राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: रास्ते अलग-अलग नजर आ रहे हैं शिवराज और वीडी के
कुछ महीने पहले तक कदम से कदम मिलाकर चल रहे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा के बीच इन दिनों दूरी नजर आ रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो मध्यप्रदेश में इन दिनों सत्ता और संगठन के रास्ते अलग-अलग हो गए हैं।
सरकार से जुड़े कार्यक्रमों में संगठन के मुखिया नजर नहीं आ रहे हैं और संगठन की सरपरस्ती में होने वाले आयोजनों में मुख्यमंत्री गायब दिख रहे हैं। फर्क इतना है कि मुख्यमंत्री इस कवायद में अकेले नजर आ रहे हैं, वहीं वीडी शर्मा को संगठन महामंत्री हितानंद के रूप में मजबूत सहयोगी मिला हुआ है।
घर बैठे चर्चा में आ गई ताई
सोशल मीडिया पर जो हो जाए वह कम है। इंदौर में थोड़ी बहुत सक्रियता दिखा रही पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन को लेकर अचानक चर्चा चल पड़ी की उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया जा रहा है। बात ताई तक पहुंची तो उन्होंने कहा ना मुझे ऐसी कोई सूचना है ना किसी ने मुझसे इस बारे में पूछा है।
अब अफवाह फैलाने वालों को कौन समझाए की महाराष्ट्र सुमित्रा जी का गृह राज्य है और अभी तक की जो परंपरा है उसके मुताबिक सामान्यतः गृह राज्य में राज्यपाल बनाया नहीं जाता। वैसे भी महाराष्ट्र में संघ के खांटी भगत सिंह कोश्यारी राज्यपाल है और उनका कार्यकाल खत्म होने में काफी समय है।
प्रदेशाध्यक्ष पद पर भी है कई नेताओं की नजर
जेपी नड्डा को लेकर भले ही यह तय हो गया हो कि वे राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में एक कार्यकाल और पूरा करेंगे, लेकिन मध्यप्रदेश भाजपा के अध्यक्ष के रूप में वीडी शर्मा ही बरकरार रहेंगे, यह अभी तय नहीं हो पा रहा है।
प्रदेश भाजपा की एक मजबूत लॉबी किसी नए चेहरे को अध्यक्ष के रूप में देखना चाहती है और इस लॉबी ने सुनियोजित तरीके से शर्मा की घेराबंदी शुरू कर दी है। कुछ नाम भी आगे बढ़ा दिए गए हैं और इनमें से एक विद्यार्थी परिषद से ही अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले ग्वालियर-चंबल क्षेत्र के कैबिनेट मंत्री का भी है।
आदिवासी सीटों का उलझता पेंच
अब जबकि विधानसभा चुनाव के लिए एक साल ही बचा है, आदिवासी सीटों को लेकर भाजपा और कांग्रेस दोनों में पेंच उलझता नजर आ रहा है। कांग्रेस को लग रहा है कि चूंकि विधायक हीरालाल अलावा उसके साथ हैं, इसलिए जयस आखिर में उसकी ही मदद करेगा।
अलावा के तेवर कुछ अलग हैं। जहां आनंद राय रहेंगे, वे उससे विपरीत दिशा में खड़े होंगे। भाजपा को अपने दिग्गज आदिवासी नेताओं की रणनीति पर भरोसा है और यह माना जा रहा है कि इस रास्ते वह जयस में सेंध लगा देगी। देखते हैं इस कवायद में किसे नफा और किसे नुकसान होता है।
निशांत खरे की सक्रियता और मुख्यमंत्री का भरोसा
संघ के बेहद निष्ठावान माने जाने वाले डॉ. निशांत खरे भले ही इंदौर के भाजपा नेताओं के सुनियोजित षडय़ंत्र के तहत महापौर पद का चुनाव नहीं लड़़ पाए हैं, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान तो इन दिनों उन पर बहुत भरोसा कर रहे हैं।
चाहे आदिवासी युवाओं को लामबंद करने का मामला हो या फिर नई पीढ़ी के लोगों को सरकार की योजनाओं का फायदा दिलाने का मामला हो, खरे पूरी ताकत से लगे हुए हैं। पिछले दिनों संघ की पहल पर यंग थिंकर्स फोरम का आयोजन जिस स्वरूप में हुआ उसके पीछे भी खरे की रणनीति ही काम आई। हां, इतना जरूर है कि भाजपा के कई नेता इन दिनों डॉ. खरे से आंख मिलाने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं।
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इंदौरी तिकड़ी अब पंच प्यारे बनी
जयपाल सिंह चावड़ा, गौरव रणदिवे और सावन सोनकर की तिकड़ी तो इंदौर भाजपा में सालभर से छाई हुई है। इस तिकड़ी से तार जोडऩे के लिए भाजपा के कई नेता लालायित रहते हैं। लेकिन यह तिकड़ी अब पंच प्यारे में तब्दील होती दिख रही है। इसके दो नए सदस्य महापौर पुष्यमित्र भार्गव और देपालपुर के पूर्व विधायक मनोज पटेल बताए जा रहे हैं। दिवाली के बाद जिस अंदाज में इन पंच प्यारों की मुख्यमंत्री और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष से मुलाकात हुई उसने इंदौर के भाजपा नेताओं को तो चौंका ही दिया है। देखना यह है कि यह एकजुटता बरकरार कब तक रह पाती है।
चलते-चलते
सत्यनारायण पटेल ने सफाईकर्मियों के सम्मान के नाम पर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा किया तो स्वप्निल कोठारी ने दीपावली मिलन समारोह में अपनी ताकत का अहसास करवाया। अब 8 नवंबर को स्वप्निल कमलनाथ की मौजूदगी में खेल प्रशाल में एक बड़ा आयोजन कर रहे हैं। देखते हैं इसकी तोड़ में पटेल का का नया दांव क्या रहता है।
इंदौर के दो खान नौशाद और इरफान की इन दिनों तूती बोल रही है। मालवा के एक मंत्री के बेहद खास माने जाने वाले इन दोनों ने कई और मंत्रियों को भी घेरे में ले लिया है। हालात यह है कि इनसे मिलने के लिए भी अब किसी माध्यम का जरूरत पडऩे लगी है।
पुछल्ला
कांग्रेस के इंदौर प्रभारी के रूप में सेवादल के पूर्व राष्ट्रीय मुख्य संगठक महेंद्र जोशी जिस भूमिका में हैं, उससे यहां के कई समीकरण गड़बड़ाते नजर आ रहे हैं। जोशी के तार सीधे कमलनाथ से तो जुड़े हुए हैं ही और जब वे पुलिस की नौकरी में थे, तब प्रवीण कक्कड़ उनके बैचमेट ही थे, यानि डबल कनेक्शन। वह भी हाई पॉवर वाला।
बात मीडिया की
नवदुनिया भोपाल का एक मजबूत विकेट डाउन हो गया है। कुछ महीने पहले ही यहां आमद देने के बाद धमाकेदार पारी खेलने वाली वरिष्ठ पत्रकार दक्षा वेदकर ने संस्थान को अलविदा कह दिया है। वे यहां सिटी चीफ की भूमिका में थी। दक्षा के इस फैसले के लिए स्टेट एडीटर सद्गुरुशरण अवस्थी के गलत फैसले को कारण माना जा रहा है। दक्षा दैनिक भास्कर और प्रभातकिरण में भी कार्य कर चुकी हैं।
दैनिक भास्कर इंदौर के मार्केटिंग विभाग के आधा दर्जन से ज्यादा लोगों ने संस्थान को अलविदा कह दिया है। इस्तीफा देने वाले ये साथी भास्कर के साथ लम्बे समय से जुड़े हुए थे, पर यूनिट हेड नरेश प्रताप सिंह से पटरी नहीं बैठने के कारण अंतत: इन्होंने संस्थान को गुडबाय कह दिया।
वरिष्ठ पत्रकार अभिषेक चेंडके ने अमर उजाला डिजिटल में आमद दे दी है। वे इसके इंदौर ब्यूरो प्रभारी के रूप में अपनी सेवाएं देंगे। अभिषेक नईदुनिया में सिटी चीफ के रूप में कार्यरत थे।
40 वर्षों की सेवा के बाद फ्री प्रेस इंदौर के वरिष्ठ साथी टी.पी. इमेन्युएल पिछले दिनों सेवानिवृत्त हो गए। उन्होंने कम्प्यूटर ऑपरेटर के रूप में इस संस्थान में आमद दी थी और विभिन्न पदों पर रहते हुए अपनी एक अलग पहचान बनाई।
प्रजातंत्र अखबार की प्रॉडक्शन यूनिट में डिजाइनर के रूप में सेवाएं दे रहे दयाल वर्मा, विक्की चौहान और योगेंद्रसिंह जादौन ने अब संस्थान से नाता तोड़ लिया है।
वरिष्ठ पत्रकार अमित त्रिवेदी टीम सांध्य दैनिक मातरम इंडिया का हिस्सा हो गए हैं।
नईदुनिया के खरगोन ब्यूरो में सेवाएं दे रहे अमित भटोरे का तबादला प्रबंधन ने बिलासपुर कर दिया है।