हर हिंदू की आस्था का केंद्र हैं राम और अयोध्या का राममंदिर…

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हर हिंदू की आस्था का केंद्र हैं राम और अयोध्या का राममंदिर…

आज रामनवमी यानि राम का जन्मदिन है। पुराणों में श्री राम के जन्म के बारे में स्पष्ट प्रमाण मिलते हैं कि श्री राम का जन्म वर्तमान भारत के अयोध्या नामक नगर में त्रेतायुग में हुआ था। अयोध्या, जो कि भगवान राम के पूर्वजों की ही राजधानी थी। रामचन्द्र के पूर्वज रघु थे।

पर विदेशी आक्रांता बाबर ने 16वीं सदी में काबुल और कान्धार के रास्ते आकर 1519 से 1526 ई॰ तक भारत पर पांच बार आक्रमण किया। 1526 में बाबर ने पानीपत के मैदान में दिल्ली सल्तनत के अंतिम सुल्तान इब्राहिम लोदी को हराकर मुग़ल साम्राज्य की नींव रखी। बाबर ने 1527 में ख़ानवा, 1528 में चंदेरी तथा 1529 में घग्गर जीतकर अपने राज्य को सुरक्षित किया। 1530 ई० में इसकी मृत्यु हो गयी। 47 साल की उम्र में दुनिया से कूच कर गया यह बाबर भारत के हिंदुओं की आंखों में अयोध्या में राम जन्मभूमि के पास बाबरी मस्जिद बनकर खटकता रहा। आखिर इसकी मौत के 462 साल बाद जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस हुआ और फिर इक्कीसवीं सदी में रामजन्म भूमि को पूरी तरह से बाबर के प्रभाव से मुक्त कर राम मंदिर बनाने की शुरुआत हुई, तब जाकर भारत में राम के अनुयायियों का सिर गर्व से ऊपर उठ सका। और इस महान कार्य का जरिया बनी केंद्र की सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसीलिए बहुतायत में हिंदुओं के दिलों पर राज कर रहे हैं। और यह दम भर रहे हैं कि उन्होंने सुरक्षा कवच तैयार कर लिया है, जो सत्ता में बनाए रखने के लिए काफी है। क्योंकि हर सनातनी हिन्दू के आस्था का केंद्र भगवान राम हैं। जिन्होंने धरा को आसुरी शक्तियों से मुक्त कराया था और रामराज्य का आदर्श स्थापित किया था।

तो आज यानि रामनवमी का दिन 30 मार्च 2023 राम के जन्म का दिन है, इसलिए आज राम को याद करना ही सबसे महत्वपूर्ण है। राम भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। ऋषि वाल्मीकि ने रामायण की रचना की थी।गोस्वामी तुलसीदास ने भी उनके जीवन पर केन्द्रित भक्तिभावपूर्ण सुप्रसिद्ध महाकाव्य रामचरितमानस की रचना की थी। इन दोनों के अतिरिक्त अन्य भारतीय भाषाओं में भी रामायण की रचनाएँ हुई हैं, जो काफी प्रसिद्ध भी हैं। दक्षिण के क्रांतिकारी पेरियार रामास्वामी व ललई सिंह यादव की रामायण भी मान्यताप्राप्त है। भारत में श्री राम अत्यन्त पूजनीय हैं और आदर्श पुरुष हैं तथा विश्व के कई देशों में भी श्रीराम आदर्श के रूप में पूजे जाते हैं जैसे नेपाल,थाईलैण्ड, इण्डोनेशिया आदि । इन्हें पुरुषोत्तम शब्द से भी अलंकृत किया जाता है। इनका परिवार, आदर्श थाईलैंडी परिवार का प्रतिनिधित्व करता है। राम रघुकुल में जन्मे थे, जिसकी परम्परा रघुकुल रीति सदा चलि आई प्राण जाई पर बचन न जाई की थी। ब्राह्मणों के अनुसार राम न्यायप्रिय थे। उन्होंने बहुत अच्छा शासन किया, इसलिए लोग आज भी अच्छे शासन को रामराज्य की उपमा देते हैं। इनके दो पुत्रों कुश व लव ने इनके राज्यों अयोध्या और कोशलपुर को संभाला।

वैदिक धर्म के कई त्योहार,जैसे दशहरा, राम नवमी और दीपावली, श्रीराम की वन-कथा से जुड़े हुए हैं। रामायण भारतीयों के मन में बसता आया है, और आज भी उनके हृदयों में इसका भाव निहित है। भारत में किसी व्यक्ति को नमस्कार करने के लिए राम राम,जय सियाराम जैसे शब्दों को प्रयोग में लिया जाता है। ये भारतीय संस्कृति के आधार हैं। और यही आधार हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का। इसीलिए अब मोदी ने आगामी लोकसभा चुनाव में चार सौ पार का लक्ष्य तय किया है। क्योंकि लोकसभा चुनाव से पहले राममंदिर बन जाएगा और अयोध्या में विराजे राम की मूरत हर हाल में मतदाताओं की आंखों और ह्रदय में बस जाएगी। और तब हर मतदाता इसके बदले में नरेंद्र मोदी की सरकार में वापसी की राह सुगम कर आभार जताना नहीं भूलेंगे।

 

त्रेतायुग में धरा पर जब असुरों का बोलबाला था। तब राम ने इस धरा को असुरों से मुक्त किया था। जब रामचन्द्र जी का जीवन पूर्ण हो गया, तब वे यमराज की सहमति से सरयू नदी के तट पर गुप्तार घाट में देह त्याग कर पुनः बैकुंठ धाम में विष्णु रूप में विराजमान हो गये। अब सवाल यही है कि कलियुग में आसुरी प्रवृत्तियों का अंत कैसे होगा और कब तक होगा। उस समय के रामराज्य की झलक क्या वास्तव में कलियुग में भी कभी नजर आएगी। जवाब तो यही कि नहीं ही मिल पाएगी।‌ क्योंकि कब फिर राम जन्म लेंगे और धरा को असुरों से मुक्त कर रामराज्य स्थापित करेंगे, यह भले ही किसी को पता न हो लेकिन सभी उस दिन का इंतजार जरूर कर रहे हैं। क्योंकि राम तो वह शक्ति है, जो अपनों ही नहीं बल्कि परायों के दिल में भी बसे हैं। इसीलिए हर हिंदू की आस्था का केंद्र हैं राम और अयोध्या का राममंदिर…।

 

*(लेख में दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। ‘मीडियावाला’ का इससे सहमत होना जरूरी नहीं है)*