आवारगी की एक दुनिया और भी

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विश्वगुरु बनने का दावा करने वाले भारत में दुनिया के तमाम पिछड़े देशों की तरह आवारगी की एक दुनिया और भी है जो एक बड़ी समस्या भी है और चुनौती भी .ये दुनिया है अनाथ कहिये या आवारा कुत्तों और बिल्लियों की .इस दुनिया ने मनुष्यों की दुनिया के लिए संकट खड़े कर दिए हैं लेकिन इनसे निबटने की हमारे पास कोई योजना और बजट नहीं है .

दुनिया में पहली बार 09 देशों में आवारा कुत्तों और बिल्लियों की गणना की गयी है .इसमें भारत को 100 में से 2 .4 अंक मिले हैं .आंकड़ों में मेरा कोई खसा भरोसा नहीं है फिर भी यकीन मानें तो भारत की सदों और गलियों में 08 करोड़ से अधिक आवारा कुत्ते और बिल्लियां हैं .इनमें गायों,बैलों,गधों को शामिल नहीं किया गया है .यदि ये सब भी गईं लिए जाएँ तो ये आंकड़ा कहाँ पहुंचेगा,आप कल्पना कर सकते हैं .

आवारा कुत्तों और बिल्लियों की गणना से पता चलता है की ये 08 करोड़ ‘ बिना झोली के फकीर ‘जन्म से आवारा नहीं थे.इनमें से 32 फीसदी कुत्ते और 34 फीसदी बिल्लियां कभी न कभी पालतू थीं .स्टेट आफ पेट होमलेसेन्स इंडेक्स की बलिहारी की उसने देश में आवारा कुत्तों और बिल्लियों की गिनती करने का पेचीदा काम हाथ में लिया .और एक अनजान हकीकत से हमें रूबरू कराया.

दुनिया में कुत्ते और बिल्लियां मनुष्य के सबसे पुराने दोस्तों में से हैं..हमारे यहां तो महाभारतकाल से कुत्तों और मनुष्यों की दोस्ती के प्रमाण मिलते हैं ,यधुष्ठर के साथ उनका कुत्ता तो स्वर्ग के द्वार तक जा पहुंचा था .आंकड़े बताते हैं की भारत समेत तमाम देशों में कोरोनाकाल में लाकडाउन की त्रासदी के समय सबसे जयादा कुत्ते और बिल्लियां पाली गयीं .हर 10 में से 06 परिवारों में इन जानवरों को अपनाया गया .सर्वे में कोई २०० स्रोतों के जरिये ये आंकड़े जुटाए गए .

दुनिया में कुत्ते और बिल्लियां पाले जाने की प्रवृत्ति सभी जगह है लेकिन इंग्लैंड, अमेरिका और चीन में कुत्ते और बिल्लियों की स्थिति भारत तथा अन्य देशों के मुकाबले कहीं बेहतर है. मै करीब दो साल अमेरिका में रहा किन्तु मुझे वहां बहुत कम आवारा कुत्ता या बिल्ली नजर आये .यही हाल कमोवेश ब्रिटेन में है. चीन में मैंने आवारा कुत्ते और बिल्लियां देखे किन्तु इनकी संख्या कम ही रही है .भारत में कुत्ते,बिल्ली और भिखारी लगभग हर गली और सड़क पर मिल जाते हैं .ब्रिटेन,चीन और अमेरिका में इन पालतू जानवरों को लेकर रैंकिंग बेहतर है ,इन देशों में मुश्किल से 12 से 16 फीसदी लोग ही कुत्ते और बिल्लियों को आवारा छोड़ते हैं ,लेकिन ुनेहँ अपनाने वाली संस्थाओं की भी कोई कमी नहीं है.

भारत में कुत्ते और बिल्लियों के साथ ही गायों,भैंसो,गधों और सूअरों को आवारा छोड़ने के अनेक कारण हैं. सबसे बड़ा कारण सख्त क़ानून का अभाव है. लोग बीमार पशुओं को अक्सर उनके हाल पर छोड़ देते हैं. देश में अभी तक पशु चिकित्सा की दशा बेहद खराब है. इन मूक प्राणियों को पालने का खर्च भी अक्सर अधिकाँश लोग वहन नहीं कर पाते इसलिए कुछ ही समय बाद इन्हें आवारा छोड़ दिया जाता है. एक बार आवारा हुए कुत्ते-बिल्लियों की आबादी रोकने का भी हमारे यहां बेहतर प्रबंध नहीं है हालांकि सरकारें इन जानवरों की नसबंदी के लिए स्वयंसेवी संगठनों को अच्छी खासी मदद करती है किन्तु इसमें भी घोटाले हो जाते हैं .

इस इंडेक्स के मुताबिक 82 फीसदी कुत्ते स्ट्रीट डॉग होते हैं .देश में 53 फीसदी लोग इन आवारा कुत्तों को खतरा मानते हैं,65 फीसदी को इनके द्वारा काटे जाने का भय सताता रहता है .अधिकाँश लोग [82 ]इन आवारा कुत्तों से निजात चाहते हैं .50 फीसदी लोग ऐसे हैं जिन्होंने माना की उन्होंने अपने पालतू कुत्ते और बिल्लियां निजी कारणों से सड़कों पर आवारा छोड़ दिए .

भारत में अभी बड़े पालतू जानवरों के इलाज के लिए ही अस्पताल हैं और उनमें भी इलाज की सीमित सुविधाएं हैं. शहरी क्षेत्र में लोग अपने पालतू कुत्ते और बिल्लियों के इलाज के लिए इन पशु चिकित्सालयों में जाते हैं लेकिन इलाज मंहगा होने की वजह से बीच में ही इलाज बंद करा देते हैं. इन पालतू जानवरों का टीकाकरण भी मंहगा है .

घर में बच्चों और कुत्ते -बिल्लियों का इलाज एक जैसा महंगा है इसलिए अक्सर लोग अपने पालतू कुत्ते-बिल्लियों का न तो पूरा टीकाकरण करते हैं और न इलाज .जबकि अमेरिका,ब्रिटेन और चीन में इनके लिए बाकायदा आईसीयू तक हैं .लोग अपने पालतू कुत्तों और बिल्लियों के इलाज को लेकर बेहद सतर्क हैं क्योंकि इन देशों में कुत्ते और बिल्लियों को आवारा छोड़ना दंडनीय अपराध है .

भारत के बाहर अनेक देशों में कुत्ते और बिल्लियों का बाकायदा पंजीयन और बीमा कराया जाता है .यदि कोई पालतू कुत्ता किसी को काट ले तो उसे लाखों डालर का मुआवजा देना पड़ता है . इस तरह के अधिकांश मामले अदालतों से तय होते हैं .

कुत्ते-बिल्लियों के प्रति संवेदनशील देशों में भी इनकी कमी नहीं है. चीन में अनुमानित 7.5 करोड़, अमेरिका में 4.8 करोड़, जर्मनी में 20.6 लाख, ग्रीस में 20 लाख, मेक्सिको में 74 लाख, रूस और दक्षिण अफ्रीका में 41 लाख और ब्रिटेन में 11 लाख बेघर कुत्ते और बिल्लियां हैं।

भारत में स्ट्रीट डॉग बढ़ने की एक वजह उनके प्रति एक ख़ास किस्म का दया भाव है जो समाज के साथ अदालतों के दिल में भी है. स्ट्रीट डॉग्स और पशुओं को लेकर हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा कि कानून के तहत जानवरों को भी दया, सम्मान और गरिमा के साथ जीने का अधिकार है.

हर जानवर एक संवेदनशील प्राणी है. इसलिए उनकी सुरक्षा का दायित्व सभी का है. कोर्ट ने ये भी कहा कि स्ट्रीट डॉग्स का खाने का अधिकार है और नागरिकों को उन्हें खिलाने का अधिकार है.हाईकोर्ट ने कहा, “जानवरों को कोई दर्द या पीड़ा नहीं होनी चाहिए. जानवरों के प्रति क्रूरता उन्हें मानसिक पीड़ा देती है. जानवर भी हमारी तरह सांस लेते हैं और उनके पास भी हमारी जैसी भावनाएं हैं. जानवरों को खाना, पीना, शेल्टर, अच्छे बर्ताव, मेडिकल केयर की जरूरत होती है.”भारत में हर 100 लोगों पर कम से कम तीन आवारा कुत्ते हैं

आवारा कुत्तों-बिल्लियों को लेकर विसंगति ये है कि एक और लोग इन्हें आवारा छोड़ देते हैं तो दूसरी और कुछ लोग इन आवारा जानवरों की नियमित सेवा करने का शगल पाले हुए हैं ,लेकिन कुछ लोगों को ये भी पसंद नहीं. नोएडा में एक रिटायर्ड कर्नल और बेटे ने इंजीनियर की लाठी डंडों से की पिटाई, कुत्तों को खाना खिलाने से नाराज थे .राजस्थान के अलवर में एक कुत्ते की बेरहमी से हत्या कर दी गई.

ओडीशा में ज़रा सी बात पर एक महिला ने 06 कुत्तों को जहर देकर मार दिया .आवारा कुत्ते और बिल्लियों को बीमारियों और दुर्घटनाओं का कारण भी माना जाता है लेकिन अभी तक इनके बारे में समाज और सरकार का नजरिया बहुत उपेक्षापूर्ण है .गौरतलब है कि भारत में करीब 6.2 करोड़ आवारा कुत्ते और 91 लाख आवारा बिल्लियां हैं .देश की 77 फीसदी आबादी हफ्ते में एक न एक बार इनसे मुखातिब हो ही जाती है .