राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: डेढ़ दर्जन मंत्रियों के कटेंगे टिकट!

918

राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी: डेढ़ दर्जन मंत्रियों के कटेंगे टिकट!

01 10 2021 shivrajmpcm

संघ और सरकार के सर्वे के बाद अब चर्चा इस बात की है कि शिवराज मंत्रिमंडल के कितने मंत्री अगली विधानसभा में देखने को मिलेंगे। गाहे-बगाहे संघ और सरकार के सर्वे के नाम पर जो खबरे सामने आ रही हैं, उसने यह संकेत तो दे ही दिया है कि करीब डेढ़ दर्जन मंत्री या तो टिकट से वंचित कर दिए जाएंगे और यदि टिकट पा भी जाएंगे तो फिर जीतने की स्थिति में नहीं रहेंगे। इनमें चार मंत्री मालवा-निमाड़ के हैं। अपने संपर्कों के दम पर इन मंत्रियों ने उठापटक अभी से शुरू कर दी है। लेकिन इनकी जो ‘अकर्मण्यता और शोहरत’ ऊपर तक पहुंच चुकी है उसके बाद इन्हें कहीं से मदद मिलती दिख नहीं रही है।

*संघ से जुड़े दो मंत्रियों के कारनामे!*

संघ से ताल्लुक रखने वाले शिवराज मंत्रिमंडल के दो सदस्यों के कारनामे भारतीय जनता पार्टी के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन गए हैं।

शंकराचार्य

इन मंत्रियों और इनके स्टाफ के लोगों के भ्रष्टाचार के किस्से जिन महकमों के ये मंत्री हैं, उनमें ऊपर से नीचे तक गूंज रहे हैं। हालात कितने बिगड़े हुए हैं इसका अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि संघ के दिग्गजों और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की सिफारिश के बावजूद इनके महकमों में ‘बिना सिस्टम’ को फालो किए कोई काम होता ही नहीं। दिक्कत यह भी है कि ये दोनों मंत्री ‘सरकार’ के सर्वे में भी इस बार पाले से बाहर नजर आ रहे हैं।

*वीडी शर्मा को लेकर एक खबर की खोजबीन!*

बीते सप्ताह अचानक सोशल मीडिया पर यह खबर अवतरित हुई कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा को हटाया जा रहा है और उनका स्थान प्रदेश के स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री इंदरसिंह परमार लेंगे।

याद रखा जाएगा प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा का यह फैसला ...

इसके और आगे की कहानी सुनिए, खबर में यह भी बताया गया कि परमार जो कि अपने निर्वाचन क्षेत्र शुजालपुर के दौरे पर थे, को तत्काल प्रभाव से भोपाल बुला लिया गया है। हुआ कुछ भी नहीं, पर अब इस बात की पड़ताल चल रही है कि खबर कहां से चली और इसका जन्मदाता है कौन। खबर चलाने वाले ने तो अपना काम कर दिया, अब सफाई देते-देते परेशान परमार हो रहे हैं।

*कांग्रेस में फेरबदल की चर्चा!*

कमलनाथ के विदेश यात्रा से लौटते ही कांग्रेस में फेर-बदल की खबरों ने फिर जोर पकड़ लिया है। कहा जा रहा है कि विदेश जाने के पहले कमलनाथ जिन शहर और जिला कांग्रेस के अध्यक्षों को हटाया जाना है, उनके नामों का अनुमोदन महिला कांग्रेस की उपाध्यक्षों को तवज्जो देने बैठक हुई

पार्टी के केंद्रीय चुनाव प्राधिकारी से करवा चुके हैं। गेंद अब कमलनाथ के पाले में है, लेकिन इसी बीच दूसरी चर्चा भी चल पड़ी है। वह यह है कि पहले प्रदेश कांग्रेस में बदलाव होगा और फिर शहर और जिलों में नए अध्यक्ष देखने को मिलेंगे। ये खबर कब मूर्त रूप लेगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन वे तमाम नेता जरूर परेशानी में आते दिख रहे हैं, जिन्हें प्रदेश कांग्रेस से बेदखल करने की तैयारी कमलनाथ पहले ही कर चुके हैं।

*अफसरों के लिए सुखद संकेत लेकर आया नया साल!*

नया साल राज्य प्रशासनिक सेवा और राज्य पुलिस सेवा के अफसरों के लिए सुखद संकेत लेकर आया है। लंबे समय से भारतीय प्रशासनिक सेवा और भारतीय पुलिस सेवा में पदोन्नति की बाट जोह रहे इन दोनों सेवाओं से करीब 28 अधिकारी फरवरी के मध्य में होने वाली विभागीय पदोन्नति समिति की बैठक में पदोन्नति के लिए अनुशंसित हो जाएंगे।

iasips

मार्च में केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय का नोटिफिकेशन जारी होते ही ये अफसर केंद्रीय सेवाओं के अधिकारी हो जाएंगे। वैसे राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसर केंद्रीय सेवाओं में पदोन्नति के मामले में राज्य पुलिस सेवा के अफसरों से काफी आगे चल रहे हैं। राप्रसे में जहां 2002 बेच के अफसर आईएएस हो चुके हैं, वहीं रापुसे में 96 बेच के अफसरों को भी अभी आईपीएस बनने का इंतजार है।

*विवादास्पद IAS*

गंभीर आरोपों और विवादों के चलते रीवा और सीधी जिलों से विदा किए गए 2015 बेच के आईएएस अधिकारी अर्पित वर्मा शहडोल में भी विवादास्पद हो गए हैं। यहां भी उनके कामकाज के तरीके पर उंगली उठने लगी है और आला अफसर भी उनकी भूमिका से खुश नहीं हैं।

txMtHGn5 400x400

वर्मा को लेकर आला अफसरों का जो फीडबैक भोपाल तक पहुंचा है, वह इस युवा आईएएस अफसर के लिए कभी भी बड़ी परेशानी का कारण बन सकता है। गौरतलब है कि इकबालसिंह बैंस के मुख्य सचिव रहते प्रदेश में विवादित आईएएस अफसरों को अहम भूमिका से दूर ही रखा जा रहा है। यह स्थिति वर्मा के साथ भी बनने वाली है।

*चलते-चलते*

गोलू अग्निहोत्री और अरविंद बागड़ी के बीच चल रहे शह और मात के खेल में फायदा विनय बाकलीवाल का हो रहा है। कमलनाथ बाकलीवाल को शहर अध्यक्ष पद से बेदखल करने का मन बना चुके हैं, पर यह तय नहीं हो पा रहा है कि अग्निहोत्री व बागड़ी में से किसे मौका दिया जाए।

*पुछल्ला*

चर्चा इस बात की है कि आखिर महापौर पुष्यमित्र भार्गव की बात उनके ही खास समर्थक भरत पारख, कपिल शर्मा और भावेश दवे जैसे नेताओं ने क्यों नहीं मानी। महापौर के अनुरोध को ठुकराते हुए इन नेताओं के साथ ही मधु वर्मा, राजेन्द्र राठौर, सौगात मिश्रा, मनीष शर्मा मामा, भारत रघुवंशी जैसे बड़े भाजपा नेताओं ने भी महापौर के जन्मदिन के मौके पर अखबारों में बड़े-बड़े विज्ञापन छपवा दिए। कहने वालों को तो मौका मिल गया और वे यह कहने से नहीं चूक रहे हैं कि इनकी तो, किसी ने सुनी ही नहीं।

*बात मीडिया की*

भास्कर प्रबंधन के एक अहम फैसले के चलते समूह के अलग-अलग संस्करणों में पदस्थ संपादक समसामयिक मुद्दों पर तो लगातार लिख ही रहे थे, अब इनकी खबरें भी अखबारों में दिखने लगी हैं। दरअसल, सुधीर अग्रवाल ने अब यह तय किया है कि उनके संपादक अब खबरें भी लिखेंगे। इसी का नतीजा है कि लक्ष्मीप्रसाद पंत, अमित मंडलोई, उपमिता वाजपेयी जैसे दिग्गज संपादकों की कलम संपादकीय के साथ-साथ खबरों पर भी चलने लगी है।

देश के 5 सबसे बड़े केबल नेटवर्क में से एक डिजीयाना समूह ने अब राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद गुजरात में भी दस्तक दे दी है। जल्दी ही गुजरात में भी इस केबल नेटवर्क का विस्तार दिखेगा।

युवा पत्रकार सुरभि भावसार अब टीम पत्रिका का हिस्सा हो गई हैं। वे यहां के युवा परिशिष्ट में सेवाएं देंगी। वे अभी तक डिजियाना समूह के न्यूज पोर्टल में सेवारत थीं।