Rajwada-2-Residency: शिवराज की चुप्पी और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की सेवावृद्धि

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शिवराज की चुप्पी और मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की सेवावृद्धि

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का निशाना भी अचूक ही है। जो सोच लेते हैं, उसे करके ही दम लेते हैं। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को लेकर पिछले 6 महीने में खूब अटकलें लगी। आधा दर्जन से ज्यादा नाम इस सर्वोच्च प्रशासनिक पद के लिए चर्चा में थे। अनुराग जैन से लेकर अजय तिर्की तक के नाम गिनवा दिए गए। कभी इसे आगे बताया गया कभी उसे।

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शिवराज आखिरी दिन तक चुप्पी साधे रहे और इकबाल सिंह बैंस को 6 महीने की सेवावृद्धि मिलने के बाद उनका मुंह मीठा करवाने में भी पीछे नहीं रहे। बैंस की मौजूदगी यानि सीधे दो फायदे, पहला नौकरशाही के मोर्चे पर शिवराज बेफिक्र और दूसरा मंत्रालय के कामकाज में मंत्रियों की अनावश्यक दखल से मुक्त। इसे ही कहते हैं एक तीर से कई निशाने।

*बड़ा सवाल तो यह है कि आखिर मुख्यमंत्री की नाराजगी का वीडियो वायरल किसने किया* 

इन दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के औचक निरीक्षण बहुत चर्चा में है। अपने गृह जिले सीहोर में एक निर्माणाधीन परियोजना के निरीक्षण के लिए पहुंचे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान वहां मीडिया के लोगों की गैरमौजूदगी के चलते जनसंपर्क विभाग के अधिकारी पर भड़क गए और बोले मुख्यमंत्री का दौरा है और एक भी मीडिया वाला नहीं। अधिकारी ने सफाई दी तो सीएम ने उसी को हिदायत दी कि एक एक चीज कवर करो। मौके पर चुनिंदा अफसर और 1-2 नेता ही मौजूद थे। सवाल यह है कि आखिर मुख्यमंत्री की मीडिया की गैरमौजूदगी पर शिवराज की नाराजगी वाला यह वीडियो वायरल किसने किया।

*खडग़े की नाराजगी,कमलनाथ की चुप्पी और कई नेताओं के लिए बडी परेशानी* 

कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद मल्लिकार्जुन खडग़े पिछले दिनों इंदौर आए। अपनी अनुशासनहीनता के लिए देशभर में कुख्यात इंदौर के कांग्रेसी राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने भी बाज नहीं आए। जिन चुनिंदा नेताओं को विमानतल के भीतर खडग़े का स्वागत करना था, वे फोटो खिंचवाने की होड़ में धक्का-मुक्की में लग गए और राष्ट्रीय अध्यक्ष से ही टकरा गए।

बमुश्किल उन्हें बाहर लाया गया, वहां जो नजारा उन्होंने देखा उसके बाद तो वे आपा खो बैठे और पत्रकारों से बात किए बिना सीधे गाड़ी में जाकर बैठ गए। अगले दिन कई लोगों के सामने उन्होंने इस मुद्दे पर अपनी नाराजगी जताई और यहां से रवाना होने के पहले यह हिदायत दे डाली कि कोई भी मुझे छोडऩे एयरपोर्ट नहीं आएगा। कमलनाथ अभी तो चुप हैं, पर भारत जोड़ो यात्रा के बाद इस मामले में उनकी नाराजगी का शिकार कई लोगों को बनना पड़ेगा।

*दिग्विजय बोले, हमारा 42 साल पुराना साथ, मैं हमेशा कमलनाथ का राईट साइड ही रहा* 

कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की जुगल जोड़ी को लेकर समय-समय पर अलग-अलग खबरें सामने आती रहती हैं। पिछले दिनों इंदौर के नजदीक बारोली में राहुल गांधी की प्रेस कान्फ्रेंस के पहले दोनों नेता एक मंच पर थे।

पहले दोनों के बैठने की व्यवस्था दूर-दूर रखी गई थी, लेकिन बाद में जब शोभा ओझा ने दिग्विजय सिंह से कहा कि आपको कमलनाथ के नजदीक बैठना है तो दिग्विजय सिंह बोले मैं किस्मत वाला हूं। हमारा 42 साल का साथ है और मैं हमेशा इनके राईट साइड में रहा हूं। आप किसी गलत फहमी में मत रहना। कमलनाथ कहां चुप रहने वाले थे, वे तत्काल बोले एक प्रेस कान्फ्रेंस मैं और दिग्विजय सिंह करेंगे अलग से।

*हाईकोर्ट में नए जजों की नियुक्ति की कवायद, इंदौर से भी 2 नाम* 

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में नए जजों की नियुक्ति होना है। मुख्य न्यायाधीश इसके लिए अलग-अलग स्तर पर संवाद कर चुके हैं और लंबी मशक्कत के बाद अब नाम दिल्ली पहुंच गए हैं। नियुक्ति दोनों कैटेगरी यानि न्यायिक सेवा और एडवोकेट से होना है।

ज्यादा मशक्कत एडवोकेट कैटेगरी में हुई है और छनकर जो जानकारी सामने आ रही है, उसके मुताबिक इस बार इंदौर के दो अधिवक्ताओं विनय सर्राफ और विवेक पटवा के नाम मध्यप्रदेश से दिल्ली पहुंचे हैं। देखते हैं मौका किसे मिलता है, क्योंकि नाम तो पहले भी कई आगे बढ़े, पर मौका कुछ को ही मिला।

 *एमपीसीए के चुनाव- सवाल बस एक ही,महाराज क्या बोल रहे हैं*  

एमपीसीए की राजनीति में इन दिनों फिर सरगर्मी है। दिसंबर के पहले पखवाड़े में एमपीसीए के चुनाव होना है और हर पद पर एक से ज्यादा लोगों की निगाहें हैं। एमपीसीए का फैसला करने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया अभी चुप हैं और उनकी इस चुप्पी के कारण दावेदारों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। जो भी पद पाना चाहता है, उसे लग रहा है कि सिंधिया उसके नाम पर स्वीकृति की मोहर लगा देंगे। सबसे प्रतिष्ठापूर्ण माने जाने वाले अध्यक्ष और सचिव पद के दावेदारों ने तो वोटरों को फोन घनघनाना भी शुरू कर दिया है। दिक्कत बस यह है कि जिसे भी फोन लगाते हैं वह यही पूछता है कि ‘महाराज’ से आपकी बात हो गई क्या? बस यहीं निरुत्तर हो जाते हैं दावेदार। वैसे अंदर की खबर यह है कि महाराज चुनाव नहीं चाहते हैं इसी कारण सबसे ज्यादा सक्रियता दिखाने वाले अमिताभ विजयवर्गीय अब बैकफुट पर आ गए हैं।

 *चलते-चलते* 

स्टेट बार काउंसिल में इंदौर के 4 सदस्य हैं। चौंकाने वाली बात तो यह है कि अध्यक्ष पद विवेक सिंह की ताजपोशी मे भी इनमें से 2 सदस्यों नरेंद्र जैन और जय हार्डिया की दुरी रही। सुनील गुप्ता जरूर मुख्य रणनीतिकार की भूमिका में रहे और विवेक सिंह को अध्यक्ष बनवाने में उन्ही की महत्वपूर्ण भूमिका रही। यह पद इंदौर के खाते में 40 साल बाद आया है।

*पुछल्ला* 

शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल ने अपने भतीजे अर्जुन को राहुल गांधी की सभा के दौरान मंच पर बुला लिया। पहले तो किसी ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब एक अनजान चेहरा दिग्गज नेताओं के बीच मंडराता नजर आया तो फिर सबकी बत्ती जली, लेकिन तब तक बाकलीवाल तो अपना काम कर चुके थे। इतना जरूर हुआ कि मामला कमलनाथ तक पहुंचा तो बाकलीवाल को फटकार खाना पड़ी। वैसे शैलेश गर्ग,संजय बाकलीवाल और इम्तियाज बेलिम की मंच पर मौजूदगी पर भी उंगली तो उठी है। वैसे सूची में नाम ना होने के बाद भी अर्चना जायसवाल ने मंच पर कुर्सी संभाल ली थी।

*बात मीडिया की* 

भास्कर में अपनी चला-चली की बेला में चल रहे स्टेट एडिटर अवनीश जैन भोपाल के दफ़्तर में गिर क्या गए लोगों ने फसाना बना दिया। खैर, सिर पर चोट खाने के बाद जैन अब अपने इंदौर के निपानिया स्थित बंगले को तैयार करवाने में लगे हैं। तीन मंजिला इस बंगले में इन दिनों इंटीरियर डिजाइनिंग का काम चल रहा है और अवनीश उसे अपने रहने के हिसाब से तैयार कर रहे हैं। इन दिनों वे फर्नीचर और इंटीरियर का सामान खुद ही खरीदकर ला रहे हैं, क्योंकि अब लग रहा इंदौर संस्करण में उन्हें किसी पर भरोसा नहीं रहा।

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राजधानी के वरिष्ठ पत्रकार नितेन्द्र शर्मा फिर फ्री प्रेस के भोपाल ब्यूरोचीफ हो गए हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में समान पकड़ रखने वाले नितेन्द्र सालभर पहले फ्री प्रेस छोड़कर न्यूज नेशन चैनल में चले गए थे। अब वे फिर फ्री प्रेस में सेवाएं देंगे।

वरिष्ठ पत्रकार रंजन श्रीवास्तव ने फ्री प्रेस को अलविदा कह दिया है। वे अभी यहां भोपाल ब्यूरो प्रमुख की भूमिका में थे। रंजन की नई पारी कहां और किस स्वरूप में होगी इसका सबको इंतजार है। वैसे अभी वे स्वतंत्र लेखन करेंगे।

पत्रिका की रिपोर्टिंग टीम में दो रिपोर्टर्स ने आमद दे दी है। शैलेन्द्र वर्मा प्रजातंत्र से पत्रिका पहुंचे हैं। पत्रिका को डेस्क के लिए वरिष्ठ साथियों की तलाश है।

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