राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: संघ के फीडबैक के बाद मंत्रियों की परेड

890

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: संघ के फीडबैक के बाद मंत्रियों की परेड

पिछले दिनों पढ़ाई-लिखाई और खेती-किसानी से ताल्लुक रखने वाले तीन मंत्री अचानक मुख्यमंत्री निवास तलब किए गए। वहां पर भाजपा के सहसंगठन मंत्री शिवप्रकाश, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद भी मौजूद थे। तीनों मंत्रियों से लंबे-चौड़े सवाल-जवाब हुए और लब्बोलुआब यह निकला कि इन विभागों में बोल वचन तो बहुत हो रहे हैं, लेकिन बात कागजों से आगे नहीं बढ़ पा रही है। दो-तीन घंटे चली कवायद के बाद मंत्रियों से कहा गया कि मैदान से मिले फीडबैक के बाद आपके विभाग की नीतियों में जो बदलाव जरूरी है, उसे तत्काल में अमल में ले आएं। सार यह निकला कि अब शिक्षा और कृषि में जैसा संघ चाहेगा, वैसा ही सरकार को करना होगा।

मालवा निमाड़ में मजबूत है विजयवर्गीय का नेटवर्क

मालवा-निमाड़ यानि इंदौर उज्जैन संभाग में कैलाश विजयवर्गीय का मजबूत नेटवर्क भाजपा के लिए परेशानी का कारण बनता नजर आ रहा है। अलग-अलग स्तर पर जो मैदानी कवायद चल रही है, उसमें यह बात सामने आई है कि विजयवर्गीय के भरोसे यहां के हर विधानसभा क्षेत्र में उनके समर्थक टिकट की दौड़ में हैं। इनमें से कई वर्तमान विधायकों पर भारी पड़ रहे हैं, तो कुछ दावेदारी नकारने की स्थिति में बगावती तेवर भी अपना सकते हैं।

kailash vijayvargiya 69389

इन समर्थकों की खासियत यह है कि वे अपने नेता में अंधा भरोसा करते हैं और यह मानकर चल रहे हैं कि हमारा टिकट तो पक्का ही है। अब इन्हें यह कौन समझाए कि यह भाजपा है, यहां मजबूत नेता को पार्टी के ही लोग कमजोर कर देते हैं।

विवेक तन्खा का बदला अंदाज

विवेक तन्खा की गिनती कांग्रेस के शांत, शालीन और समझदार नेताओं में होती है। नपे-तुले शब्दों में अपनी बात कहते हैं और उनकी बात को दिल्ली दरबार भी गंभीरता से लेता है। पिछले दिनों वे ग्वालियर में थे।

Vivek-Tankha

वहां जिस अंदाज में उन्होंने कमलनाथ की खूबियों को रेखांकित किया, उसने सबको चौंकाया। बकौल, तन्खा कमलनाथ के पास धन संपत्ति है, हवाई जहाज है, हेलीकाप्टर है और वे सभी संसाधन हैं, जो राजनीति के लिए जरूरी होते हैं, इसलिए वे मध्यप्रदेश में हमारे नेता हैं। तन्खा ने जो कहा वह 100 प्रतिशत सही है, लेकिन इसे जिस अंदाज में आगे बढ़ाया गया, उसका अर्थ तो कुछ और ही निकल रहा है।

गड़बड़ा रही है कमलनाथ की केंद्रीकृत व्यवस्था

कमलनाथ की केंद्रीयकृत व्यवस्था गड़बड़ाती दिख रही है। इस अहम दौर में जब कांग्रेस मध्यप्रदेश की सत्ता पाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है, इसी व्यवस्था के चलते पार्टी के बड़े नेता अलग-अलग रास्तों पर जाते दिख रहे हैं। इनमें से कुछ कहने लगे हैं कि सुना तो सबको जाता है, लेकिन होता वही है, जो कमलनाथ चाहते हैं।

kamalnath 1320989014 sm

ये नेता सार्वजनिक रूप से उल्टा-सीधा कहकर अपनी भड़ास भी निकालने लगे हैं, जिसका नुकसान पार्टी को हो रहा है। वैसे कुछ भी कहने वाले इन नेताओं की पीठ पर भी उन्हीं लोगों का हाथ है, जिनपर कमलनाथ बहुत भरोसा करते हैं। अपने ही नेता की घेराबंदी की इस अदा पर अब क्या कहा जाए।

परेशान वीडी शर्मा को सुनील आम्बेकर की मदद

वीडी यानि विष्णुदत्त शर्मा जब भी परेशानी में रहते हैं, संघ के दिग्गज सुनील आम्बेकर उनके संकटमोचक बन जाते हैं। आम्बेकर और शर्मा का ताल्लुक उस दौर से है, जब आम्बेकर विद्यार्थी परिषद के सर्वेसर्वा हुआ करते थे और शर्मा भी उनकी टीम का हिस्सा थे। स्वाभाविक है जब कोई पुराना साथी परेशान दिखे तो वरिष्ठ से मदद मिल ही जाती है।

याद रखा जाएगा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का यह फैसला ...

कहा यह जा रहा है कि जब राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के भोपाल दौरे के बाद शर्मा निशाने पर आ गए थे, तब आम्बेकर की मदद से ही वे बरकरार रह पाए थे। देखना यह है कि यह तालमेल शर्मा को कब तक प्रदेशाध्यक्ष पद पर काबिज रख पाता है।

आदिवासी क्षत्रपों पर भारी पड़ेगा नया नेतृत्व

लंबी कवायद के बाद भाजपा ने आखिर आदिवासी क्षेत्रों में दिग्गज नेताओं का मजबूत विकल्प तैयार कर लिया है। इनमें से कई इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव में मैदान में नजर आएंगे। 2018 में मध्यप्रदेश की सत्ता गवाने का एक बड़ा कारण आदिवासी क्षेत्रों में कांग्रेस से पिछडऩा रहा था। अगर सबकुछ ठीकठाक रहा तो 2023 के विधानसभा चुनाव में भाजपा आदिवासी सीटों पर नए नेतृत्व की अगुवाई में मैदान संभालती नजर आएगी। जो हालात दिख रहे हैं, उसमें अब प्रेमसिंह पटेल, अंतरसिंह आर्य सहित आधा दर्जन स्थापित आदिवासी भाजपा नेता टिकट से ही वंचित किए जा सकते हैं।

चलते-चलते
झाबुआ कलेक्टर के रूप में बहुत छोटी पारी खेलने वाली रजनीसिंह को हटाए जाने का एकमात्र कारण यह है कि कि वे बहुत निष्पक्षता के साथ काम कर रही थी और यह वहां के भाजपा नेताओं को रास नहीं आ रहा था। वैसे नई कलेक्टर तनवी हुड्डा भी इसी लाइन पर चलती नजर आ रही हैं।

पुछल्ला

युवा आयोग के अध्यक्ष पद पर डॉ. निशांत खरे और सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष पद पर प्रताप करोसिया की नियुक्ति भविष्य की भाजपा का संकेत है।

बात मीडिया की

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार और पुलिस महकमे में जबरदस्त पकड़ रखने वाले मृगेन्द्र सिंह और उनके साथी संजय दुबे अब राज एक्सप्रेस समूह के सर्वेसर्वा हो गए हैं। इन लोगों ने अरुण सहलोत से राज एक्सप्रेस को टेकओवर कर लिया है। दैनिक जागरण में लंबी पारी खेलने वाले मृगेन्द्र सिंह की गिनती उन पत्रकारों में होती है, जिनका प्रशासन और पुलिस में तगड़ा नेटवर्क है।

नईदुनिया के समूह संपादक सद्गुरुशरण इन दिनों इंदौर संस्करण के कुछ संपादकीय साथियों से बहुत नाराज हैं। उनकी इस तल्खी का कारण पिछले दिनों नईदुनिया में प्रकाशित हुए वे दो समाचार हैं, जिन्हें उन्होंने नईदुनिया के स्तर का नहीं माना। इनमें से एक समाचार एक कथित उद्योगपति को लेकर था, तो दूसरा एक कांग्रेस नेत्री के धार्मिक आयोजन का। इसके लिए उन्होंने संपादकीय टीम के दो वरिष्ठ लोगों के साथ ही डेस्क के भी दो लोगों को जिम्मेदार माना है। नाराजी दर्शाते हुए समूह संपादक ने जो मेल अपनी टीम को भेजा है, उसके बाद कहने को कुछ बचता नहीं है।

दैनिक भास्कर और नईदुनिया में लंबे समय तक सेवाएं दे चुके अमित जलधारी का डिजिटल प्लेटफार्म इंदौर एक्सप्रेस इन दिनों काफी चर्चा में है। अमित की मेहनत के चलते इस प्लेटफार्म पर अभी तक 10 लाख से ज्यादा व्यू और ढाई हजार घंटे का स्क्रीन टाईम दर्ज हो चुका है। अमित की रेलवे बीट पर बहुत अच्छी पकड़ है और इसका पूरा फायदा उन्हें मिल रहा है।

भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार अमित सोनी ने भास्कर समूह को अलविदा कह दिया है। काम के बहुत अधिक प्रेशर के चलते अमित ने यह फैसला लिया।