Rajesh Khanna: जिनके नाम है 15 लगातार हिट फिल्मों का एक अविश्वसनीय रिकॉर्ड

'आराधना' ने बनाया उन्हें बॉलीवुड का पहला सुपरस्टार

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Rajesh Khanna: जिनके नाम है 15 लगातार हिट फिल्मों का एक अविश्वसनीय रिकॉर्ड

कीर्ति किरण कापसे की रिपोर्ट 

बॉलीवुड के इतिहास में कुछ सितारे ऐसे होते हैं जो सिर्फ फिल्मों में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में हमेशा के लिए बस जाते हैं। ऐसे ही एक नायाब सितारे का नाम है राजेश खन्ना, जिन्हें प्यार से ‘काका’ कहा जाता था। राजेश खन्ना ने साल 1966 में अपने फिल्मी करियर की शुरुआत फिल्म ‘आखिरी खत’ से की थी, जिसे मशहूर निर्देशक बासु भट्टाचार्य ने निर्देशित किया था। फिल्म को समीक्षकों से सराहना तो मिली, लेकिन ये बॉक्स ऑफिस पर कोई खास कमाल नहीं कर पाई।

संघर्ष का दौर: 1966 से 1968

1966 से 1968 तक के तीन साल राजेश खन्ना के लिए संघर्षपूर्ण रहे। इस दौर में उन्होंने ‘राज’, ‘बहारों के सपने’, ‘औरत’, ‘दौलत के दुश्मन’, ‘इत्तेफाक’ जैसी फिल्मों में काम किया, लेकिन पहचान उनसे अब भी दूर थी। इतना ही नहीं, उन्होंने एक फिल्म ‘दोराहा’ (1964) में भी भूमिका निभाई थी, लेकिन ये फिल्में उनकी किस्मत को बदल नहीं सकीं।

 *साल 1969: जब सितारे जमीं पर उतर आए* 

साल 1969 में वह ऐतिहासिक पल आया, जब फिल्म ‘आराधना’ ने राजेश खन्ना को रातों-रात सुपरस्टार बना दिया। इस फिल्म में उनके साथ थीं शर्मिला टैगोर और फरीदा जलाल। शक्ति सामंत के निर्देशन में बनी इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर झंडे गाड़ दिए। फिल्म ने 100 दिनों तक सिनेमाघरों में अपना कब्ज़ा बनाए रखा, और दर्शकों का जुनून ऐसा था कि टिकट मिलना तक मुश्किल हो गया था।

*15 लगातार हिट फिल्में: एक अविश्वसनीय रिकॉर्ड* 

‘आराधना’ के बाद राजेश खन्ना ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1969 से 1975 के बीच उन्होंने लगातार 15 सोलो हिट फिल्में दीं—जो आज भी एक रिकॉर्ड मानी जाती हैं। फिल्में जैसे ‘दो रास्ते’, ‘सच्चा झूठा’, ‘खामोशी’, ‘हाथी मेरे साथी’, ‘आनंद’, ‘डाग’, ‘अमर प्रेम’, ‘कटी पतंग’, ‘अफसर’, ‘बावर्ची’, ‘दुश्मन’, ‘नामक हराम’ आदि उनके करियर की बुलंदियों की मिसाल हैं।

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*आइकॉनिक जोड़ी और सदाबहार गाने* 

‘आराधना’ में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी को दर्शकों ने बेहद पसंद किया। इस फिल्म के गाने—‘मेरे सपनों की रानी’, ‘रूप तेरा मस्ताना’, ‘कोरा कागज़ था ये मन मेरा’ आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। एस.डी. बर्मन की धुनें और किशोर कुमार की आवाज़ ने राजेश खन्ना को सदी का रोमांस किंग बना दिया।

*जब दीवारों पर लिखा जाता था नाम* 

राजेश खन्ना का क्रेज़ इस कदर था कि लड़कियाँ उनके नाम से शादी करने के ख्वाब देखती थीं। फैन्स उनके घर के बाहर खून से खत लिखते थे। उनके हर अंदाज़—बालों को पीछे झटकना, मुस्कुराना, संवाद बोलना—एक स्टाइल स्टेटमेंट बन गया था।

 *‘आनंद’ में अमर हो गया किरदार* 

राजेश खन्ना की फिल्म ‘आनंद’ (1971) में निभाया गया किरदार आज भी याद किया जाता है। “बाबू मोशाय, जिंदगी बड़ी होनी चाहिए लंबी नहीं”—ये डायलॉग हिंदी सिनेमा का अमर संवाद बन चुका है।

*दूरदर्शन से लेकर डिजिटल तक: आज भी जिंदा है जादू* 

राजेश खन्ना की लोकप्रियता सिर्फ उनके समय तक सीमित नहीं रही। आज भी उनकी फिल्में टीवी चैनलों पर दिखाई जाती हैं, यूट्यूब पर करोड़ों व्यूज़ पाती हैं, और सोशल मीडिया पर उनकी स्टाइल और डायलॉग ट्रेंड में रहते हैं।

राजेश खन्ना सिर्फ एक अभिनेता नहीं, एक युग थे। उन्होंने न केवल सफलता का नया पैमाना स्थापित किया, बल्कि अपने अभिनय और व्यक्तित्व से करोड़ों दिलों को जीत लिया। उनकी ‘आराधना’ ने उन्हें एक सुपरस्टार नहीं, बल्कि सदी का पहला सुपरस्टार बना दिया। आज भी जब बॉलीवुड के सुनहरे दौर की बात होती है, तो सबसे पहले नाम आता है—राजेश खन्ना का।