युवती के अंधे प्यार में बना मनोरोगी लेकिन अपनेपन ने फिर से बदल दी जिंदगी
*रमेश सोनी की विशेष रिपोर्ट*
रतलाम: किसी युवती से बेतहाशा प्यार करना और उस युवती के नहीं चाहने पर बार बार उसके पिछे पड़ना और अंत में युवती द्वारा सिरे से नकारते हुए हड़का देने पर युवा के जीवन पर ऐसा दुष्प्रभाव हुआ कि वह मनोरोगी बन गया,और घर से भाग निकला।इधर उधर भटकते हुए वह रतलाम जा पंहुचा जहां वह जिंदगी से हताश और निराश हो ट्रेन की पटरियों पर आत्महत्या करने जा पंहुचा… पर कहते हैं ना कि *जाके राके सांइया मार सके ना कोई* युवा को रेलवे ट्रैक पर दौड़ते हुए जीआरपी पुलिस ने देखा तो वह भी उसके पीछे पीछे भागे और पकड़कर थाने में लेकर आएं।इस दौरान वह घायल भी हो गया था।पुलिस ने उसे जिला चिकित्सालय पहुंचाया।इधर जिला चिकित्सालय में इस विक्षप्त युवक ने अपना असर समूचे स्टाफ को दिखाते हुए तोड़ फोड़ करना प्रारंभ कर दिया। परेशान होकर चिकित्सालय के स्टाफ ने पुलिस को बुलाया तब पुलिस चौकी पर तैनात पुलिसकर्मी ने इस बात को लेकर समाजसेवी और रोगी कल्याण समिति के गोविन्द काकानी को दुरभाष पर स्थिति से अवगत कराया।गोविन्द काकानी उसी समय जिला चिकित्सालय पंहुचे जहां उन्होंने वाजिद का उग्र रूप देखकर उसे प्यार से अपनेपन का एहसास दिलाते हुए समझाया तो वह शांत हो गया।
बता दें कि इस विक्षप्त युवक ने आइसोलेशन वार्ड कमरों में बिजली के तार,खिड़की, दरवाजे,पलंग सब कुछ तोड़ दिया।उसने वार्ड से धमाल मचाते हुए अस्पताल पुलिस चौकी के सामने स्वास्थ्यकर्मी का गले का ताबीज पकड़ लिया।हर कोई छुड़ाने की कोशिश कर रहा था परंतु उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि कोई छुड़ा नहीं सका।
समझाने पर मनोरोगी काकानी के पैरों में बैठकर कान पकड़कर माफी मांगने लगा।यह माजरा देखकर अस्पताल में उपस्थित सभी लोग चकित हो गए कहां इतना उत्तेजित होकर किसी के बस में नहीं आ रहा था और एक दम शांत होकर नीचे बैठा।
इसे संयोग ही कहेंगे कि मानसिक रूप से विक्षप्त रोगी युवा वाजिद को रतलाम में ही ठीक होना था और उसके ठीक होने के पिछे गोविन्द काकानी को इसका श्रेय जाना था।
आपको बता दें रहें हैं कि 26 जुलाई को ट्रेन के सामने आत्महत्या करने के इरादे से घायल 22 वर्षीय व्यक्ति वाजिद अली पिता स्वर्गीय निजामुद्दीन शाह निवासी ग्राम पहाडिय़ा सफी छपरा,जिला सिवान,बिहार को 108 के माध्यम से बांगरोद से रतलाम लाकर जिला चिकित्सालय के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया था।यह मनोरोगी मरीज वाजिद 5 माह पूर्व घर से तोडफ़ोड़ कर निकल गया था।तब से परिवार वाले इसे खोज रहे थे,परंतु इसका कोई अता पता उन्हें नहीं मिला।6 दिन बाद ठीक होने पर अस्पताल से उसके परिवार वालों को संपर्क किया तब उसका बड़ा भाई मोहम्मद नबी जान उसे लेने के लिए आया। मोबाइल पर वीडियो कॉलिंग से मां एवं परिवार के सदस्यों जब बात कराई तो पूरा परिवार सभी को दुआएं देने लगा।
सोमवार सुबह उसे घर के लिए रवाना करते हुए आवश्यक राशि देकर कुली लक्ष्मण एवं फिरोज के सहयोग से ट्रेन से रवाना किया।