राहु से बाधित “राहुल” हो रहे “नि-र्ममता” का शिकार…!
कुंडली में राहु दोष होने से हर एक काम बिगड़ जाता है। कुंडली में बैठकर राहु प्रगति की राह में रुकावट डालता है। इस छाया ग्रह के कारण जीवन में कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं। कुंडली में राहु की बात तो अलग है, पर यहां तो ‘राहुल’ के नाम को ही “राहु” ने जकड़ रखा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राहुल गांधी पर “निर्ममता” से किए गए बयानी हमले के बाद हमारे मन में कुछ ऐसी सोच घर कर रही थी। तब हमने एक जगह राहुल गांधी की कुंडली का विश्वेषण देखा तो पता चला कि वास्तव में राहुल की राह में राहु ही रोड़े अटका रहा है। राहुल गांधी की कुंडली के ज्योतिषीय विश्लेषण में लिखा था कि इनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति बताती है कि देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी तक पहुंच पाना इनके लिए बेहद कठिन है। इनकी कुंडली से वर्तमान स्थिति की बात करें तो दिसंबर 2021 से मई 2024 तक इनकी कुंडली में राहु में गुरु दशा चल रही है जो ठीक नहीं है। इस दशा के कारण यह अनिर्णय की स्थिति में रहेंगे और कई बार गलत निर्णय लेकर अपना नुकसान करेंगे। इसमें 15 अक्टूबर से सूर्य जब तुला में आएंगे और केतु के साथ जुड़ जाएंगे तब इनकी परेशानी और भी बढ़ेगी। 2024 में भी जब लोकसभा चुनाव होगा तब भी राहुल गांधी राहु में गुरु की दशा में चल रहे होंगे जिससे 2024 में भी इनकी पार्टी को बहुत लाभ नहीं मिलेगा। इनकी कुंडली में चंद्रमा केमद्रुम योग में फंसा हुआ है। इस योग के कारण संभव है कि यह कई बार दूसरों पर निर्भर रह जाते हैं और अपनी दूरदर्शिता का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं जिससे इनको नुकसान होता है। और जब सामने राहुल गांधी का चेहरा नजर आता है तो कुंडली का यह आकलन सत्य नजर आता है।
यह सब सोचने के पीछे मूल बात यही है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर सवाल खड़े किए हैं। तृण मूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने कहा है कि राहुल गांधी विपक्ष के लीडर बने रहे तो नरेंद्र मोदी को कोई नहीं हरा सकता। पीएम मोदी के लिए राहुल गांधी टीआरपी की तरह हैं। इससे पहले टीएमसी नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस अकेले चुनाव में जाएगी। उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल में भाजपा, कांग्रेस और सीपीआई सभी साथ हैं और हमें हराने के लिए एक हुए हैं। अब जब काम ऐसे होंगे तो ममता बनर्जी का निर्ममता पूर्वक गुस्सा होना लाजिमी है। और तकरार की कितनी भी लंबी कहानी हो, फिर भी संयुक्त विपक्ष के साथ आगे बढ़ने में कुछ समझौते तो करना ही पड़ते हैं। यह बात तो अलग है, पर राहुल बाबा तो ममता के भतीजे से ही उलझ गए। शायद राहुल गांधी पुरानी बातें याद नहीं रखते। उन्हें पता होना चाहिए कि एक समय अटल बिहारी वाजपेई सरकार का जयललिता ने मान-मनौव्वल करने पर भी साथ नहीं दिया था। तब फिर ममता को नाराज कर उनका साथ हासिल करने की राहुल गांधी की बिसात ही क्या है?
ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल समेत पूरे देश में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी है। कांग्रेस द्वारा आयोजित किसी कार्यक्रम में टीएमसी के नेताओं ने हिस्सा नहीं लिया। कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी दलों द्वारा ईडी ऑफिस का घेराव किया लेकिन टीएमसी ने इसमें हिस्सा नहीं लिया। इससे पहले दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया पर ईडी की कार्रवाई को लेकर आठ विपक्षी दलों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था, इसमें भी टीएमसी ने लेटर पर साइन नहीं किए थे। अब ममता और अखिलेश यादव के बीच खिचड़ी पक रही है। उन्होंने पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी से मुलाकात की और साथ चुनाव लड़ने का ऐलान किया। हालांकि, इस पर टीएमसी की ओर से कोई जवाब नहीं आया है। अखिलेश यादव का मानना है कि क्षेत्रीय दलों के सहयोग से ही अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा को हराया जा सकता है। पर यह क्षेत्रीय दलों के सहयोग के लिए क्या राहुल बाबा समझौते करने को तैयार हैं? शायद जवाब मिलेगा कि “कतई नहीं”।
अब सवाल यही उठ रहा है कि “राहु” के प्रकोप से क्या भारत कांग्रेस मुक्त होकर ही रहेगा? क्योंकि कांग्रेस यानि राहुल गांधी। भारत जोड़ो यात्रा में राहुल की मेहनत पर ममता ने वास्तव में एक बयान देकर निर्ममता से पानी फेर दिया है। वैसे कुंडली में राहु दोष हो या कोई और, सभी का उपाय है। पर शायद राहुल बाबा का कहो कुंडली पर ही भरोसा न हो? ऐसे में यही माना जा सकता है कि राहु फिलहाल राहुल के राजनैतिक कैरियर में रोड़ा बना हुआ है और राहुल गांधी 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राह में किसी भी सूरत में रोड़ा नहीं बन सकते। बात बस इतनी सी ही है कि राहु से बाधित “राहुल” इसीलिए “नि-र्ममता” का शिकार होने को मजबूर हैं…!