Rajwada To Residency: इलेक्शन मोड में आ गए हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान अब इलेक्शन मोड में आ गए हैं। जिस अंदाज में वे इन दिनों अफसरों से रूबरू हो रहे हैं और उनकी खिंचाई करने में पीछे नहीं रह रहे हैं, उससे यह स्पष्ट है कि वे जनता के बीच यह संदेश देना चाहते हैं कि मेरे लिए सबकुछ आप ही हो। फील्ड के अफसरों चाहे वे कमिश्नर हो या आईजी, कलेक्टर हो या एसपी से वे जब भी बात करते हैं, यह जताने में पीछे नहीं रहते हैं कि यदि उनके मातहत अमले ने जनता के साथ लापरवाही की तो उसके जिम्मेदार आप ही रहेंगे। इसी का नतीजा है कि ये आला अफसर बेहद चौकन्ने हैं और अपने मातहतों की लगाम कसे हुए हैं।
-एक दूसरे की रूचि को अच्छे से पहचान रहे हैं सुहास भगत और वी डी शर्मा
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष के रूप में वी.डी. शर्मा ने दो साल पूरे कर लिए। शर्मा की गिनती अब उन अध्यक्षों में होने लगी है, जिन्होंने प्रदेश में बूथ स्तर पर पहुंचकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवा दी है।
कहने वाले भले ही यह कहें कि शर्मा और संगठन महामंत्री सुहास भगत के बीच पटरी नहीं बैठ रही है, लेकिन हकीकत यह है कि दोनों ने अपनी लक्ष्मण रेखा तय कर रखी है और एक-दूसरे के काम में दखलंदाजी नहीं करते हैं। न चाहते हुए भी दोनों अनमने ढंग से उन निर्णयों को स्वीकार कर लेते हैं, जिसमें एक-दूसरे की रुचि रहती है। यही कारण है कि दोनों के समर्थक भी खुश हैं और जमकर उपकृत हो रहे हैं।
– इन दिनों बड़ी चर्चा है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ के पंच प्यारों की
कमलनाथ के पंच प्यारों की इन दिनों बड़ी चर्चा है। खरगोन विधायक रवि जोशी, देपालपुर के विधायक विशाल पटेल, बैतूल के विधायक निलय डागा, इंदौर के विधायक संजय शुक्ला और ग्वालियर के विधायक प्रवीण पाठक इन दिनों पूरे प्रदेश में कमलनाथ के नेटवर्क को मजबूत करने में लगे हैं।
कमलनाथ जब भोपाल में रहते हैं, तब इन लोगों का मुकाम भी 9, श्यामला हिल्स पर ही रहता है। प्रदेश के कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं की प्रदेशाध्यक्ष से मुलाकात में भी इनकी अहम भूमिका रहती है। इन पंच प्यारों का कमलनाथ के प्रिय पात्र दो दिग्गज नेताओं सज्जनसिंह वर्मा और एन.पी. प्रजापति से भी बहुत अच्छा तालमेल है।
– दिग्गी राजा तो बोल गए अब सोचने का विषय कमलनाथ के लिए है
दिग्विजय सिंह की खरी-खरी इन दिनों बड़ी चर्चा में है। सैलाना के कांग्रेस विधायक हर्षवर्धन गहलोत के परिवार में आयोजित एक विवाह समारोह में शामिल होने पहुंचे दिग्विजय सिंह जावरा के कांग्रेस नेताओं के दो समूहों के सामने जो कुछ बोले उससे तो यह संकेत मिल रहा है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस यदि इस बार चुनाव नहीं जीती तो फिर उसकी हालत भी उत्तर प्रदेश में जो स्थिति कांग्रेस की है, वैसी ही होना तय है।
कार्यकर्ताओं के सामने अपनी नाराजगी का इजहार करते हुए दिग्विजय ने खुद की असहायता तो दिखाई ही साथ ही लगे हाथों यह भी कह दिया कि ऐसी स्थिति में कमलनाथ भी कुछ नहीं कर पाएंगे। ‘राजा’ तो बोल गए अब सोचने का विषय कमलनाथ के लिए है।
रिटायरमेंट के पहले प्रभारी डीजीपी की भूमिका में आ सकते हैं राजीव टंडन
प्रदेश के नए डीजीपी के लिए अफसरों के नामों का पैनल भेजने में विलंब क्या हुआ, यह चर्चा जोरों पर चल पड़ी कि मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस अपने मित्र और मई में रिटायर हो रहे आईपीएस अफसर राजीव टंडन को दो-चार महीने के लिए इस पद पर देखने चाहते हैं।
अपने प्रदेश का डीजीपी बनना हर आईपीएस अफसर की ख्वाहिश होती है और ऐसे में यदि कोई मददगार बन जाए तो फिर क्या कहना। ऐसी अटकलें हैं कि सेवानिवृत्ति के पहले टंडन तीन माह के लिए प्रभारी डीजीपी की भूमिका में आ जाएंगे। वर्तमान डीजीपी विवेक जौहरी मार्च के शुरुआत में रिटायर हो रहे हैं। बैंस और टंडन दोनों गुना में साथ-साथ कलेक्टर और एसपी रह चुके हैं।
पटरी नहीं बैठ रही दिग्गज कलेक्टर और एसपी की
मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस के बेटे अमनवीर सिंह बैंस बैतूल के कलेक्टर हैं और गृह विभाग के प्रमुख सचिव रहने के बाद भिंड से सांसद रहे रिटायर आईएएस अधिकारी भागीरथ प्रसाद की बेटी सिमाला प्रसाद वहां एसपी है, लेकिन दोनों के बीच इन दिनों पटरी नहीं बैठ रही है
पिछले दिनों मुख्यमंत्री की बेतूल यात्रा के पहले दोनों के बीच तालमेल के अभाव में जो स्थिति निर्मित हुई उसके चलते मुख्यमंत्री कार्यालय को हस्तक्षेप करना पड़ा और एसपी अफसरों के निशाने पर आ गई। वैसे सिमाला की छवि साफ-सुथरी और सख्त अधिकारी की है, लेकिन अपने जिले से संबंधित एक मामले में कलेक्टर को विश्वास में न लेना उनके लिए परेशानी का कारण बन गया।
कई बार सरकार के संकटमोचक बन जाते हैं एसीएस होम डॉ राजेश राजौरा
उच्च पदों पर बैठे अफसरों की सक्रियता कई बार सरकार की परेशानी कम कर देती है। पिछले कुछ महीनों में कई ऐसे मौके आए, जब गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा सरकार के संकट मोचक बने। मुख्यमंत्री के गृह जिले में मुंडेर धंसने से लोगों के कुएं में गिरने का मामला हो या फिर कटनी के नजदीक स्लीमाबाद में नौ लोगों के टनल में फंसने की घटना।
दोनों मामलों में डॉ. राजौरा मुख्यमंत्री को तो पल-पल की जानकारी देते ही रहे, साथ ही ग्राउंड लेवल से जो अपडेट मिल रहे थे, उसे अनवरत मीडिया से शेयर करते रहे। इसी का नतीजा था कि चाहे अखबार हो, चैनल हो या फिर सोशल मीडिया किसी भी माध्यम से जानकारी के अभाव में घटनाओं का अतिरंजित स्वरूप सामने नहीं आया।
चलते-चलते
झाबुआ के कलेक्टर युवा आईएएस अफसर सोमेश मिश्रा इन दिनों नौकरशाही के निशाने पर हैं। गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा तो पिछले दिनों उनसे अपनी नाराजगी का इजहार कुछ अलग तरीके से कर ही चुके हैं। मिश्रा की झाबुआ में ‘अतिसक्रियता’ भी इन दिनों बड़ी चर्चा है।
पुछल्ला
बेहद मुखर रहने वाले भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता उमेश शर्मा परेशानी में आ गए हैं। भाजपा की इंदौर शहर इकाई में एक नियुक्ति के खिलाफ उन्होंने जिस अंदाज में मुंह खोला उससे विरोधियों को आखिरकार मौका मिल ही गया। देखना यह है कि प्रदेश संगठन महामंत्री के प्रिय पात्र नगर अध्यक्ष पर शाब्दिक वार करने वाले शर्मा को प्रदेशाध्यक्ष बख्शते हैं या फिर कोई कड़ा निर्णय लेते हैं।
अब बात मीडिया की
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नईदुनिया के वरिष्ठ साथी विपिन अवस्थी अब दैनिक भास्कर टीम का हिस्सा हो गए हैं और जोधपुर संस्करण में सेवाएं देंगे।