राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी:
मुख्यमंत्री कह रहे हैं, अभी भी मौका है संभल जाओ मेरे भाई
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सत्ता से जुड़े अलग-अलग संगठनों से मिले फीडबैक के बाद यह माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश में लगभग 70 भाजपा विधायक ऐसे हैं, जो किसी भी हालत में चुनाव नहीं जीत पाएंगे। संघ की अनुशंसा तो इनमें से ज्यादातर को घर बैठाने की है। इनमें एक दर्जन के आसपास मंत्री भी हैं। अलग-अलग स्तर के इस फीडबैक के बाद मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान विधायकों से वन-टू-वन संवाद भी शुरू कर चुके हैं।
कहा यह जा रहा है कि मुख्यमंत्री विधायकों को अलर्ट कर रहे हैं कि अभी भी मौका है सक्रियता बढ़ाओ, नाराज कार्यकर्ताओं से संबंध सुधारो और जिन कामों से अपने वोट बढ़ा सकते हो, उन्हें अंजाम दे दो। हकीकत यह है कि इनमें से ज्यादातर को घर बैठाने की ही तैयारी है।
कैलाश विजयवर्गीय, प्रधानमंत्री और म.प्र. की सियासत
कैलाश विजयवर्गीय के भतीजे की शादी कुछ दिनों पहले हुई। यह शादी डेस्टीनेशन मैरिज थी और चुनिंदा लोगों के साथ विजयवर्गीय परिवार ने एम्बी वैली में शादी का लुत्फ उठाया था, लेकिन ये शादी चर्चा में आई दिल्ली में हुए स्वागत समारोह से। इस स्वागत समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी के बाद सबसे ज्यादा खबर यह प्रसारित हुई कि अब प्रधानमंत्री और विजयवर्गीय के संबंध सुधर गए हैं और इसका नतीजा आने वाले समय में देखने को मिलेगा।
नतीजा किस स्वरूप में होगा, इस पर भी अटकलें शुरू हो गई हैं। राजनीतिक पंडित यह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि अब विजयवर्गीय के दिन फिरेंगे और वे मध्यप्रदेश की राजनीति में फिर अहम भूमिका में रहेंगे। वैसे प्रधानमंत्री कुछ दिनों पहले ही विजयवर्गीय को बुलाकर मध्यप्रदेश की सियासत पर बात कर चुके हैं।
कमलनाथ का कोर ग्रुप और नेताओं में उठापटक
कमलनाथ का एक कोर ग्रुप है और इस कोर ग्रुप को भरोसे में लेकर ही वे ज्यादातर निर्णय लेते हैं। जब कमलनाथ भोपाल में रहते हैं तो रोज शाम इस कोर ग्रुप की बैठक होती है और मुद्दों पर मंथन होता है। अब समस्या दूसरी है इस कोर ग्रुप में होने वाली चर्चा पार्टी कार्यकर्ताओं तक पहुंचने लगी है।
दरअसल बैठक में मौजूद रहने वाले कई नेता जब अपने मुताबिक फैसला नहीं करवा पाने की स्थिति में कमलनाथ के सामने तो कुछ बोल नहीं पाते, लेकिन बाद में रायता बखूबी ढोल देते हैं। इसका नतीजा यह रहता है कि कई महत्वपूर्ण निर्णय अमल में आने के पहले ही विवादित हो जाते हैं। अब कमलनाथ पता करवा रहे हैं कि रायता ढोलने वाले आखिर ये हैं कौन?
गोविंद सिंह के कंधे पर बंदूक, निशाने पर कमलनाथ
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह इन दिनों कांग्रेस की राजनीति में अलग-अलग ध्रुव पर दिख रहे हैं। पर्दे के पीछे कमलनाथ की मुखालफत कर रही कांग्रेस की एक बड़ी लॉबी ने डॉ. सिंह को आगे करके कमलनाथ के फैसलों पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिए हैं।
दरअसल, इस लॉबी की तैयारी 2023 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण के दौरान कमलनाथ की तगड़ी घेराबंदी की है। वैसे कांग्रेस में इस लॉबी का यह काम कोई नया नहीं है। जब सिंधिया कांग्रेस में थे, तब ये लोग मिलकर ऐसी लामबंदी सिंधिया की किया करते थे।
बूथ कमेटियों पर उठी उंगली तो तीखे तेवर दिखाना पड़े वीडी को
भाजपा में शायद ऐसा पहली बार हुआ कि प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा की मौजूदगी में हुई एक अहम बैठक में प्रभारी की भूमिका निभा रहे कुछ नेताओं ने बूथ कमेटियों को ही फर्जी बता दिया। उनका कहना था कि ये कमेटियां कागजों पर बनी हैं, मैदान में इनका अस्तित्व नहीं है।
बात यहीं नहीं थमी, अध्यक्ष ने जब इसे गलत ठहराया और तीखे तेवर दिखाते हुए कहा कि आप अपने शब्द वापस लीजिए तो भी प्रभारी नहीं माने, अपनी बात पर अड़े रहे और गजब तो यह हुआ कि इनकी बात का समर्थन कुछ और नेताओं ने भी कर दिया। हालात से वाकिफ होने के बाद मुरलीधर राव को कहना पड़ा वे खुद जिलों का दौरा कर असलियत जानेंगे।
मध्य प्रदेश न आने का फैसला फायदेमंद रहा अग्रवाल के लिए
मध्यप्रदेश वापस न आने का फैसला तेज तर्रार आईएएस अधिकारी विवेक अग्रवाल के लिए बहुत फायदेमंद रहा। कृषि मंत्रालय में संयुक्त सचिव रहते हुए वे पीएम किसान योजना के प्रभारी थे और कई बार प्रधानमंत्री से उनका सीधा संवाद होता था। अतिरिक्त सचिव बनने के बाद वे वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग में अहम भूमिका में हैं।
इसी विभाग में अब उन्हें एक अतिरिक्त भूमिका और मिल गई है। वे अब यहां फाइनेंस इंटेलीजेंस यूनिट के संचालक भी बनाए गए हैं। वैसे अग्रवाल जहां भी पदस्थ रहते हैं, अपनी एक अलग पहचान बनाने में सफल होते हैं।
बेचारे बाकलीवाल और मददगार की भूमिका में चंदू काका
शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल के खिलाफ अनूप शुक्ला ने गांधी प्रतिमा पर प्रेस कान्फ्रेंस कर डाली। तमाम आरोप जड़ दिए। कांग्रेस का एक पदाधिकारी, मोर्चा संगठन का कोई भी अध्यक्ष या इंदौर में मौजूद प्रदेश पदाधिकारियों में से कोई भी बाकलीवाल के बचाव के लिए आगे नहीं आया। चार दिन बाद थोड़ी हलचल उस वक्त हुई, जब प्रकाशचंद्र सेठी के जमाने से कांग्रेस की राजनीति कर रहे चंदू अग्रवाल कुछ कार्यकर्ताओं को लेकर एक जाजम पर बैठे और कहा कि बाकलीवाल पाक-साफ हैं और इन्हें ही पद पर बरकरार रखना चाहिए।
चलते-चलते
आईएएस ऑफिसर्स एसोसिएशन की एक पार्टी में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी अजीता बाजपेयी पांडे का डांस जबरदस्त चर्चा में है। वैसे सेवानिवृत्ति के बाद बाजपेयी कांग्रेस की राजनीति में बड़ी अहम भूमिका में हैं और कई मुद्दों पर उनकी राय मायने भी रख रही है।
पुछल्ला
लेखकों की बिरादरी में एक और अफसर शामिल हो गई है। इंदौर में अपर कलेक्टर, अपर आयुक्त, सचिव लोक सेवा आयोग रहीं वंदना वैद्य अभी शहडोल की कलेक्टर है। उन्होंने शहडोल गाथा के रूप वहां के पुरातत्व संस्कृति एवं इतिहास का बहुत ही पठनीय विवरण संकलित किया है। इस पुस्तक का लोकार्पण पिछले दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान में किया था। लेखन से गहरा वास्ता रखने वाले शहडोल संभाग के आयुक्त राजीव शर्मा भी इस पुस्तक की तारीफ कर चुके हैं।
बात मीडिया की
दैनिक भास्कर प्रबंधन ने अपने वरिष्ठ पत्रकारों को रवानगी देने की तैयारी कर ली है। इन दोनों को भी प्रबंधन के फैसले की भनक लग चुकी है और यही कारण है कि पिछले 10 दिन से ये दफ्तर में नजर नहीं आ रहे हैं। जरा पता लगाइए ये दोनों महानुभव हैं कौन।
सालों तक नईदुनिया में अहम भूमिका में रहे वरिष्ठ पत्रकार दिलीप ठाकुर अब महापौर पुष्यमित्र भार्गव के मीडिया टीम में महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगे। इसका खुलासा खुद महापौर ने पिछले दिनों मीडिया के साथियों से अनौपचारिक चर्चा के दौरान किया।
मूलत: इंदौर के निवासी और सालों से दैनिक भास्कर के संपादकीय विभाग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे वरिष्ठ पत्रकार योगेश दुबे जल्दी ही दैनिक भास्कर के किसी संस्करण में संपादक की भूमिका में नजर आएंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की वरिष्ठ साथी लवीना फ्रांसिस जल्दी ही नई भूमिका में नजर आ सकती हैं। वे संस्थान को अलविदा कहकर प्रशिक्षण के लिए विदेश जा सकती हैं।
इंदौर में सीनियर कैमरा पर्सन गौतम सरदार अब आईएनएच टीवी को अलविदा कहकर खबर मध्यप्रदेश का हिस्सा हो गए हैं।