सुंदरता और आतंकवाद का रिश्ता

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ब्रिटेन की सुंदरी लीन क्लाइव अमेरिका नहीं जा सकती ,क्योंकि वो दमिश्क [ सीरिया] में जन्मी हैं। अमेरिका सीरिया को आतंकवाद की धरती मानता है .अमेरिका की अपनी मान्यताएं हैं और उनका सम्मान किया जाना चाहिए. अपनी सार्वभौमिकता की रक्षा के लिए अमेरिका को कुछ भी करने के हक है लेकिन सवाल ये है कि सुंदरता का आतंकवाद से कोई रिश्ता है भी या नहीं ?

लीन क्लाइव ब्रिटेन क्वीन हैं. ग्लोबल व्यूटी क़्वीन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए वे सपरिवार अमेरिका जाना चाहती थीं ,किन्तु अमेरिका ने उनके पति और बेटे को तो वीजा दे दिया किन्तु लीन क्लाइव को वीजा देने से इंकार कर दिया।

अमेरिका के आब्रजन कार्यालय ने इस बारे में क्लाइव को कुछ बताया नहीं है लेकिन क्लाइव का कहना है कि उनके पासपोर्ट में उनका जन्म स्थान दमिश्क [ सीरिया ] लिखा है शायद इसीलिए उन्हें वीजा नहीं दिया गया.

अमेरिका दुनिया का अकेला ऐसा देश है जो वीजा देने में दूसरे देशों के मुकाबले कुछ ज्यादा उदार है .यहां तकरीबन 66 तरह के वीजा दिए जाते हैं ,किन्तु आतंकवाद का दंश झेल चुके अमेरिका ने दुनिया के कुछ ऐसे देशों को चिन्हित भी कर रखा है जहां के नागरिकों को वीजा नहीं दिया जाता .सीरिया भी शायद इनमें से एक है .लीन क्लाइव का मामला लेकिन भिन्न है. वे दमिश्क में पैदा जरूर हुईं हैं लेकिन रहती इग्लेंड में हैं ,उनका वीजा भी ब्रिटेन का है ,ऐसे में उन्हें वीजा न देना तनिक चकित करता है .अमेरिका के ये निर्णय वसुधैव कुटुंबकम के सिद्धांत के खिलाफ है .

जैसे किसी इंसान को अपनी मान और पिता चुनने का अधिकार नहीं है इसी तरह किसी को अपनी जन्मभूमि चुनने का अधिकार नहीं है .इसलिए लीन के मामले में अमेरिका को उदारता के साथ सोचना चाहिए .लीन क्लाइव आतंक की नहीं सुंदरता की प्रतिनिधि है ,उसे रोकने से दुनिया में गलत सन्देश जाएगा,हालांकि इस तरह कि प्रतिक्रियाओं की बहुत ज्यादा चिंता नहीं करता ,करना भी नहीं चाहिए .वीजा देना या न देना उसका अपना विवेक है ,किसी का संवैधानिक अधिकार नहीं.
आपको याद होगा कि अमेरिका ने एक जमाने में हमारे मौजूदा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को लम्बे अरसे तक वीजा नहीं दिया था .ऐसे असंख्य लोग हैं जो अमेरिका का वीजा पाने के लिए तरसते हैं .हालांकि अमेरिका में आतंकवाद के सबसे ज्यादा बदनाम पाकिस्तान के नागरिकों तक को वीजा दिया जाता है .अनेक मुस्लिम देशों के नागरिक अमेरिका में रहकर काम करते हैं ,लीन क्लाइव शायद इसीलिए परेशान हैं .लेकिन अमेरिका का वीजा नसीब से भी जुड़ा है.बहुत से ऐसे भारतीय हैं जिनके बच्चे अमेरिका में रहते हैं लेकिन उन्हें अमेरिका जाने के लिए पर्यटन वीजा तक नहीं मिल पाता.

आपको याद होगा कि 2017 में डोनाल्ड ट्रैम्प ने अमेरिका की कमान सम्हालते ही इराक, लीबिया, सोमालिया, सूडान, सीरिया और यमन के नागरिकों पर अमेरिका आने की रोक लगा दी थी. ये प्रतिबंध कथित तौर पर आतंकवाद नियंत्रण के लिए थे. इसी के तहत पहला एग्जीक्यूटिव ऑर्डर कई मुस्लिम बहुल राष्ट्रों के अमेरिका आने पर रोक को लेकर था.ट्रंप का तर्क था कि वो अमेरिका को आतंकियों से सुरक्षित रखना चाहते हैं.राष्ट्रपति चुनाव से कुछ महीनों पहले ट्रंप ने एक बार फिर से ट्रैवल बैन पर नजर दौड़ाई और कई सुधार किए. इसके तहत 6 अन्य देश भी ट्रैवल बैन में शामिल हो गए. ये देश हैं इरिट्रिया, किर्गिस्तान, म्यांमार, नाइजीरिया, सूडान और तंजानिया. हालांकि इन देशों को अमेरिका ने पूरी तरह से प्रतिबंधित नहीं किया, बल्कि केवल कुछ खास तरह के वीजा पर ही रोक लगाई थी लेकिन बाद में नए राष्ट्रपति जो बाइडन ने इसमें कुछ संशोधन किये .

दुनिया में वीजा को लेकर सभी देशों के अपने -अपने नियम हैं. दुनिया में बहुत से ऐसे देश हैं जो आपको एक से लेकर तीन महीने तक बिना वीजा के रहने की इजाजत देते हैं .एक तरफ दुनिया में अनेक देशों के नागरिकों को वीजा देने से मना किया जाता है दूसरी तरफ अनेक देश हैं जो अपने वीजा तो छोड़िये नागरिकता तक को नीलाम कर रहे हैं .इसका ख़ास मकसद देश में पूंजी निवेश को बढ़ावा देना है. यानि सुंदरता का वीजा से कोई लेना-देना नहीं है .कुल मिलाकर लीन क्लाइव के प्रति हमारी सहानुभूति है .वे अमेरिका जा पाती तो मुमकिन है कि वे ग्लोबल व्यूटी क़्वीन का खिताब भी हासिल कर पातीं ,लेकिन उनका नसीब ही खोटा है ,अन्यथा अमेरिका तो 1969 के बाद से गोरों-कालों तक का भेद मिटा चुका है .मानव अधिकारों की हिमायत करने वाले अमेरिका के लीन क्लाइव के प्रति व्यवहार को समझना मुश्किल काम है।

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RAKESH ANCHAL
राकेश अचल

राकेश अचल ग्वालियर - चंबल क्षेत्र के वरिष्ठ और जाने माने पत्रकार है। वर्तमान वे फ्री लांस पत्रकार है। वे आज तक के ग्वालियर के रिपोर्टर रहे है।