Rajasthan Cabinet Expansion: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल का विस्तार शनिवार को अपरान्ह 3.15 बजे

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा दिल्ली में,मंत्रियों की सूची पर अंतिम मुहर लगवा लौटेंगे जयपुर

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Rajasthan Cabinet Expansion: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के मंत्रिमंडल का विस्तार शनिवार को अपरान्ह 3.15 बजे

गोपेंद्र नाथ भट्ट की रिपोर्ट

नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर सनी देओल के दामिनी फिल्म के एक डायलॉग “तारीख पर तारीख… इंसाफ नहीं मिला माय लार्ड, मिली है तो सिर्फ ये तारीख…” यह डायलॉग इन दिनों राजस्थान पर सटीक बैठ रहा है।

राजस्थान विधान सभा का चुनाव परिणाम विगत 3 दिसम्बर को आ गया था और मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ की तरह अप्रत्याशित ढंग से प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने भजन लाल शर्मा ने दो उप मुख्यमंत्रियों दीया कुमारी और डॉ प्रेम चंद बैरवा के साथ 15 दिसंबर को जयपुर के रामनिवास बाग के ऐतिहासिक एलबर्ट हॉल के सामने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल के साथियों, कई प्रदेशों के वर्तमान एवं पूर्व मुख्यमंत्रियों और अन्य विशिष्ट अतिथियों के सामने शपथ ली थी लेकिन चुनाव परिणाम के 26 दिनों और शपथ ग्रहण समारोह के 14 दिनों बाद भी मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के मंत्रिपरिषद का विस्तार नही होने से राजनीतिक हलकों में तरह-तरह की चर्चाओं और कयासों का बाजार गर्म हो रहा है।

राजभवन जयपुर में करीब एक सप्ताह से शपथ ग्रहण समारोह के लिए टेंट, कुर्सियां मंच आदि सज धज कर तैयार है लेकिन शपथ ग्रहण की तारीख अंतिम रूप से तय नहीं हो पा रही थी । प्रदेश के इतिहास में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि राजभवन को किसी शपथ समारोह के लिए इतना लंबा इंतजार करना पड़ा हो।

हां…एक बार पहले भी कांग्रेस के मनोनीत मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी के शपथ ग्रहण समारोह को निर्धारित समय पर अचानक रोक कर एक दिन के लिए टालना पड़ा था क्योंकि तब हरिदेव जोशी का असम मेघालय और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पद से दिए गए त्यागपत्र को राष्ट्रपति महोदय द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था। हरिदेव जोशी का त्यागपत्र स्वीकार होने के दूसरे दिन ही उनकी शपथ हो पाई थी।

लेकिन, इस बार राजभवन जयपुर को मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के मंत्रिपरिषद के विस्तार के लिए शपथ समारोह का इतना लंबा इंतजार क्यों करना पड़ा यह किसी की भी समझ से परे है। राजभवन जयपुर में 25 दिसंबर क्रिसमस से ही टेंट तने हुए है वीवीआईपी और अतिथियों की कुर्सियां लगी हुई है और समारोह का मंच भी बना हुआ है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आखिर यह सारी व्यवस्थाएं राजभवन ने मुख्यमंत्री कार्यालय के निर्देश के बिना तो की नहीं होंगी? शपथ समारोह में देरी के चलते राज्यपाल अपने एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में भाग लेने जोधपुर हो आए और स्वयं मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान मंत्री जन विकास कार्यक्रम के लाभान्वितों के शिविर में भाग लेने गए थे। जहां उन्होंने भाजपा के जन संकल्प घोषणा पत्र के अनुसार एक जनवरी से 450 रु में घरेलू गैस सिलेंडर देने की बड़ी घोषणा की है। वे रोज जन सुनवाई भी कर रहे है और प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों की सचिवालय में बैठकों को ले रहे है लेकिन दोनों उप मुख्यमंत्रियों के पास कोई विभाग का कार्य भार नहीं होने से वे भी प्रधान मंत्री की योजनाओं के लाभान्वितों और जन संपर्क में ही अपना समय निकाल रहें है।

शपथ ग्रहण समारोह की तारीख हर दिन बदलने से प्रदेश में भाजपा की छवि पर भी असर पड़ा है।कांग्रेस इस मुद्दे पर भाजपा पर हमलावर हुई है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा रोज कई प्रकार के बयान देकर भाजपा को घेरने का प्रयास कर रहें हैं। हालाकि भाजपा का कहना है कि पार्टी के शीर्ष नेताओं की संसद में रही व्यस्तताओं और उनके दिल्ली से बाहर दौरों पर रहने के कारण इसमें देरी हुई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी ने भी कहा कि भजन लाल मंत्रिपरिषद का पहला विस्तार अब होने ही वाला है। भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में प्रतिपक्ष के पूर्व नेता राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि मंत्रिपरिषद की प्रसव पीड़ा का समय अब शीघ्र ही समाप्त होने वाला है।

इस बीच यह सुखद खबर आ रही है कि आखिर शनिवार 30 दिसंबर को अपरान्ह 3.15 बजे भजन लाल मंत्रिपरिषद के विस्तार की तारीख और कार्यक्रम तय हो गया है। इसके पहले आज शुक्रवार को शाम मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा एक बार फिर से नई दिल्ली पहुंच गए है और केंद्रीय गृह मंत्री और पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा आदि से उनकी मुलाकात का कार्यक्रम है। वे संभव हुआ तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेंगे। भजन लाल अपनी टीम मंत्रिपरिषद में शामिल किए जाने वाले मंत्रियों की सूची पर अंतिम मुहर लगवा कर नई दिल्ली से शनिवार को जयपुर लोटेंगे।

बताया जा रहा है कि भजन मंत्रिपरिषद में 15 से 20 अथवा 22 मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है जिसमें अनुभव और युवा चेहरों का मिश्रण देखा जा सकता है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि कोई आश्चर्य नहीं कि हमेशा अपने फैसलों से चौंकाने वाला भाजपा का शीर्ष नेतृत्व गुजरात की तर्ज पर राजस्थान मंत्रिपरिषद में भी आमूल चूल परिवर्तन कर देवें। साथ ही अपने कुछ चुनाव हारने वाले बड़े नेताओं जैसे विधान सभा में प्रतिपक्ष के पूर्व नेता राजेंद्र राठौड़ और उप नेता डॉ सतीश पूनिया को भी मंत्री पद पर सवार होने का फैसला जारी कर देवें जैसा उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को विधानसभा चुनाव हारने के बावजूद सरकार बनाने का अवसर दिया गया था।

देखना है राजस्थान की भजन मंडली में उनके और कौन कौन साथी शामिल होने वाले है और उनके कंधों पर कौन कौन से विभागों का दायित्व आने वाला है?