कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते राहुल के ड्रोन हमले…

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कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्साहित करते राहुल के ड्रोन हमले…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के सर्वेसर्वा राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर हमलों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं और नेताओं में खासा उत्साह का माहौल है। हाइड्रोजन बम गिराने से पहले लगता है कि राहुल गांधी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्रीय निर्वाचन आयोग पर ड्रोन से हमला कर मानसिक पीड़ा पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। वैसे तो कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उम्मीद होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी हाइड्रोजन बम गिराकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं को विशेष तोहफा देंगे। क्योंकि राहुल गांधी का उद्देश्य हाइड्रोजन बम गिराकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छलनी-छलनी करना ही है। राहुल गांधी ने बीते एक सितंबर को पटना में ‘वोटर अधिकार यात्रा’ के समापन के मौके पर ‘वोट चोरी’ से जुड़े अपने पहले के खुलासे का हवाला देते हुए दावा किया था कि ‘एटम बम’ के बाद अब ‘‘हाइड्रोजन बम’’ आने वाला है, जिसके बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लोगों को अपना ‘मुंह नहीं दिखा पाएंगे। पर शायद अभी तैयारी कुछ बाकी होगी जिसके चलते वक्त लग रहा है। तो दूसरी तरफ ड्रोन हमलों से पहले एटम बम का हमला भी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री मोदी पर विनाशकारी साबित नहीं हो पाया है। पर पिछले 11 साल में राहुल गांधी ने जमीनी लड़ाई लड़कर कांग्रेस को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी तक तो पहुंचा ही दिया है। और राहुल गांधी के एटम बम के विस्फोट ने कांग्रेस में उत्साह भरने का सकारात्मक परिणाम तो दिया ही है, भले ही भाजपा और केंद्र सरकार पर नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ा, यह अलग बात है।

मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मीडिया सलाहकार पीयूष बबेले का ट्वीट बहुत दिलचस्प और कांग्रेसी खेमे के उत्साह को सामने रखता है। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि वातावरण सो रहा था, करवट बदलने लगा है…। इस हेडिंग के बाद बबेले लिखते हैं कि राहुल गांधी ने भारतीय लोकतंत्र को फिर से वह संजीवनी दे दी है, जिसकी जरूरत कई साल से महसूस की जा रही थी। लोग उनकी दूसरी प्रेस कांफ्रेंस का इस बसेब्री से इंजतार कर रहे थे, जैसे किसी थ्रिलर फिल्‍म के सीक्‍वल के लिये करते हैं। एटम बम के बाद हाइड्रोजन बम शब्‍द लोगों की जुबान पर चढ़ गया है।

बहरहाल, राहुल ने आज हाइड्रोजन बम नहीं फोड़ा, लेकिन वोट चोरी के कमीशन पर अग्नि मिसाइल जरूर दाग दी। आज की प्रेस पिछली प्रेस की पड़ताल से आगे बढ़ी और अगली प्रेस के लिये भूमिका तैयार करने वाली साबित होगी। पिछली प्रेस में राहुल ने बताया था कि किस प्रकार कर्नाटक की महादेवपुरा सीट पर बड़े पैमाने पर फर्जी वोटर जोड़े गए। इस बार उन्‍होंने कनार्टक और महाराष्‍ट्र की एक-एक विधानसभा पर फर्जी तरीके से वोटर काटने की कहानी सामने रखी। इसके साथ ही उन्‍होंने बताया कि यह जोड़ने और घटाने का फर्जीवाड़ा किस तरह हो रहा है। यह आज की सबसे महत्‍वपूर्ण खोज रही।

उन्‍होंने इशारा किया कि देश में कोई ऐसा सिंडिकेट का अड्डा है, जहां से बैठे-बैठे ऑनलाइन वोट काटे जा रहे हैं। संभवत: इसी तरह फर्जी वोट जोड़े भी जा रहे होंगे। यह भारत के मतदाता पर सीधा हमला है। आपको वोटर लिस्‍ट में रखने या न रखने का फैसला, एक ऐसा सिंडिकेट कर रहा है, जिसका संवैधानिक व्‍यवस्‍था में कहीं नाम नहीं है, बल्कि अगर वह है तो वह संविधान और लोकतंत्र का लुटेरा है।

इस तरह हालत यह हो गई कि जनता अपनी मन की सरकार नहीं चुन रही है, बल्कि यह सिंडिकेट अपने मनमुताबिक जनता पैदा कर रहा है और यह बोट वोटर चुनाव का फैसला कर रहे हैं। वहीं, जिस चुनाव आयोग को इस फर्जीवाड़े से पर्दा उठाना चाहिए वह कर्नाटक सीआईडी के 18 पत्रों के बावजूद सहयोग नहीं कर रहा है।

राहुल गांधी ने सीईसी ज्ञानेश कुमार की चुनौती उन्‍हें वापस लौटाते हुए कहा है कि 7 दिन के अंदर सीआइडी से सहयोग करें नहीं तो देश मान लेगा कि वह वोट चोरों को संरक्षण दे रहे हैं। राहुल गांधी की इन बातों को जिस गंभीरता और बड़ी संख्‍या में लोगों ने सुना, उससे स्‍पष्‍ट है कि अब उनकी बात बहुत गंभीरता से सुनी जा रही है और उनके खिलाफ बुना गया प्रोपगंडा का तानाबाना तार-तार हो गया है।

उन्‍होंने जन-मन में गहरी जगह बना ली है और लोगों को उनकी सच्‍चाई और लोकतंत्र के लुटेरों की साजिश का अंदाजा होने लगा है। किसी भी देश में सत्‍ता और व्‍यवस्‍था परिवर्तन के यह पहले संकेत होते हैं। राहुल गांधी की इस लोकप्रियता से संघियों का वह झुनझुना भी टूट गया है कि विकल्‍प कहां है। राहुल लोगों के मन में विकल्‍प बन चुके हैं और हाइड्रोजन बम के परीक्षण के बाद संकल्‍प बन जाएंगे।

बबेले दुष्यंत की पंक्तियों से अपना ट्वीट पूरा करते हैं कि-

वातावरण सो रहा था, करवट बदलने लगा है

अब धीरे-धीरे यहां का, मौसम बदलने लगा है।

तो लोकतंत्र को संजीवनी की जरूरत कतई नहीं है लेकिन यह बात सही है कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी युद्ध की भाषा में एटम बम और हाइड्रोजन बम जैसी सामरिक शब्दावली, कांग्रेस के लिए महासंजीवनी का काम कर रही है। भारत निर्वाचन आयोग के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी ज्ञानेश कुमार राहुल गांधी के टारगेट पर हैं। राहुल गांधी ने 10 सवाल दागे हैं और हर एक सवाल को एक ड्रोन माना जा सकता है। हो सकता है कांग्रेस हर एक सवाल को एक-एक मिसाइल मान रही हो।

उम्मीद यही है कि कांग्रेस महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों के जरिए चुनाव आयोग से जवाब भी लेंगे और समय रहते सच को मतदाताओं के सामने परोसने का काम भी करेंगे। क्योंकि कर्नाटक के कलबुर्गी जिले के आलंद विधानसभा क्षेत्र से लेकर लोकतंत्र के रण में हाइड्रोजन बम गिराने तक सबकी निगाहें राहुल की तरफ ही हैं। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को राहुल के ड्रोन हमले उत्साहित कर रहे हैं… उम्मीद यही कि हाइड्रोजन बम उत्साह को असीमित गति से बढ़ाने का काम कर सके… हालांकि इसकी उम्मीद मोदी खेमे को शायद बिल्कुल भी नहीं है।

 

 

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।