार्यक्रमों से अच्छे परिणामों का विश्वास दिलाने का प्रयास कर रही है | वहीँ धर्म संस्कृति के मुद्दों से आत्म विश्वास बनाने की कोशिश हो रही है | इस अंतर्विरोध के दौर में सरकारों से हटकर निस्वार्थ भाव से सामाजिक उत्थान और जागरुकता के चलाए जा रहे अभियानों को सहयोग तथा महत्त्व देने की जरुरत है |

इसमें कोई शक नहीं कि अयोध्या , काशी , मथुरा , सोमनाथ द्वारका , नासिक , ऋषिकेश , उज्जैन जैसे प्राचीन धार्मिक स्थानों के सौन्दर्यीकरण तथा पर्यटन की सुविधाएं बढ़ाने से सामाजिक सद्भाव , क्षेत्र की आर्थिक प्रगति का लाभ होगा | लेकिन धर्म संस्कृति की रक्षा के लिए हर युग की तरह सामाजिक जागरुकता एवं शिक्षा के प्रसार की जरुरत आज और अधिक है | आख़िरकार धार्मिक स्थानों पर शैक्षणिक केंद्र की पुरानी परम्परा है | काशी , प्रयाग , उज्जैन प्राचीन युग से शिक्षा के केंद्र भी रहे हैं | इस दृष्टि से कुछ विचारणीय मुद्दे हैं | प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 11 अक्टूबर को उज्जैन के महाकाल मंदिर के नए विशाल परिसर का उद्घाटन करने वाले हैं | यह परिसर वाराणसी में बने परिसर से भी कई गुना बढ़ा होगा | पहले चरण में करीब 350 करोड़ रुपए के निर्माण कार्य हुए हैं | दूसरे चरण के निर्माण कार्यों में भी करीब 310 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है | पूरी परियोजना तो करीब 900 करोड़ की बताई जाती है | दूसरे चरण में मंदिर के पास दशकों पहले बने महाराजवाड़ा स्कूल की इमारत तोड़कर धर्मशाला , होटल आदि बनने वाली है | स्कूल किसी अन्य स्थान पर चलता रह सकता है | इसके साथ इस तथ्य पर भी शिवराज सिंह की मध्य प्रदेश सरकार और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार का ध्यान दिलाया जा सकता है कि महाकाल ज्योतिर्लिंग और शक्तिपीठ के साथ उज्जैन श्रीकृष्ण के गुरु सांदीपनी के आश्रम के लिए महत्वपूर्ण माना जाता रहा है | यह शिक्षा और साहित्य का महत्वपूर्ण केंद्र रहा है | सांदीपनी आश्रम के अलावा बाणभट्ट ने यहाँ विशाल विद्या मंदिर होने का विवरण दिया है , जहाँ वेद वेदांत , दर्शन के साथ युद्ध विद्या , विज्ञान और चिकित्सा के अध्यापन की व्यवस्था थी | कालिदास की नगरी भी मानी जाती है |जब मथुरा के प्राचीन स्वरुप और श्रीकृष्ण के प्रति भावनाएं जुडी हुई हैं , तो उज्जैन को देश के एक बड़े शैक्षणिक शहर और केंद्र की तरह विकसित करने के लिए दो हजार करोड़ की योजना बनाकर क्रियान्वित की जानी चाहिए | खासकर इस पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर कि हाल के वर्षों में सरकार ने रोटरी जैसी संस्थाओं के सहयोग से मध्य प्रदेश तथा कुछ अन्य राज्यों में साक्षरता के लिए एक सामाजिक अभियान चला रखा है | प्राथमिक से उच्च शिक्षा के लिए उज्जैन , मथुरा ,काशी , वाराणसी , प्रयाग , गया – नालंदा , पुरी जैसे धार्मिक नगरों के सौंदर्य और विकास कार्यक्रमों के साथ शिक्षा केंद्रों के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया जा सकता है | यदि परम्परा की बात करें तो भारतीय संस्कृति में मंदिर – उपासना स्थल के साथ गुरुकुल के रुप में श्रेष्ठ शिक्षा के केंद्र रहते थे | इसलिए मंदिरों की आमदनी और कोष का एक हिस्सा शिक्षा के प्रसार पर रखने का विधान होना चाहिए |

इन दिनों प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और उनके गृह मंत्री अमित शाह की गुजरात यात्राएं भी चर्चा में रहती हैं | पिछले दिनों राष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के कार्यक्रम के लिए मुझे सूरत जाने का अवसर मिला | वहां गुजरात में ‘ बेटियां बढ़ाओ , बेटियां पढ़ाओ , संतुलन बनाओ ‘ का एक अभिनव अभियान एक सामाजिक संस्था अनीस ( अपमृत्यु निवारण सहाय ) नामक संस्था चला रही है | समाज सुधार के रचनात्मक कार्य में लगभग 25 वर्षों से सक्रिय गीता श्रॉफ और उनके सहयोगी सम्पूर्ण प्रदेश में यात्रा करते हुए लड़की के जन्म होने को प्रोत्साहित करने का अभियान चला रही हैं | लड़कियों – महिलाओं की शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा के पुनीत कार्य के लिए वे किसी सरकार से अनुदान इत्यादि भी नहीं लेती | हमारे देश के हर क्षेत्र में देवी मंदिर हैं , उन्हें दुर्गा , लक्ष्मी , पार्वती , सीता , राधा कृष्ण के मंदिर कहें , तो उनकी पूजा अर्चना के साथ समाज में कन्या स्त्री की शिक्षा , स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए सरकार और बड़े मंदिरों की आमदनी का एक हिस्सा दिया जा सकता है | वैष्णों देवी के विकास कार्य लगातार हो रहे हैं | जम्मू कश्मीर में बड़े पैमाने पर आर्थिक विकास के कार्यक्रम बन रहे हैं | इस विकास के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए सरकार और धार्मिक सामाजिक संस्थाओं द्वारा प्रयास जरुरी होगा | सांप्रदायिक तनाव और हिंसा को रोकने के लिए केवल प्रशासन और पुलिस पर निर्भर नहीं रहा जा सकता है | सामाजिक अभियानों से संस्कृति के साथ भविष्य को सुन्दर और सुरक्षित रखा जा सकता है |

सामाजिक शांति और सदभावना की जागरुकता के लिए ओडिसा में ‘ अहिंसा यात्रा ‘ कई सप्ताह से चल रही है | हाल के वर्षों में ओडिसा ने सरकार और सामाजिक संस्थाओं के संयुक्त प्रयासों से शिक्षा के क्षेत्र में बहुत प्रगति की है | जगन्नाथ पुरी में भी मंदिर के पुनरुद्धार के लिए नए काम हो रहे हैं , लेकिन उसके साथ शिक्षा के प्रसार में भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है | केवल राजनीतिक लाभ , सरकारों के लिए यात्राओं , प्रदर्शनों के बजाय आवश्यकता इसी बात की है कि सामाजिक सुधारों और जागरूकता के अभियानों को प्रोत्साहित किया जाए | विश्व के विभिन्न देशों में राष्ट्रवाद की भावनाओं के साथ चुनौतियां बढ़ रही है | इस दौर में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी |

( लेखक आई टी वी नेटवर्क इंडिया न्यूज़ और आज समाज दैनिक के सम्पादकीय निदेशक हैं )

Author profile
ALOK MEHTA
आलोक मेहता

आलोक मेहता एक भारतीय पत्रकार, टीवी प्रसारक और लेखक हैं। 2009 में, उन्हें भारत सरकार से पद्म श्री का नागरिक सम्मान मिला। मेहताजी के काम ने हमेशा सामाजिक कल्याण के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया है।

7  सितम्बर 1952  को मध्यप्रदेश के उज्जैन में जन्में आलोक मेहता का पत्रकारिता में सक्रिय रहने का यह पांचवां दशक है। नई दूनिया, हिंदुस्तान समाचार, साप्ताहिक हिंदुस्तान, दिनमान में राजनितिक संवाददाता के रूप में कार्य करने के बाद  वौइस् ऑफ़ जर्मनी, कोलोन में रहे। भारत लौटकर  नवभारत टाइम्स, , दैनिक भास्कर, दैनिक हिंदुस्तान, आउटलुक साप्ताहिक व नै दुनिया में संपादक रहे ।

भारत सरकार के राष्ट्रीय एकता परिषद् के सदस्य, एडिटर गिल्ड ऑफ़ इंडिया के पूर्व अध्यक्ष व महासचिव, रेडियो तथा टीवी चैनलों पर नियमित कार्यक्रमों का प्रसारण किया। लगभग 40 देशों की यात्रायें, अनेक प्रधानमंत्रियों, राष्ट्राध्यक्षों व नेताओं से भेंटवार्ताएं की ।

प्रमुख पुस्तकों में"Naman Narmada- Obeisance to Narmada [2], Social Reforms In India , कलम के सेनापति [3], "पत्रकारिता की लक्ष्मण रेखा" (2000), [4] Indian Journalism Keeping it clean [5], सफर सुहाना दुनिया का [6], चिड़िया फिर नहीं चहकी (कहानी संग्रह), Bird did not Sing Yet Again (छोटी कहानियों का संग्रह), भारत के राष्ट्रपति (राजेंद्र प्रसाद से प्रतिभा पाटिल तक), नामी चेहरे यादगार मुलाकातें ( Interviews of Prominent personalities), तब और अब, [7] स्मृतियाँ ही स्मृतियाँ (TRAVELOGUES OF INDIA AND EUROPE), [8]चरित्र और चेहरे, आस्था का आँगन, सिंहासन का न्याय, आधुनिक भारत : परम्परा और भविष्य इनकी बहुचर्चित पुस्तकें हैं | उनके पुरस्कारों में पदम श्री, विक्रम विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट, भारतेन्दु हरिश्चंद्र पुरस्कार, गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार, पत्रकारिता भूषण पुरस्कार, हल्दीघाटी सम्मान,  राष्ट्रीय सद्भावना पुरस्कार, राष्ट्रीय तुलसी पुरस्कार, इंदिरा प्रियदर्शनी पुरस्कार आदि शामिल हैं ।