राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: जैसा समझ रहे थे, वैसे नहीं हैं मोहन यादव
नौकरशाही को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव जिस तरह से तीखे तेवर दिखा रहे हैं, उसने आम जनता तो ठीक भाजपा के ही कई नेताओं को भी चौंका रखा है। कहा यह जा रहा है कि निशाने पर नौकरशाही है, पर संदेश कुछ और ही है।
वैसे मंत्रिमंडल के यादव के सहयोगी भी यह तो मानने लगे हैं कि जैसा हम समझ रहे थे, वैसा कुछ नहीं है। बहुत पैनी निगाहें हैं सबके कामकाज पर और कई मंत्रियों को इसका अहसास भी करवा दिया गया है। ऐसा लग रहा है सत्ता और संगठन से हटकर एक अलग नेटवर्क मुख्यमंत्री के लिए काम कर रहा है और इसकी निगाहों से बचना बहुत मुश्किल है।
जिस पर मोदी शाह को भरोसा, उन्हीं को राज्यों का प्रभार
तमाम दिग्गजों को दरकिनार कर कर उन्ही नेताओं को फिर लोकसभा चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका दी गई है जिन पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह भरोसा करते हैं। विधानसभा चुनाव के लिए राज्यों के प्रभारी घोषित कर दिए। मध्य प्रदेश का प्रभार उत्तर प्रदेश के एमएलसी यानी विधान परिषद सदस्य महेंद्र सिंह को सौंपा गया है और एनडीएमसी के उपाध्यक्ष सतीश उपाध्याय सह प्रभारी की भूमिका में रहेंगे। संदेश एक ही है लोकसभा चुनाव में 400 पार का टारगेट लेकर चल रही भाजपा में इस बार भी दिल्ली के दूत ही अहम भूमिका में रहेंगे।
दक्षिण में मोदी के मददगार की भूमिका में शिवराज
2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ा बहुमत पाने की तैयारी कर रही भाजपा का इन दिनों दक्षिण के राज्यों पर बहुत फोकस है। प्रधानमंत्री लगातार वहां दौरे कर रहे हैं और दक्षिण से जुड़े नेताओं को बहुत तवज्जो भी मिल रही है।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अब दक्षिण के राज्यों में प्रधानमंत्री के मददगार की भूमिका में आ गए हैं। पार्टी नेतृत्व के इशारे के बाद वे लगातार वहां के दौरे कर रहे हैं और स्थानीय नेताओं से संवाद कर पार्टी के आधार को मजबूत करने में लगे हैं। शिवराज जहां भी जा रहे हैं, वहां के कार्यक्रमों में बड़ी संख्या में लोग भी आ रहे हैं। महिलाओं और बच्चियों में उनकी लोकप्रियता दक्षिण में भी देखने को मिल रही है।
नकुलनाथ… लोकसभा चुनाव तो लड़ेंगे पर किस दल से
कमलनाथ के सांसद बेटे नकुलनाथ लोकसभा का चुनाव तो लड़ेंगे इसमें कोई शक ही नहीं है। सवाल यह है कि वे किस पार्टी से मैदान में उतरेंगे। स्वाभाविक जवाब तो यह है कि कांग्रेस से ही एक बार और किस्मत आजमाएंगे, लेकिन ऐसा कहा जा रहा है कि वे इस बार भाजपा के टिकट पर मैदान संभाल सकते हैं।
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व जिस तरह से कमलनाथ की उपेक्षा कर रहा है, उससे अब वे बेहद नाराज हैं और बड़ा झटका देने के मूड में हैं। भाजपा के कई दिग्गज नेता कमलनाथ के संपर्क में हैं और इस बात की पूरी तैयारी है कि इस बार छिंदवाड़ा में बदला हुआ नजारा मिले।
पिता के रिलीवर की भूमिका या कोई नई संभावना
विधायक नहीं बन पाए आकाश विजयवर्गीय के लिए पिता कैलाश विजयवर्गीय ने नया रास्ता तैयार कर दिया है। मंत्री बनने के बाद विजयवर्गीय पर पूरे प्रदेश की जिम्मेदारी है, ऐसे में अपने विधानसभा क्षेत्र पर वे पूरा समय नहीं दे पा रहे हैं ।
चुनाव के समय इंदौर 1 के मतदाताओं से विजयवर्गीय ने बड़े-बड़े वादे किए थे और यहां के लोगों ने भी उन्हें भारी बहुमत से जिताया। अब विजयवर्गीय ने क्षेत्र आकाश के जिम्मे कर दिया है और वे ही यहां के विधायक की भूमिका में हैं। इस आकाश के लिए एक नई संभावना के रूप में भी देखा जा रहा है।
अब नई भूमिका में दिखेंगे संघ के ये दो दिग्गज
काफी समय से सक्रिय राजनीति में आने की कोशिश में लगे संघ के दो दिग्गज गोपाल गोयल और अशोक अधिकारी की नई भूमिका पर सबकी नजर है। उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए संघ नेतृत्व ने दोनों को संघ के तमाम दायित्वों से मुक्त कर दिया गया है। शुरुआती दौर में दोनों को लोकसभा क्षेत्र से लोगों को अयोध्या ले जाने के लिए गठित समिति में स्थान दिया गया है। देखना यह है कि नई भूमिका में ये दोनों दिग्गज कितने सफल हो पाते हैं, क्योंकि संघ में तो लंबे समय तक इनकी तूती बोलती थी।
CM-CS का तालमेल, नतीजा.. देखिए IAS अफसरों की तबादला सूची
मुख्यमंत्री मोहन यादव और मुख्य सचिव वीरा राणा के बीच प्रशासनिक तालमेल तो यही संकेत दे रहा है कि राणा अब प्रभावी भूमिका में आ गई है। उनके सेवा विस्तार की संभावना को भी नकारा नहीं जा सकता हैं। दोनों के बीच तालमेल पर बारीकी से समझना हो तो आईएएस अफसर की ताजा तबादला सूची पर एक नजर डाल लीजिए।
*चलते-चलते*
खरगोन-बड़वानी लोकसभा सीट पर राज्यसभा सदस्य सुमेरसिंह चौहान की भी नजर है। गजेन्द्र पटेल के स्थान पर संघ की सिफारिश पर उन्हें मौका मिल सकता है, लेकिन जिस अंदाज में पुलिस अफसर अमृता सोलंकी यहां सक्रिय हुईं हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि उन्हें भी संघ की नजदीकी का फायदा मिल सकता है।
भाजपा और इंदौर-दो से बहुत नजदीकी संबंध होने के बावजूद राकेश अखंड को इंदौर नगर निगम से रवानगी मिल गई। सालों से नगर निगम के बिजली विभाग में एकतरफा साम्राज्य चला रहे अखंड को नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय के सबसे चहेते एमआईसी सदस्य जीतू यादव की नाराजगी भारी पड़ गई। वैसे अखंड ने उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी है।
*पुछल्ला*
अभी निवाड़ी जिला पंचायत के सीईओ रोहन सक्सेना ने इंदौर वापसी के लिए पूरी ताकत लगा रखी है। दिक्कत एक ही है कि वे जिस पद पर आना चाहते हैं, वह कैलाश विजयवर्गीय के महकमें से जुड़ा हुआ है। इसी गुट के पार्षदों से नगर निगम में अपर आयुक्त रहते हुए सक्सेना का बड़ा विवाद हुआ था।
*बात मीडिया की*
दैनिक भास्कर में आने वाले समय में बड़े बदलाव की आहट है। मैनेजमेंट ने इस पर काम भी शुरू कर दिया है। तैयारी कई लोगों को बाहर का रास्ता दिखाने की है। यह बहुप्रतिक्षित कवायद मार्च में आकार लेगी।
नईदुनिया की टीम में इस बात की बड़ी चर्चा है कि आखिर उनके मार्गदर्शक स्टेट एडीटर सद्गुरुशरण अवस्थी हर अहम मौके पर टीम के साथ क्यों नहीं रहते। इस बार जब 22 जनवरी को पूरी टीम को उनके मार्गदर्शन की जरूरत थी, वे अपने गृहनगर लखनऊ चले गए।
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